स्वच्छ भारत अभियान : कुछ विचारणीय बिन्दु
1. प्रत्येक
वाहन बनाने वाली कम्पनी को यह कहा जाए कि वे अपने बनाए वाहनों (स्कूटर, कार, बस,
जीप आदि) में छोटा-बड़ा, जैसा भी संभव हो, कूड़ेदान बनाएं ताकि इन वाहनों के ड्राईवर
और सवारियां अपना कूड़ा इसमें डाल सकें और उसके बाद रास्ते में किसी कूड़ेदान या
गंतव्य के किसी कूड़ेदान में डाल सकें।
2. सभी
मुख्य सड़कों/राजमार्ग आदि पर प्रत्येक एक किलोमीटर पर एक कूड़ेदान और प्रत्येक तीन किलोमीटर के बाद एक शौचालय हो। यह कार्य जिला/राज्य/राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय
स्तर की प्रोफेशनल एजेंसी के माध्यम से करवाया जा सकता है। इनके लिए संबंधित
राज्य सरकारों द्वारा जमीन उपलब्ध करवाई जाए और प्रोफेशनल एजेंसी इन स्थानों का
कमर्शल इस्तेमाल करके अपनी शुरूआती लागत और उसके बाद के रखरखाव के खर्चों को पूरा
करें। इससे सरकारों पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा और लोगों की यह शिकायत भी दूर
होगी कि वे तो कूड़ा कूड़ेदान में डालना चाहते हैं लेकिन कूड़ेदान/शौचालय ही नहीं
मिलते हैं।
3. प्रत्येक
आर.डब्ल्यू.ए./सोसायटी/मोहल्ला समिति आदि के स्तर पर एक स्वच्छता समिति का
गठन किया जाए जोकि अपने एरिया/इलाके में स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान दें। इस
समिति को स्थानीय प्रशासन द्वारा यथावश्यक सहयोग भी प्रदान किया जाए।
4.
सड़कों/गलियों में खानपान का सामान बनाने/बेचने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए
कूड़ेदान रखना अनिवार्य होना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर स्थानीय प्रशासन द्वारा
जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इन व्यक्तियों से प्रतिदिन कूड़ा लेने की व्यवस्था
उसी प्रकार की जानी चाहिए जैसे कि घरों से कूड़ा लेने के लिए गाडि़यां लगाई गई
हैं।
5. रेलवे
स्टेशनों/बस स्टैंडों पर कूड़दानों/शौचालयों की अधिक मात्रा में विशेष व्यवस्था
होनी चाहिए। इन व्यवस्थाओं के बावजूद कूड़ा करने वालों पर जुर्माना लगाया जाना
चाहिए।
6. सामान्यत:
देखा जाता है कि सरकारी भवनों (विशेषत: कार्यालयों/स्कूलों आदि) की चारदीवारी के
नजदीक बहुत अधिक कूड़े के ढेर लग जाते हैं क्योंकि कूड़ा डालने वालों को रोकने
वाला कोई व्यक्ति विशेष नहीं होता है। ऐसे में, संबंधित सरकारी भवन के प्रशासनिक प्रधान
द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके भवन की चारदीवारी के पास लोगों द्वारा कूड़ा न डाला
जाए।
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