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Sunday 9 October 2016

रिश्‍तों की माला (कहानी)

रिश्‍तों की माला
     आज राहुल की सगाई है, परंतु उसके चेहरे पर वह रौनक नहीं है जो ऐसे मौके पर होती है। यह सगाई राहुल की इच्छा और अनिच्छा से हो रही है। दरअसल, उसने इस रिश्‍ते के लिए हाँ नहीं तो ना भी नहीं कहा था। राहुल को अपनी मंगेतर सोनिया पसंद नहीं थी परंतु राहुल के माता-पिता को सोनिया और उनका परिवार बहुत पसंद था। जीवन के 23वें वर्ष में प्रवेश कर चुका राहुल बहुत ही शर्मीला था। लड़का-लड़की को देखने-दिखाने के कार्यक्रम के दौरान, राहुल और सोनिया को एकांत में आपस में बातचीत करने के लिए पन्द्रह मिनट का समय दिया गया था। इक्कीस सावन देख चुकी सोनिया भी राहुल की भांति बेहद शर्मीली थी। इन दोनों के लिए पन्द्रह मिनट में एक-दूसरे से बात करना और एक-दूसरे को समझ पाना मुश्किल था। चायपान के पश्चात दोनों परिवारों के सदस्य एक-दूसरे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेने का सफल-असफल प्रयास कर रहे थे। अंत में निश्चित हुआ कि एक-दो दिन में फोन पर बात कर आगे की बात करेंगे। दोनों परिवार इस रिश्‍ते से बेहद खुश थे। सोनिया इस रिश्‍ते के लिए अपनी स्वीकृति दे चुकी थी जबकि राहुल के फैसले का इंतजार किया जा रहा था। शादी के लिए लड़की देखने का राहुल का यह पहला अनुभव था। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह इस रिश्‍ते के लिए हाँ करे या ना। वह सोनिया के साथ बिताए उन पन्द्रह मिनटों को याद करता रहा। सोनिया ज्यादा खूबसूरत नहीं थी लेकिन उसके विचार राहुल को प्रभावित किए हुए थे। इधर, राहुल के माता-पिता परिवार के अन्य सदस्यों को इस रिश्‍ते के लिए तैयार कर चुके थे। बस, राहुल की हाँ का इंतजार था। राहुल की माँ की तबीयत ठीक नहीं रहती थी। वह ब्लड-प्रेशर  और शूगर की मरीज़ थी जिस कारण राहुल के छोटे भाई अमन और छोटी बहन प्रभा की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। सोनिया का चेहरा तथा उसके विचार, माँ की दिनोंदिन बिगड़ती तबीयत और दोस्तों की उसकी भावी पत्नी से संबंधित अपेक्षाएं राहुल के दिलो-दिमाग में घूम रही थीं। राहुल आखिरी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहा था। अंतत: राहुल ने तीन दिन बाद माता-पिता से कहा कि वे जैसा ठीक समझें कर लें। राहुल की इस बात को उसकी रजामंदी मानकर राहुल के परिवार के सभी सदस्य बेहद खुश थे। सोनिया के माता-पिता को सोनिया का रिश्‍ता मंजूर करने की सूचना दे दी गई। सगाई के लिए शुभ महुर्त निकलवाया गया। आठवां दिन सगाई लिए बेहद शुभ था। दोनों परिवार सगाई की तैयारियों में लग गए। प्रभा और अमन अपनी भाभी से मिलने के लिए आतुर थे क्योंकि परीक्षाओं के चलते वे दोनों पहली बार में भाई के साथ नहीं जा सके थे। राहुल के दोस्तों को भी राहुल की पसंद के दीदार का बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार, वह दिन आ गया। सोनिया के घर पर राहुल और उसके परिवार के सदस्यों तथा दोस्तों का भव्य स्वागत किया गया। लम्बे इंतजार के बाद, लाल रंग की बेहद खूबसूरत साड़ी में लिपटी सोनिया हॉल की ओर बढ़ रही थी। राहुल की बहन, माँ तथा साथ में आईं महिला रिश्‍तेदारों ने आगे बढ़कर सोनिया का स्वागत किया। प्रभा, अमन और राहुल के दोस्त राहुल की पसंद से ज्यादा खु नहीं थे परंतु प्रभा और अमन ने राहुल को उस समय इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं होने दिया। राहुल के दोस्त ऑंखों की जुबाँ से अपनी नापसंदगी व्यक्त कर रहे थे। विधि-विधान से सगाई की रस्में पूरी की गईं। सोनिया और राहुल के परिवार के बीच तोहफों का आदान-प्रदान हुआ।  जलपान के लिए बेहद उम्दा व्यवस्था की गई थी। जलपान के पश्चात राहुल के परिवार वालों ने विदा लेते हुए घर के लिए प्रस्थान किया। 
     ''यार, राहुल ने सोनिया में क्या देखा होगा? कहां हमारा राहुल और कहां वह सोनिया। हमारे राहुल की क्या पर्सनेलिटी है। जरूर कोई और बात है। हो सकता है ऊँचा घर देखकर फिसल गया हो। देखा नहीं, राहुल को एक सोने की मोटी-सी चेन, सोने का ब्रस्लेट और अंगूठी, राहुल के मम्मी-पापा और अमन तथा प्रभा को भी एक-एक सोने की अंगूठी मिली है और .......'' राहुल को देखकर उसके दोस्तों ने आपस में बात करनी बन्द कर दी।
     राहुल ने दोस्तों की बातें सुन ली थीं लेकिन उसने इसका एहसास नहीं होने दिया। जैसाकि राहुल को भी महसूस हो रहा था कि उसने गलत लड़की का चुनाव कर लिया है, दोस्तों की बातें सुनने के बाद तो उसे इसपर यकीन होने लगा था। राहुल के दिलो-दिमाग में रह-रहकर तूफान उठते और वह उन्हें शांत करने की कोशिश करता रहता। 
     ''यदि मैं इस शादी के लिए ना कर दूँ तो। अभी सगाई ही तो हुई है। शादी के बाद मैं उसे वह प्यार नहीं दे पाया जिसकी वह हक़दार होगी तो यह उसके साथ दोहरी नाइंसाफी होगी। लेकिन मेरे इस फैसले से मेरे तथा सोनिया के मम्मी-पापा और परिवार की इज्जत पर बट्टा लग सकता है, सोनिया का कहीं दूसरी जगह रिश्‍ता होने में और अधिक दिक्कतें आएंगी। पुरूषों के वर्चस्व वाले इस समाज में सोनिया के चरित्र आदि पर उंगलियां उठाई जाएंगी, कहीं वह आत्महत्‍या .......! नहीं! नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता।'' राहुल हड़बड़ाकर नींद से जाग गया। 
     दोनों परिवार शादी की तैयारियों में लगे हुए थे। जनवरी की सर्द रात में राहुल और सोनिया विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए। सोनिया के संग सात फेरे लेते हुए राहुल की ऑंखों के सामने दोस्तों की बातें फ्लैश हो रही थीं। सोनिया विदा होकर अपने ससुराल पहुंची। सोनिया का जोरदार स्वागत किया गया। 
     वैवाहिक जीवन की सबसे खूबसूरत रात अर्थात सुहागरात को सोनिया स्मार्ट और फिल्म स्टार लुकिंग पति को पाकर बेहद रोमांचित थी। राहुल भी किसी बला की खूबसूरत लड़की से ही शादी करना चाहता था। दो अलग-अलग अंतर्भावनाओं को लिए राहुल और सोनिया फूलों की सेज़ पर बैठे एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। राहुल को अन्दर ही अन्दर दोस्तों की बातें और बेहद खूबसूरत लड़की से शादी करने की अपूर्ण इच्छा परेशान किए हुए थी। राहुल चाहकर भी सोनिया पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पा रहा था। 
     ''राहुल। क्या बात है? आप कुछ परेशान लग रहे हैं, सब ठीक तो है। आप इस शादी से खु तो हैं। कोई बात है तो मुझे बताइए, शायद मैं कुछ कर सकूँ।'' सोनिया ने बहुत ही अपनेपन से कहा।
     ''नहीं ... नहीं ! .... नहीं, कोई बात नहीं है। सब ठीक है बस यूँ ही।'' राहुल ने चौंकते हुए कहा। 
     ''आज हमारे वैवाहिक जीवन की शुरूआत होने जा रही है, हमें एक-दूसरे से कोई भी बात छुपानी नहीं चाहिए। आपको मुझसे कभी भी कोई शिकायत हो तो प्लीज़ बताइएगा जरूर। मैं आपको किसी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दूँगी।'' सोनिया ने कहा।
     राहुल ने सोनिया के माथे को चूमते हुए बाहों में भर लिया।
     दो दिन के बाद सोनिया के मायके में पहले फेरे का महुर्त था। राहुल सोनिया को लेकर ससुराल पहुंचा। दोनों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। स्वागत-सत्कार करने के बाद लम्बे सफर की थकान दूर करने के लिए दोनों को आराम करने दिया गया। शाम की चाय पर परिवार के सभी सदस्य और राहुल-सोनिया इकट्ठे हुए। 
     ''जीजू। आपकी ऑंखें बहुत लाल हैं, लगता है मेरी दीदी ने आपको शादी के बाद से सोने नहीं दिया।'' साथ में बैठी सोनिया की बहन सुप्रिया ने राहुल को छेड़ते हुए धीरे से कहा।
     ''नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है, बस यूँ ही।'' राहुल ने झेंपते हुए कहा।
     सुप्रिया राहुल को लगातार छेड़ रही थी। उधर, सोनिया अपने मम्मी-पापा के साथ बैठी बात कर रही थी। राहुल सोनिया के शरारतपूर्ण सवालों एवं बातों का जवाब ठीक से नहीं दे पा रहा था।
     ''राहुल जी। काश! आपने शादी के लिए मुझे पसंद किया होता।'' सुप्रिया ने शरारती अंदाज में अपने दिल की बात कहने की कोशिश की।
     ''आप तो अपनी दीदी के साथ रेस्तरां में आई ही नहीं थीं।'' राहुल ने मासूमियत से कहा।
     ''क्या! अगर मैं दीदी के साथ आती तो आप दीदी की जगह मुझे पसंद कर लेते?'' ऐसा कहते हुए सुप्रिया के गाल सुर्ख हो गए थे।
     ''वास्तव में, मैं आप जैसी बेहद खूबसूरत लड़की से ही शादी करना चाहता था। लेकिन, भगवान जोड़ियां तो ऊपर से ही बनाकर भेजता है।'' राहुल ने कहा।
     राहुल और सुप्रिया शरारत-भरी बातचीत से भावनात्मक बातचीत की ओर बढ़ रहे थे। डिनर करने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में चले गए। राहुल और सोनिया को सोनिया के शादी से पहले वाले कमरे में ठहराया गया। राहुल और सुप्रिया एक-दूसरे की बातों को बार-बार याद कर रोमांचित हो रहे थे।
     ससुराल से लौटने के बाद से राहुल का मन बिजनेस में नहीं लग पा रहा था। वह दिन में दो-तीन बार दिल्ली से जयपुर सुप्रिया को फोन करता। 
      पिछले एक साल में राहुल-सोनिया के जयपुर में दो-तीन और सोनिया के मम्मी-पापा तथा सुप्रिया के दिल्ली में एक-दो चक्कर लग चुके थे। सुप्रिया और राहुल के बीच एक भावनापूर्ण रिश्‍ता कायम हो चुका था। 
     एक दिन सोनिया के मायके में राहुल की मम्मी का फोन आया। 
     ''बहन जी। मेरी तबीयत ठीक नहीं चल रही है और सोनिया की डिलीवरी कभी भी हो सकती है, यदि आप सुप्रिया को कुछ दिनों के लिए भेज सकें तो मुझे और सोनिया दोनों को सुविधा हो जाएगी।'' राहुल की मम्मी ने कहा।
     ''बहन जी। मैं कल ही सुप्रिया को उसके भाई क्षितिज के साथ दिल्ली भेज देती हूँ। इसके अलावा कोई और सेवा हो तो बताइएगा।'' सोनिया की माँ ने कहा।
     अगले दिन सुप्रिया और क्षितिज दिल्ली पहुंच गए। चायपान के बाद क्षितिज उसी दिन घर वापस लौट गया।
     सुप्रिया के आने के तीसरे ही दिन सोनिया की अस्पताल में डिलीवरी हुई। सोनिया ने एक बहुत ही सुन्दर बेटे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म से छठे दिन नामकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें दोनों परिवारों ने भाग लिया। बच्चे का नाम लवनीष रखा गया। 
     अगले दिन सुप्रिया के मम्मी-पापा और अन्य रिष्तेदार जयपुर लौट गए।
     लवनीश रात में बहुत ज्यादा तंग करता था। सुप्रिया और सोनिया रात-रात भर जागकर लवनीष का ध्यान रखतीं। राहुल उसी कमरे में ही दीवान पर सोता था। 
     एक रात राहुल ने सुप्रिया को नींद से जगाकर कॉफी बनाकर देने के लिए कहा। सुप्रिया कॉफी लेकर आई तो राहुल ने एक हाथ से कॉफी का कप लेकर दूसरे हाथ से सुप्रिया को अपनी ओर खींचकर चुम्बन लेते हुए कॉफी का कप टेबल पर रखा और सुप्रिया को बाहों में भर लिया। अचानक हुई इन हरकतों से सुप्रिया हैरान तो हुई लेकिन कुछ कह नहीं पाई।
     ''जीजाजी। ये आप क्या कर रहे हैं? दीदी देखेंगी तो क्या सोचेंगी? सुप्रिया ने डरते हुए कहा।
     ''तुम्हारी दीदी नहीं जागेगी। मैंने उसके दूध में नींद की गोलियां मिला दी थीं।'' राहुल ने कहा।
     ''ये आप क्या कह रहे हैं? सुप्रिया ने हैरान होकर कहा।
 
     ''सुप्रिया ....! मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ और शायद तुम भी मुझे पसंद करती हो। मैं तुम जैसी खूबसूरत लड़की से ही शादी करना चाहता था। अगर तुम सोनिया के साथ आई होती तो निष्चित रूप से मैं तुम्हें ही पसंद करता। मेरी किस्मत ने मेरे साथ धोखा किया है। मैं तो शादी से इन्कार करना चाहता था लेकिन अपने और तुम्हारे परिवार की इज्जत और सोनिया के भविष्य को मद्देनज़र रखते हुए ऐसा नहीं कर पाया।'' ऐसा कहते हुए राहुल की ऑंखों से ऑंसू छलक आए।
     राहुल की बातें सुनकर सुप्रिया भावुक हो गई। उस रात दोनों के बीच हुए संगम ने एक बेनाम रिश्‍ते को जन्म दे दिया।
     अगले दिन सुबह सुप्रिया को जयपुर वापस लौटना था। राहुल और सुप्रिया एक-दूसरे से नज़रें चुरा रहे थे। क्षितिज सुप्रिया को लेने के लिए आ चुका था।
     सुप्रिया ने बी.कॉम अंतिम वर्ष की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर लीं। सुप्रिया के माता-पिता उसके लिए अच्छे लड़के की तलाष में लग गए। छह महीने की दौड़-धूप के बाद सुप्रिया का रिश्‍ता पीयूष से तय हो गया। वह उदयपुर का रहना वाला था और बिजनेस करता था। वह सुप्रिया से लगभग पाँच साल बड़ा था। पीयूष के परिवार वाले चाहते थे कि बिना सगाई किए सीधे शादी कर दी जाए क्योंकि पीयूष के पिता दिल के मरीज़ हैं और ज्यादा भाग-दौड़ नहीं कर सकते। एक महीने बाद शादी का शुभ महुर्त था। 
     शादी की तैयारियों में एक महीना कैसे निकल गया पता ही नहीं चला। आर्थिक तंगी के चलते सुप्रिया के पापा इस बार वह भव्य तैयारियां नहीं कर पाए थे जो उन्होंने सोनिया की शादी में की थीं। सुप्रिया की शादी के सभी कार्यक्रम ठीक प्रकार से निपट गए। विदाई के समय राहुल एक कोने में खड़ा ऑंसूओं की धारा को रोकने का असफल प्रयास कर रहा था। सुप्रिया डोली में बैठते हुए राहुल को एकटक देखती रही।
     लगभग तीन महीने बाद, सोनिया के पापा ने फोन करके राहुल और सोनिया को जयपुर आने के लिए कहा। वे दोनों जयपुर पहुंचे तो घर पर सुप्रिया भी आई हुई थी। सोनिया और राहुल को देखकर सुप्रिया फूट-फूटकर रोने लगी।
सोनिया के बार-बार पूछने पर सुप्रिया ने बताया - ''दीदी। वहां मुझे दहेज के लिए बार-बार परेषान किया जाता है, बात-बात पर ताने दिए जाते हैं कि जो-जो आइटम सोनिया को दी गई वे तुम्हें क्यों नहीं दी गई। पीयूष के लिए मोटरसाइकिल और कारोबार में हो रहे घाटे को पूरा करने के लिए कम-से-कम एक लाख रूपए नकद लाने को कहते हैं। पीयूष भी यही चाहता है। जब मुझसे ये सब बर्दाश्‍त नहीं हुआ तो मैं यहां लौट आई। मैं यहां नहीं आती तो आत्महत्या कर लेती। मैं अब उस घर में वापस नहीं जाउंगी।''
सुप्रिया के पापा ने सुप्रिया को कमरे में जाकर आराम करने के लिए कहा।
''मैंने पीयूष और उसके मम्मी-पापा से इस बारे में बात की है, लेकिन उनका कहना है कि सुप्रिया ससुराल में अपने पति के साथ रहना ही नहीं चाहती है। सुप्रिया उन्हें दहेज के मामले में फंसाने की धमकियां देती रहती है। उनका तो यहां तक कहना है कि सुप्रिया किसी दूसरे से प्यार करती है और उससे फोन पर बातें भी करती रहती है। घर के कामकाज के लिए कहते हैं तो बीमार होने का बहाना करने लगती है।'' सुप्रिया के पापा ने सोनिया और राहुल को बताया।
''क्या आपने इस बारे में सुप्रिया से पूछा है, वह क्या कहती है?'' सोनिया ने पूछा।
''तुम्हारी मम्मी बहुत कोशिश कर चुकी है लेकिन वह इन बातों से इन्कार करती है और अपनी कही बातों पर अडिग है। तुम्हें इसीलिए बुलाया है कि तुम उससे बात करके असलियत का पता लगाने की कोशिश करो।'' सुप्रिया के पापा की ऑंखों में ऑंसू भर आए।
सोनिया ने सुप्रिया के कमरे में जाकर उससे बात करने की कोशिश की लेकिन सुप्रिया अपनी बातों को दोहराते हुए रोना शुरू कर देती। बहुत कोशिश करने के बाद भी जब सुप्रिया ने कुछ और नहीं बताया तो सोनिया वापस लौट आई।
''राहुल। तुम सुप्रिया से बात करके देखो। वह तुम्हारी बात सुनती और मानती है। शायद तुम्हें कुछ बता दे।'' सोनिया ने कहा।
राहुल सुप्रिया के कमरे में गया और अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया।
''सुप्रिया। क्या तुम्हें सचमुच ससुराल वाले तंग करते हैं या कोई और बात है। तुम मुझे सबकुछ सच-सच बता सकती हो। मुझसे तुम्हारा दु:ख देखा नहीं जाता। बताओ ........ सुप्रिया ....... बताओ।'' राहुल ने लगभग चिल्लाते हुए पूछा।
सुप्रिया फूट-फूटकर रो पड़ी। राहुल उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था। 
''राहुल, मैं आपके बिना नहीं जी सकती। मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ। मैं यह भी जानती हूँ कि आप मेरी दीदी के पति है और आप कभी भी मेरे नहीं हो सकते। इस बारे में सोचना भी मेरे लिए पाप है। परंतु मैं क्या करूँ, मेरा अपने पर वष नहीं रह गया है।'' सुप्रिया ने राहुल के कंधे पर सिर रखकर रोते  हुए कहा। यह सुनकर राहुल के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। उसे सूझ नहीं रहा था कि वह क्या कहे। प्यार तो वह भी सुप्रिया से करता था लेकिन अब उसकी शादी हो चुकी थी।
''इसका मतलब, तुम्हारे ससुराल वाले जो कह रहे हैं वह सही है। मेरी गलती थी जो मैं तुमसे शादी के बाद भी फोन पर बातें करता रहा। यह तुमने ठीक नहीं किया। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुमने अपने साथ-साथ पीयूष की जिंदगी को भी दाँव पर लगा दिया है। अगर, तुम मुझे पसंद करती हो और मेरे बिना नहीं रह सकती तो इसमें पीयूष और उसके घरवालों तथा तुम्हारे मम्मी-पापा का क्या कसूर है, उन्हें किस लिए सजा दे रही हो।'' राहुल ने सुप्रिया को समझाते हुए कहा।
''यह सब आपको पहले सोचना चाहिए था। आप मेरे इतने करीब ही क्यों आए कि मैं आपके बिना रह ना सकूँ।'' सुप्रिया ने तपाक से जवाब दिया।
राहुल इस चिंता में घुला जा रहा था कि जब सबको यह पता लगेगा कि सुप्रिया यह सब मेरे लिए कर रही है तो क्या होगा। राहुल ने सोनिया से आकर कहा कि सुप्रिया कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। 
पीयूष के पिता ने सुप्रिया के पिता को फोन कर बताया कि उन्होंने टेलीफोन विभाग से पिछले तीन महीनों में किए गए कॉलों का ब्योरा प्राप्त किया है जिसमें से एक नम्बर पर सुप्रिया सबसे अधिक फोन करती थी। यह सुनते ही सुप्रिया के पिता पूरा मामला समझ गए।
सुप्रिया के पिता ने अपनी पत्नी और सोनिया को बताया - ''राहुल ही वह लड़का है जिससे सुप्रिया फोन पर बातें करती थी। शादी से पहले मुझे उन दोनों के बीच के संबंधों पर शक हो गया था इसीलिए मैं सुप्रिया की शादी जल्द-से-जल्द कर देना चाहता था।''
उसी रात को सोनिया अपने कमरे में बैठी रो रही थी तो राहुल ऊपर से आ गया। 
''क्या हुआ? क्यों रो रही हो? सब ठीक हो जाएगा। मैंने सुप्रिया को समझाया है वह जल्द ही ससुराल लौट जाएगी।'' राहुल ने पूछते हुए कहा।
''राहुल। मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी। तुमने मेरे विश्‍वास का खून किया है। मैं तुम्हें पाकर कितनी खुष थी, लगता था कि मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की हूँ। तुमने मुझे मेरे मम्मी-पापा, बहन-भाई और दूसरे रिश्‍तेदारों को मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।'' सोनिया ने ऑंसू पोंछते हुए कहा।
''तुम क्या कहना चाहती हो, साफ-साफ कहो। मैंने ऐसा क्या कर दिया जो इतना कोस रही हो।'' राहुल ने कहा।
''सुप्रिया की इस हालत के लिए आप ही जिम्मेदार हैं। मुझे सब पता चल चुका है। अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं है।'' सोनिया ने कहा।
राहुल टूटने लगा था। उसे विश्‍वास हो गया था कि सोनिया और उसके मम्मी-पापा को सुप्रिया और मेरे बीच के संबंधों का पता चल चुका है।
''सुप्रिया ...... नहीं..... नहीं। सुप्रिया तो नहीं बता सकती। फिर ..... कभी किसी ने हमें एक-साथ देख तो नहीं लिया होगा।'' राहुल मन ही मन सोचने लगा।
''सोनिया। मैं तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का गुनाहगार हूँ। मैं कदापि यह नहीं जानता था कि हमारी भावनाओं से पनपा रिश्‍ता ऐसा तूफान ला देगा। मैं सच कहता हूँ कि अब मेरे मन में सुप्रिया के लिए कोई भावना नहीं है। मुझे माफ कर दो।'' राहुल ने कहा।
''राहुल। तुम मेरे और सुप्रिया दोनों के ही ना हो सके। आज जब सबको पता चल गया है तो सुप्रिया से एकदम पल्ला झाड़ लिया। दोनों में से किसी एक के साथ तो रिश्‍ता निभाया होता।'' सोनिया ने कहा।
''मेरे दिल के सबसे करीब, बचपन से जवानी तक हर बात की राज़दार मेरी बहन सुप्रिया ने ही जब मेरे बारे में नहीं सोचा तो तुमसे क्या शिकवा करूँ। दो पाटों के बीच पिसना तो मुझे ही है। किसी एक को भी मुझ पर दया नहीं आई। मैं आज दोनों रिश्‍तों से मुक्ति चाहती हूँ।'' सोनिया ने कहा।
''सोनिया। तुम अपने-मेरे नहीं तो कम-से-कम हमारे बच्चे लवनीश के बारे में तो सोचो। लवनीश ने क्या कसूर किया है।'' राहुल ने कहा।
''तुम आज जिस बच्चे की दुहाई दे रहे हो उसका ख्याल तुम्हें पहले नहीं आया था। जिस तरह झूठ के पैर नहीं होते, उसी तरह ऐसे रिश्‍तों की उम्र लम्बी नहीं होती। मैं इस रिश्‍ते की बेड़ियों से जल्द-से-जल्द आज़ाद होना चाहती हूँ।'' सोनिया ने जवाब दिया।
अचानक सुप्रिया के कमरे से उसकी माँ की चीख सुनाई दी। राहुल, सोनिया और उसके पापा सुप्रिया के कमरे में पहुँचे तो वहां का मंजर देखकर सन्न रह गए। सुप्रिया बिस्तर पर पड़ी थी। उसकी एक कलाई से खून बह रहा था तो मुँह से झाग निकल रही थी। समझते देर ना लगी कि सुप्रिया ने कलाई की नस काट ली है और जहर खा लिया है। आनन-फानन में सुप्रिया को नजदीक के एक अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टरों ने दो घंटे की जद्दोजह्द के बाद सुप्रिया को बचा लिया। 
''फिक्र करने की कोई बात नहीं है, अब वह खतरे से बाहर है। घंटे भर में होश आ जाएगा तो आप लोग एक-एक कर मिल सकते हैं।'' डॉक्टर ने सुप्रिया के पिता से कहा।
एक घंटे बाद जब सुप्रिया को होश आया तो सबसे पहले सोनिया मिलने के लिए गई। 
''पगली! तुमने हम लोगों के बारे में बिल्कुल नहीं सोचा। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मम्मी-पापा का क्या हाल होता। अगर तुम मुझे पहले बता देती तो मैं अपना पति तुम्हें सौंपने से पीछे नहीं हटती। तुमने भले ही मुझे कभी बहन ना माना हो लेकिन मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। मैं तुम्हें अपना पति सौंपती हूँ। मैं आज ही अपने और तुम्हारे तलाक के कागज़ात तैयार करवाती हूँ। मैं तुम दोनों की शादी करवाऊंगी। मैं राहुल की यादों और अपने बेटे के सहारे जिंदगी काट लूँगी।'' सुप्रिया से ऐसा कहकर सोनिया रो पड़ी।
सुप्रिया की ऑंखों में ऑंसूओं का सैलाब उमड़ आया था। वह सोनिया के पैरों में गिर पड़ी।
''दीदी। मुझे माफ कर दो। रात को मैंने आपके और जीजाजी के बीच हुई सारी बातें सुन ली थीं। मैं अपने स्वार्थ के कारण रिश्‍तों की मर्यादा को भूल गई थी। मैं यह भूल गई थी कि राहुल जब आपका नहीं हो सका तो मेरा क्या होगा। अब तो राहुल के दिल में मेरे लिए कोई भावना भी नहीं रह गई है। भावनाओं के बिना रिश्‍तों की कोई अहमियत नहीं होती। मैं आपके पति को बाँट लेना चाहती थी और आप मुझे अपना पति ही सौंप देना चाहती हैं। मैं अपनी नज़रों में बहुत गिर चुकी हूँ। मुझे मर जाना चाहिए था।'' सुप्रिया ने सोनिया से रो-रोकर कहा।
उसी समय राहुल कमरे में आया। उसने दोनों हाथ जोड़कर सोनिया और सुप्रिया से माफी माँगी। पश्‍चाताप के ऑंसूओं ने राहुल को निर्मल बना दिया था। राहुल ने सोनिया के मम्मी-पापा के चरणों में गिरकर माफी माँगी। सब कुछ ठीक होता देख सोनिया और उसके मम्मी-पापा ने सुप्रिया और राहुल को माफ कर गले से लगा लिया। 
     सुप्रिया मम्मी-पापा तथा दीदी-जीजाजी से विदा लेकर अपने ससुराल चली गई। सुप्रिया ने अपने पति पीयूष और सास-ससुर के पैर पकड़कर माफी मांगी और भविष्य में किसी प्रकार की शिकायत ना देने का भरोसा दिलाया। पीयूष ने सुप्रिया को गले से लगा लिया और उसके मम्मी-पापा ने सुप्रिया के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया। सुप्रिया अपने ससुराल में सभी का विश्‍वास जीत चुकी थी तो राहुल सोनिया के दिल में पहले जैसी जगह बना चुका था। 
एक साल के बाद सुप्रिया और सोनिया ने एक ही दिन और एक ही समय बच्चे को जन्म दिया। सुप्रिया ने एक लड़के को जन्म दिया जिसका नाम आशीष रखा गया और सोनिया ने एक लड़की को जन्म दिया जिसका नाम श्लाका रखा गया।  
(ध्‍यानाकर्षण/डिस्‍कलेमर : यह कहानी मेरी (सुनील भुटानी) मूल रचना है, यदि इस कहानी के किसी पात्र या व्‍यक्ति का नाम एवं परिस्थिति की जीवित या मृत व्‍यक्ति से मेल खाती है तो इसे मात्र संयोग माना जाना चाहिए।)          

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