तनाव .... हमारे जीवन का एक अंग बन चुका है। इंसानी जीवन में तनाव के अनेक आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक आदि अनेक कारण हो सकते हैं। तनाव का सबसे बड़ा कारण वर्तमान को छोड़कर भूतकाल की घटनाओं को मुड़-मुड़कर देखते हुए भविष्य में बेहतर जीवन जीने की प्रबल इच्छा का परिणाम है।
यदि हम अपने जीवन में निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करें तो काफी हद तक तनाव का सफल प्रबंधन कर सकते हैं :-
1. मैं, जैसा भी हूँ .. अपने को इसी रूप में स्वीकार करता हूँ।
(कोई भी व्यक्ति सम्पूर्ण नहीं होता है। हमें कभी भी स्वयं की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति से नहीं करनी चाहिए। हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं से होनी चाहिए, दूसरों से नहीं।)
2. मेरे माता-पिता, पत्नी, बच्चे, रिश्तेदार, दोस्त, सहकर्मी, पड़ोसी आदि मेरे जीवन में आने वाले सभी व्यक्तियों को उसी रूप में स्वीकार करता हूँ, जैसा उन्हें ईश्वर ने बनाया है और जिस रूप में हमारे जीवन में भेजा है।
(हमारे जीवन में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति हमारे पूर्व जन्मों के संचित कर्मों और लेनदेन के अनुसार ही अपनी भूमिका अदा करने के लिए आता है)
3. मैं अपने माता-पिता, पत्नी, बच्चे, रिश्तेदार, दोस्त, सहकर्मी, पड़ोसी आदि मेरे जीवन में आने वाले सभी व्यक्तियों को उनके द्वारा मेरे साथ किए गए गलत व्यवहार, यदि कोई किया गया हो या हमें ऐसा लगता हो, के लिए क्षमा करता हूँ।
(क्षमा करना, बड़ा और महान होने की निशानी है। हम किसी व्यक्ति को क्षमा करके भविष्य में संचित होने वाले दूसरे और कर्मों को संचित होने से रोक सकते हैं। हमें अपने पूर्व जन्मों के संचित कर्मों को समाप्त करने का प्रयास करना है और नए कर्म संचित नहीं करने हैं।)
4. मेरे जीवन में जो कुछ भी घटित हो रहा है, मैं और मेरे पूर्व जन्मों के संचित कर्म ही उसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं।
(हम अपने जीवन में होने वाली किसी भी अच्छी घटना के लिए स्वयं को श्रेय देते हैं और अपनी इच्छा के विरूद्ध होने वाली किसी घटना के लिए अन्य लोगों को दोषी मानने लगते हैं। जबकि जीवन में घटित होने वाली प्रत्येक घटना हमारे वर्तमान जीवन के भूतकाल एवं वर्तमान में किए गए कार्यों और पूर्व जन्मों के संचित कर्मों पर आधारित होती है।)
5. मैं अपने जीवन में लोगों को जो कुछ दूंगा, वही कई गुना लौटकर मेरे पास आएगा।
(हम अपने जीवन में क्या चाहते हैं, इसका फैसला हमें स्वयं करना है। लोगों और समाज के प्रति निष्काम सेवा और दूसरों की खुशियों के लिए सतत् प्रयत्नशील रहना, हमारे जीवन को सफल एवं सुखमयी बना सकता है।)
ऊपर दिए गए सिद्धांतों का पालन करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। लेकिन, यदि हमने इन सिद्धांतों का पालन कर लिया तो हमारा मौजूदा जीवन और पारलोकिक जीवन का प्रकाशमयी होना निश्चित है।
- सुनील भुटानी
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