गंगा-यमुना सौंदर्यकरण
अगले 3-5 वर्षों मे गंगा और यमुना नदी पूरी तरह साफ की जा सकती है। गंगा और यमुना नदी के किनारे बसे शहरों/गांवों को इन नदियों
का निर्मल जल मिल सकता है। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बनने वाले
रिजॉर्टों/पार्कों/पर्यटन स्थलों पर देश-विदेश के लोग घूमने के लिए आ सकते हैं।
इन नदियों में छोटी-बड़ी नावों/जहाजों के द्वारा सामान इन नदियों के तटवर्ती
शहरों/कस्बों/गांवों तक पहुंचाया जा सकता है।
शायद आप मेरी ऊपर कही बातों पर मुस्कुरा रहे होंगे ... लेकिन ऐसा हो सकता है।
गंगा और यमुना नदियों के मौजूदा पाटों यानि चौड़ाई को कम करने के साथ-साथ इन
नदियों की गहराई बढ़ाकर ऐसा किया जा सकता है। ऐसा करने से मौजूदा अत्यधिक चौड़े
पाटों की हजारों एकड़ जमीन उपयोग में लाया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों के प्रमुख
स्थलों पर इन नदियों के दोनों किनारों को मजबूत दीवारों से बांधा जा सकता है और
पर्यटन स्थल विकसित किए जा सकते हैं। इस कार्य-योजना में शुरूआती तौर पर कम से कम
3-5 लाख करोड़ की राशि खर्च हो सकती है, इसलिए इस कार्य-योजना को पीपीपी यानि पब्लिक प्राइवेट
पार्टनरशिप के द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है। इस कार्य-योजना में शिपिंग
कम्पनियों, ड्रेजिंग (जलमार्गो को समुद्री जहाजों
के अनुकूल गहरा करने की प्रक्रिया) करने वाली कम्पनियों, पत्तन न्यासों (पोर्ट
ट्रस्टों), जल संसाधन एवं वित्तीय
मामलों से जुड़े सरकारी विभागों की प्रमुख भूमिका होगी।
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