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Wednesday 30 September 2020

अंतरराष्‍ट्रीय अनुवाद दिवस – 2020

अंतरराष्‍ट्रीय अनुवाद दिवस – 2020 

अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग, सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानवाधिकारों तथा विश्‍व शांति के उद्देश्‍यों को लेकर 24 अक्‍तूबर 1945 को स्‍थापित सर्वोच्‍च वैश्विक संस्‍था संयुक्‍त राष्‍ट्र (यूएन) के 193 सदस्‍य देश हैं। यूएन को विश्‍व संसद भी कहा जाता है। इस विश्‍व संसद में बनाये जाने वाले कानून और नियम इस संस्‍था के सभी सदस्‍य-देशों पर लागू होते हैं। इस संस्‍था के सभी सदस्‍य-देशों की अपनी-अपनी राजभाषा है जिसमें उनके देश की शासन व्‍यवस्‍था काम करती है। प्रत्‍येक सदस्‍य-देश की राजभाषा इस संस्‍था की राजभाषा हो ऐसा व्‍यावहारिक रूप से संभव नहीं है। फलस्‍वरूप, वर्तमान में यूएन की छह राजभाषाएँ हैं – अरबी, चीनी (मंदारिन), अंग्रेज़ी, फ्रेंच, रूसी और स्‍पेनिश। यूएन का कामकाज इन छह भाषाओं के भाषांतरकारों और अनुवादकों की सहायता से किया जाता है। यूएन की बैठकों में इसके सदस्‍य-देशों के प्रतिनिधि अपनी-अपनी भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकते हैं। लेकिन, यदि किसी सदस्‍य-देश का प्रतिनिधि यूएन की आधिकारिक छह भाषाओं से इतर किसी अन्‍य भाषा में अपना वक्‍तव्‍य देता है तो संबंधित देश के अधिकारियों द्वारा उस वक्‍तव्‍य का यूएन की छह भाषाओं में से किसी एक भाषा में वक्‍तव्‍य का लिखित पाठ यूएन सचिवालय को उपलब्‍ध करवाना होता है। ऐसे प्रतिनिधियों के वक्‍तव्‍य भाषांतरकारों के माध्‍यम से यूएन की छह भाषाओं में समानांतर रूप से उपलब्‍ध करवाये जाते हैं। यूएन की बैठकों में वक्‍तव्‍य देने वाले सदस्‍य-देशों के प्रतिनिधियों के वक्‍तव्‍यों को यूएन की भाषाओं में लिखित एवं ऑडियो रूप में संग्रहीत किया जाता है।


इस तरह, वैश्विक संस्‍था यूएन अनुवाद के माध्‍यम से सभी सदस्‍य देशों को एक मंच पर स्‍थापित किए हुए है। यूएन की प्रासंगिकता एवं सफलता में अनुवाद की भूमिका को स्‍वीकार करते हुए, यूएन की आम सभा ने 24 मई 2017 को एक संकल्‍प (सं. 71/288) अंगीकृत करते हुए अनुवादकों के संरक्षक संत माने जाने वाले बाइबिल के अनुवादक संत जेरोम की पुण्‍यतिथि 30 सितंबर को अंतरराष्‍ट्रीय अनुवाद दिवस घोषित किया था। आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि यूएन विश्‍व में भाषा एवं अनुवाद से जुड़े विशेषज्ञों के सबसे बड़े नियोक्‍ताओं में से एक है। 


बहुभाषा-भाषी विश्‍व के देशों के बीच परस्‍पर राजनयिक, सांस्‍कृतिक एवं व्‍यापारिक संबंधों के निर्माण में अनुवादक और भाषांतरकार महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। बाइबिल में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में संपूर्ण विश्‍व में एक ही भाषा और बोली थी और लोग संगठित होकर असंभव को संभव बनाने में सफलता पाने की ओर बढ़ रहे थे तो परमेश्‍वर ने एकभाषी मनुष्‍य जाति के बीच भाषा और स्‍थान भेद पैदा कर दिया और फलस्‍वरूप विश्‍व में अनेक भाषाओं और बोलियों का उदय हुआ। यदि हम इस घटना को स्‍वीकार करते हैं तो विश्‍व के बहुभाषी लोगों को आपस में वापिस एकसू्त्र में पिरोने का चमत्‍कारी कार्य अनुवादकों और भाषांतरकारों के माध्‍यम से संपन्‍न हो रहा है। अत: विश्‍व के अनुवादक और भाषांतरकार प्रशंसा और सम्‍मान के पात्र हैं। 


यदि हम अंतरराष्‍ट्रीय अनुवाद दिवस को भारतीय परिप्रेक्ष्‍य में देखें तो पाएंगे कि भाषायी दृष्टि से भारत स्‍वयं में ही एक संपूर्ण विश्‍व है। भारत में अनेकानेक भाषाएँ और बोलियां बोली जाती हैं। भारत के विभिन्‍न भाषाओं के बोलने वाले लोगों को आपस में जोड़ने का कार्य अनुवादक और भाषांतरकार कर रहे हैं।  विश्‍व व्‍यापार के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में शुमार है। भारत की कंपनियां विश्‍व की अनेक कंपनियों के साथ व्‍यापार कर देश के विदेशी मुद्रा भंडार को भरने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। भारतीय तथा बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों ने अनुवाद और भाषांतरण का सबसे अधिक सहारा लिया है। आज देश-विदेश की बड़ी कंपनियां अपने ग्राहकों की भाषा में अपने उत्‍पाद बेचकर मुनाफ़ा कमा रही हैं। व्‍यापारियों की भाषा होती है पैसा, उन्‍हें जिस भाषा के माध्‍यम से ज्‍यादा मुनाफ़ा होगा वे उसी भाषा में व्‍यापार करेंगे। यही कारण है कि आज मीडिया के सभी माध्‍यमों पर हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विज्ञापनों की भरमार है। अत: यदि अनुवादकों और भाषांतरकारों को भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की संपन्‍नता के रथ का सारथी कहा जाए तो अतिश्‍योक्ति नहीं होगी। भारत में राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, शैक्षणिक, साहित्यिक, बौद्धिक, सामाजिक, रोज़गार आदि क्षेत्रों की व्‍यवस्‍था का प्रबंधन अनुवादकों एवं भाषांतरकारों के योगदान से ही संभव हो रहा है। 



इस तरह जब भारत सहित विश्‍व के सर्वांगीण विकास में अनुवादकों और भाषांतरकारों की भूमिका सिद्ध हो चुकी है तो कुशल अनुवादकों एवं भाषांतरकारों के निर्माण और उनके कल्‍याण के लिए निम्‍नलिखित कदम उठाये जाने की आवश्‍यकता है:-

1. शैक्षणिक संस्‍थानों द्वारा अनुवाद एवं भाषांतरण के पाठ्यक्रम व्‍यवहारपरक और भारत सहित विश्‍व बाज़ार की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए तैयार किए जाने चाहिएं। इसके साथ ही, इन पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को इंटर्नशिप करवाई जानी चाहिए और तकनीकी ज्ञान दिया जाना चाहिए।

2.  भारत सहित विश्‍व के अनुवादकों एवं भाषांतरकारों का राष्‍ट्रीय/वैश्विक रजिस्‍टर बनाया जाना चाहिए ताकि सेवा-प्राप्‍तकर्ताओं और सेवा-प्रदाताओं के बीच सीधे संपर्क स्‍थापित किया जा सके।

3. भाषा एवं अनुवाद-सेवी संस्‍थाओं की स्‍वायत्‍ता को बनाये रखते हुए उनका परिसंघ बनाये जाने की आवश्‍यकता है ताकि अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण मामलों में सर्वसम्‍मति बनाई जा सके।

4. शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री और प्रतियो‍गी परीक्षाओं के प्रश्‍नपत्रों के उत्‍कृष्‍ट सुनिश्चित किए जाने चाहिएं ताकि विद्यार्थी और रोज़गार की दौड़ में शामिल अभ्‍यर्थी दोनों अपनी-अपनी पसंद की भाषाओं के माध्‍यम से शिक्षा और रोज़गार प्राप्‍त कर सकें।

5. अनुवाद एवं भाषांतरण और अनुवादकों एवं भाषांतरकारों से जुड़ी सभी जानकारियां एक ही वैश्विक मंच (वेबसाइट) पर उपलब्‍ध होनी चाहिएं जिनमें पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्‍थानों की जानकारी, इंटर्नशिप करवाने वाली संस्‍थाओं की जानकारी, निजी एवं सरकारी क्षेत्रों में अंशकालिक एवं पूर्णकालिक भर्ती तथा स्‍वतंत्र (फ्रीलांस) कार्य के विज्ञापन, सभी भाषाओं एवं क्षेत्रों के शब्‍दकोश एवं मानक शब्‍दावलियां आदि।

अत: अंतरराष्‍ट्रीय अनुवाद दिवस-2020 के अवसर पर यूएन में भारत सहित विश्‍व के सभी सदस्‍य देशों को अनुवाद एवं भाषांतरण के क्षेत्र में विकास और कुशल अनुवादकों एवं भाषांतरकारों के निर्माण एवं कल्‍याण के लिए महत्‍वपूर्ण कदम उठाने चाहिएं। भारत सहित विश्‍व के सभी देशों में यह दिन भव्‍य तरीके से मनाया जाना चाहिए ताकि विश्‍व के लोगों का ध्‍यान आकर्षित किया जा सके और वे अनुवादकों और भाषांतरकारों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट कर सकें।


सुनील भुटानी रूद्राक्ष

अनुवादक-लेखक-संपादक-प्रशिक्षक

ईमेल: sunilbhutani2020@gmail.com 

मोबाइल/व्‍ह्टसअप नं.: 9868896503

यूटयूब चैनल: ‘’रूद्राक्ष – RUDRAKSHA” (https://www.youtube.com/watch?v=TcoMNYtBjLs&t=47s)