हिंदी भाषा : परम विचार (सूक्तियाँ)
- ‘‘राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘वास्तव में भारतवर्ष में अंतर-प्रांतीय व्यवहार के लिए उपयुक्त राष्ट्रीय भाषा हिंदी ही है।‘’ - गुरूदेव रवींद्रनाथ ठाकुर
- ‘‘भाषा के माध्यम से संस्कृति सुरक्षित रहती है। चूँकि भारतीय एक होकर सामान्य सांस्कृतिक विकास करने के आकांक्षी हैं, अतः सभी भारतीयों का अनिवार्य कर्तव्य है कि वे हिंदी को अपनी भाषा के रूप में अपनाएँ।‘’ - डॉ. भीमराव अम्बेडकर
- ‘‘राजनीति, वाणिज्य तथा कला के क्षेत्र में देश की अखंडता के लिए हिंदी की महत्ता की ओर सभी भारतीयों को ध्यान देना चाहिए। चाहे वे किसी भी क्षेत्र के रहने वाले और अपनी-अपनी प्रांतीय भाषाएँ बोलने वाले हों।‘’ - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
- ‘‘मेरा नम्र, लेकिन दृढ़ अभिप्राय है कि जब तक हम हिंदी को राष्ट्रीय दर्जा और अपनी-अपनी प्रांतीय भाषाओं को उनका योग्य स्थान नहीं देंगे, तब तक स्वराज्य की सारी बातें निरर्थक हैं।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘हिंदी वह भाषा है, जिसे हिन्दू और मुसलमान दोनों बोलते हैं। यह हिंदी संस्कृतमय नहीं है, न ही एकदम फारसी अल्फ़ाज से लदी है।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘हमारी अदालतों में राष्ट्रीय भाषा और प्रांतीय भाषाओं का प्रचार जरूर होना चाहिए।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘हिंदी द्वारा सारे भारत को एकसूत्र में पिरोया जा सकता है।‘’ - स्वामी दयानंद सरस्वती
- ‘‘मेरी आँखें उस दिन को देखने के लिए तरस रही हैं जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब भारतीय एक ही भाषा को समझने और बोलने लगेंगे।‘’ - स्वामी दयानंद सरस्वती
- ‘‘हिंदी में अखिल भारतीय भाषा बनने की क्षमता है।‘’ - राजा राममोहन राय
- ‘‘अपनी मातृभाषा बांग्ला में लिखकर मैं बंग-बंधु तो हो गया, किंतु भारत-बंधु मैं तभी हो सकूँगा जब भारत की राष्ट्रभाषा में लिखूँगा।‘’ - बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
- ‘‘हिंदी ही ऐसी भाषा है जिसमें हमारे देश की सभी भाषाओं का समन्वय है।‘’ - राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन
- ‘‘राष्ट्रभाषा हिंदी द्वारा ही भारतीय संस्कृति की रक्षा हो सकती है।‘’ - राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन
- ‘‘हिंदी ही एक भाषा है जो भारत में सर्वत्र बोली और समझी जाती है।‘’ – डॉ. ग्रियर्सन
- ‘‘देवनागरी अक्षरों से बढ़कर पूर्ण और उत्तम अक्षर दूसरे नहीं हैं।‘’ - प्रो0 मोनियार विलियम
- ‘‘मानव के मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है।‘’ – जॉन गिल क्राइस्ट
- ‘‘मेरी हिंदी टूटी फूटी है। मैं सब भाइयों से टूटी फूटी हिंदी में ही बोलता हूँ। अंग्रेज़ी बोलने से मुझे पाप लगता है।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘इस देश में हजारो वर्षों से एक संस्कृति है। यहाँ एक भाषा और एक लिपि ही होनी चाहिए।‘’ - सेठ गोविंददास
- ‘‘मैं कहता हूँ कि वह राजभाषा है, राष्ट्रभाषा है। हिंदी के राष्ट्रभाषा/राजभाषा हो जाने के बाद संस्कृत विश्व भाषा बनेगी। अंग्रेज़ी के नाम 15 वर्ष का पट्टा लिखने से राष्ट्र का हित साधन नहीं होगा।‘’ - आर.वी. धुलेकर
- ‘‘अंग्रेज़ी कितनी ही अच्छी हो, किंतु इसे हम सहन नहीं कर सकते।‘’ - पंडित जवाहरलाल नेहरू
- ‘‘संसार में यदि कोई सर्वांगपूर्ण अक्षर हैं तो देवनागरी के हैं।‘’ - आइजक पिटमैन
- ‘‘दुनिया भर में शायद ही ऐसी विकसित साहित्य भाषा हो जो सरलता में और अभिव्यक्ति की क्षमता में हिंदी की बराबरी कर सके।‘’ - फादर कामिल बुल्के
- ‘‘हिंदी सीखे बिना भारतीयों के दिल तक नहीं पहुँचा जा सकता।‘’ – डॉ. लोथार लुत्से
- ‘‘भारत के बारे में वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने के लिए हिंदी भाषा और साहित्य का अध्ययन अनिवार्य है।‘’ - प्रो0 मैकग्रेगर
- ‘‘राष्ट्र की एकता को यदि बनाकर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिंदी ही हो सकती है।‘’ - सुब्रह्मण्यम भारती
- ‘‘राष्ट्रभाषा की जगह एक हिंदी ही ले सकती है, कोई दूसरी भाषा नहीं।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘यदि भारतीय, लोक कला, संस्कृति और राजनीति में एक रहना चाहते हैं, तो इसका माध्यम हिंदी ही हो सकता है।‘’ - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
- ‘‘हिंदी वह धागा है, जो विभिन्न मातृभाषाओं रूपी फूलों को पिरोकर भारत-भाषा के एक सुंदर हार का सृजन करेगा।‘’ - डॉ. ज़ाकिर हुसैन
- ‘‘राष्ट्रीय एकता का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हिंदी है।‘’ – डॉ. ज़ाकिर हुसैन
- ‘‘राष्ट्र के एकीकरण के लिए सर्वमान्य भाषा से अधिक बलशाली कोई तत्व नहीं। मेरे विचार में हिंदी ही ऐसी भाषा है।‘’ - लोकमान्य गंगाधर तिलक
- ‘‘हिंदी की प्रगति को कोई शक्ति नहीं रोक सकती।‘’ - आचार्य विनोबा भावे
- ‘‘देश के सबसे बड़े भू-भाग में बोली जाने वाली हिंदी ही राष्ट्रभाषा पद की अधिकारिणी है।‘’ - नेताजी सुभाषचंद्र बोस
- ‘‘एक दिन हिंदी एशियया ही नहीं, विश्व की पंचायत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।‘’ - गणेश शंकर विद्यार्थी
- ‘‘हम हिंदुस्तानियों का एक ही सूत्र रहे - हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी, हमारी राष्ट्रलिपि नागरी।‘’ - रेहाना तैयब जी
- ‘‘हिंदी भारत की अमर वाणी है, यह स्वतंत्रता और संप्रभुता की गरिमा है।‘’ - माखनलाल चतुर्वेदी
- ‘‘हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।‘’ - महर्षि दयानंद सरस्वती
- आधुनिक भाषाओं के हार की मध्यमणि हिंदी भारत-भारती होकर विराजती रहे।‘’ - रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- ‘‘सबको हिंदी सीखनी चाहिए। इसके द्वारा भाव-विनिमय से सारे भारत को सुविधा होगी।‘’ - चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
- ‘‘देशभर को बांधने के लिए भारत के भिन्न-भिन्न हिस्से एक-दूसरे से संबंधित रहें, इसके लिए हिंदी की जरूरत है।‘’ - पं0 जवाहरलाल नेहरू
- ‘‘हिंदी ही ऐसी भाषा है जिसमें हमारे देश की सभी भाषाओं का समन्वय है।‘’- राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन
- ‘‘हिंदी की प्रगति से देश की सभी भाषाओं की प्रगति होगी।‘’ – डॉ. जाकिर हुसैन
- ‘‘राष्ट्रभाषा किसी व्यक्ति या प्रान्त की सम्पत्ति नहीं है, इस पर सारे देश का अधिकार है।‘’ - सरदार वल्लभ भाई पटेल
- ‘‘राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘राजकाज विदेशी भाषा में चलता हो, हमारे विचारों और शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा हो, ऐसी स्थिति स्वराज्य में नहीं हो सकती।‘’ - सरदार वल्लभ भाई पटेल
- ‘‘यदि अंग्रेज़ी अच्छी है और उसे बनाए रखना चाहिए तो अंग्रेज़ भी अच्छे थे, उन्हें भी राज्य करने बुला लीजिए।‘’ - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
- ‘‘किसी दूसरी भाषा को जानना सम्मान की बात है, लेकिन दूसरी भाषा को अपनी राष्ट्रभाषा के बराबर दर्जा देना शर्म की बात है।‘’ - महादेवी वर्मा
- ‘‘जब तक आपके पास राष्ट्रभाषा नहीं, आपका कोई राष्ट्र भी नहीं।‘’ - मुंशी प्रेमचन्द
- ‘‘हिंदी के बिना राष्ट्र गूँगा है।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘दुनिया को कह दो गांधी अंग्रेज़ी नहीं जानता।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘लाखों लोगों को अंग्रेज़ी का ज्ञान कराना उन्हें गुलाम बनाना है। मैकाले ने भारत में जिस शिक्षा की नींव रखी, उसने हम सबको गुलाम बना दिया।‘’ - महात्मा गांधी
- ‘‘संस्कृतनिष्ठ हिंदी को ही हर हालत में राष्ट्रभाषा बनना चाहिए। मुसलमान लोगों को प्रसन्न करने के लिए हिंदी को विकृत करने की आवश्यकता नहीं। हिंदी से संस्कृत शब्दों का बहिष्कार उचित नहीं है।‘’ - वीर सावरकर
- ‘‘हिंदी भविष्य के भारत की राजभाषा होगी और हमें अभी से उसे सीखना शुरू कर देना चाहिए।‘’ - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
- ‘‘सभी दक्षिणवालों को हिंदी सीखनी चाहिए, क्योंकि भारत में किसी भी प्रकार की जनतांत्रिक सरकार बनेगी तो हिंदी ही केवल राजकीय भाषा हो सकेगी।‘’ - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
- ‘‘हिंदी सीखने का कार्य एक ऐसा त्याग है जिसे दक्षिण भारत के निवासियों को राष्ट्र की एकता के हित में करना चाहिए।‘’ - एनी बेसेंट
- ‘‘हिंदी ही सम्पूर्ण भारत की एक उपयुक्त भाषा है।‘’ - जवाहरलाल नेहरू
- ‘‘स्वदेशाभिमान को स्थिर रखने के लिए हमें हिंदी सीखना आवश्यक है।‘’ - महात्मा गांधी
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