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Wednesday 12 October 2016

हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएँ बनाम इंग्लिश



हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएँ बनाम इंग्लिश


            भारत की राष्‍ट्रभाषा, संघ तथा संघ शासित क्षेत्रों एवं अनेक राज्यों की राजभाषा विश्‍व की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा, भारत की अधिकांश आबादी द्वारा बोली और समझी जाने वाली और विश्‍व के कई अन्य देशों में अपना परचम फहरा चुकी संस्कृत-पुत्री हिंदी का भविष्‍य निस्संदेह उज्जवल है। वर्तमान में, देश के लगभग 5 प्रतिशत से भी कम हिंग्लिष-भाषी लोग देश की 95 प्रतिशत से अधिक हिंदी एवं हिंदीत्तर-भाषी लोगों पर हावी होने की कोशिश कर रहे प्रतीत होते हैं। यह लगभग 5 प्रतिशत हिंग्लिष-भाषी लोग अंग्रेज़ी के माध्यम से भारत को इंडिया और इंडिया को अमेरिका के समान विकसित राष्‍ट्र बनाने की कल्पना करते हैं। देश का प्रत्येक नागरिक भारत को एक विकसित राष्‍ट्र बनते देखना चाहता है। हमें भारत को वह पुरातन भारत बनाना है जो सोने की चिड़िया कहलाता था। जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था उस समय देश में इंग्लिश-हिंग्लिश भाषा नहीं बल्कि हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएं ही विद्यमान थीं। वर्तमान के विकसित राष्‍ट्र अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, रूस, जर्मनी आदि तथा अरब देशों ने अपनी-अपनी भाषा के माध्यम से ही अपनी वर्तमान हैसियत बनाई है। यदि किसी विदेशी भाषा को अपनाकर ही विकास की ऊँचाईयों को छुआ जा सकता तो आज के विकसित राष्‍ट्र, विकसित नहीं अपितु विकासशील देश होने चाहिए थें। देश के हिंग्लिश-भाषी लोगों का कहना है कि अंग्रेज़ी रोज़गार एवं विकास की भाषा है, हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से रोज़गार एवं विकास प्राप्त नहीं किया जा सकता। केवल इंग्लिश ही रोज़गार, व्यापार एवं विकास की भाषा नहीं है। अंग्रेज़ी अंतर्राष्‍ट्रीय भाषा भी नहीं है, जैसी कि आम धारणा है। 

            प्रकाशन जगत की अग्रणी संस्था पेंग्विन, जोकि केवल अंग्रेज़ी पुस्तकों का प्रकाशन करती थी, ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी पुस्तकों का प्रकाशन प्रारंभ कर दिया है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्षेत्र की प्रतिष्ठित माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में कार्य करने में समर्थ साफ्टवेयर बाज़ार में ला चुकी है। मोबाइल फोन की अग्रणी कम्पनियाँ अपने मोबाइलों में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। सेटेलाइट चैनलों में अधिकांश चैनल हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। सेटेलाइट स्पोटर्स चैनलों ने अपने अधिकांश कार्यक्रम हिंदी में दिखाने शुरू कर दिए हैं, मैचों के सीधे प्रसारण के दौरान हिंदी में कमेंट्री सुनने की सुविधा उपलब्ध करवाई है। मुख्यतः व्यापार जगत की खबरें देने के लिए कई हिंदी चैनल मैदान में उतर चुके हैं। हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के सेटेलाइट मनोरंजन चैनलों की भरमार है। रेडियो को पुर्नजीवित करने वाले एफ.एम. चैनल हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के गीतों को हिंग्लिश में लफ्फाज़ी के साथ प्रसारित करते हैं। सेटेलाइट म्यूज़िक चैनलों के वी.जे. हिंग्लिश भाषा का प्रयोग करते हैं। देश में इंग्लिश धारावाहिकों अथवा फिल्मों का निर्माण करने के लिए कोई निर्माता-निर्देशक साहस करने को तैयार नहीं है जिस किसी निर्माता-निर्देशक ने ऐसा प्रयास किया भी तो वे अपनी फिल्मों के लिए दर्शक ढूंढते रह गए और उन्होंने दोबारा ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटाई। देशी-विदेशी कम्पनियों का कोई भी इंग्लिश विज्ञापन हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के जुमलों के बिना पूरा ही नहीं होता।

            हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएं रोज़गार, व्यापार एवं विकास की भाषा है। देशी-विदेशी कम्पनियों द्वारा हिंदी एवं हिंदीत्तर भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल उनकी व्यावसायिक जरूरत है। व्यवसायी को बिज़नेस और रुपयों/डॉलरों से मतलब है न कि किसी भाषा से। उन्हें जिस भाषा के उपयोग से अधिक व्यापार मिलेगा वह उसी भाषा का इस्तेमाल करेंगे, फिर चाहे वह भाषा हिंदी अथवा हिंदीत्तर भारतीय भाषा ही क्यों न हो। व्यवसायियों की अपनी कोई भाषा नहीं होती है।

            रोज़गार, व्यापार, विकास एवं आम बोलचाल की भाषा हिंदी की सरकारी कार्यालयों में भी पकड़ मजबूत हुई है। सर्वविदित है कि भारतीय संविधान में हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। हिंदीत्तर क्षेत्रों में स्थित भारत संघ के कार्यालयों में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी भी हिंदी में कार्य करने में रूचि ले रहे हैं। सरकारी वेबसाइट इंग्लिश के साथ-साथ हिंदी में भी तैयार की जा रही हैं। भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय अथवा विभाग से संबंधित जानकारी वेबसाइट पर हिंदी एवं अंग्रेज़ी में उपलब्ध है अथवा उपलब्ध करवाने की तैयारी की जा रही है। हिंदीत्तर भाषी लोग हिंदी में कार्य कर सरकार द्वारा चलाई जा रही हिंदी प्रोत्साहन योजनाओं का खूब लाभ उठा रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में हिंदी में कार्य करने के लिए बुनियादी ढाँचा मज़बूत हुआ है। टाइपिस्टों को कंप्यूटर पर हिंदी में कार्य करने और आशुलिपिकों को हिंदी में आशुलेखन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गृह मंत्रालय, भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी किए जाने वाले वार्षिक कार्यक्रम में हिंदी में कार्य करने के लिए उल्लिखित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। राजभाषा विभाग द्वारा ऑन-लाइन हिंदी प्रशिक्षण एवं मशीनी अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। सरकारी कार्यालयों में हिंदी प्रयोग में हो रही निरंतर वृद्धि को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रमुख साफ्टवेयर कम्पनियाँ एक-से-एक आधुनिक हिंदी साफ्टवेयर बाज़ार में उतार रही हैं। इस दिशा में विश्‍व की प्रमुख साफ्टवेयर कम्पनी माइक्रोसाफ्ट और सी-डेक की पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

            वह दिन भी दूर नहीं है जब हिंदी संयुक्त राष्‍ट्र की भाषा होगी। हिंदी को संयुक्त राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने की दिशा में प्रयासों को गति प्रदान की गई है। भारत सरकार की मदद से मॉरीशस में एक हिंदी सचिवालय की स्थापना की गई है। वर्तमान में इंग्लिश, रूसी, फ्रेंच, चीनी, अरबी और स्पेनिश संयुक्त राष्‍ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं। इनमें इंग्लिश, रूसी, फ्रेंच और चीनी भाषा तो सुरक्षा परिषद् के पाँच स्थाई सदस्य देशों अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस तथा चीन की राष्‍ट्रभाषा है। अरबी और स्पेनिश भाषा को उनके कई देशों में प्रचलन को ध्यान में रखकर आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल किया गया है। इसी आधार पर भारत हिंदी को संयुक्त राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषा बनाए जाने की दावेदारी कर रहा है। हिंदी को संयुक्त राष्‍ट्र की भाषा बनवाने के लिए गैर-सरकार स्तर पर भी प्रयास तेज हो गए हैं। 

            हिंदी को संयुक्त राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के लिए सरकारी प्रयासों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग भी अपने-अपने भाषायी कर्तव्य का निवर्हन करें तो यह कार्य अपेक्षित समयावधि से पहले पूरा हो सकता है। भारतीय राजनेता को आधिकारिक विदेश यात्राओं के दौरान हिंदी में बातचीत कर रहे हैं। मीडिया के समक्ष संयुक्त वक्तव्य जारी किए जाने के समय राष्‍ट्रभाषा हिंदी का उपयोग किया जा रहा है। अब रूस, चीन, जापान, फ्रांस, अमेरिकी, कोरिया, अरब देशों के प्रधान मंत्री अथवा राष्‍ट्रपति अपने विदेश दौरों के दौरान अपनी-अपनी राष्‍ट्रभाषा में बातचीत और मीडिया के समक्ष वक्तव्य दे रहे हैं तो भारतीय राजनेता भी ऐसा ही कर रहे हैं। 

            हिंदी फिल्म उद्योग की राष्‍ट्रभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय हिंदी फिल्मों और गीतों के प्रशंसक विश्‍वभर में हैं। जो व्यक्ति हिंदी भाषा नहीं जानता है वह भी हिंदी फिल्मों और गीतों का आनंद लेता है। ऐसे अनेक उदाहरण है जब किसी विदेशी ने हिंदी फिल्मों और गीतों को समझने के लिए हिंदी भाषा सीखी है। हालीवुड के समकक्ष बॉलीवुड के कलाकार विदेश में स्टेज़ शो करते हैं। हिंदी गीतों की धुन पर विदेशी लोगों को थिरकने के लिए मज़बूर कर देते हैं। बॉलीवुड के कलाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे हिंदी फिल्मों के नायक अथवा नायिका होने के नाते सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिंदी भाषा में अपने विचार प्रस्तुत करें। देश-विदेश के लोग जब इन कलाकारों द्वारा अभिनीत हिंदी फिल्में देख एवं समझ सकते हैं तो कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचार भी अवश्‍य समझेंगे। ऐसा भी नहीं हो सकता है कि हिंदी फिल्मों के महानायक अथवा महानायिकाएँ हिंदी में अपने विचार प्रस्तुत न कर सकें। यदि बॉलीवुड अर्थात हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कलाकार, निर्माता-निर्देशक, फिल्म विश्‍लेषक आदि अपनी फिल्मों एवं राष्‍ट्र की भाषा हिंदी को उचित स्थान प्रदान कर दें तो हिंदी को राष्‍ट्रभाषा के साथ-साथ विश्‍वभाषा बनने से कोई नहीं रोक सकता। 

            हिंदी के लिए सबसे वैज्ञानिक और प्राकृतिक देवनागरी लिपि इस्तेमाल की जाती है। हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द मूलतः संस्कृत से लिए गए हैं। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। हिंदी ने लचीला रूख अपनाते हुए विभिन्न भारतीय एवं विदेशी भाषाओं के अनेक शब्दों को ज्यों का त्यों अपने में समाहित किया है और इस दिशा में निरन्तर प्रयासरत है।

            निष्‍कर्षत: भारत की राष्‍ट्रभाषा, संघ तथा अनेक राज्यों की राजभाषा; रोज़गार, व्यापार एवं विकास की भाषा; संयुक्त राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषा के लिए दावेदार एकमात्र दक्षिण एशियाई भाषा हिंदी का भविष्‍य उज्जवल है। राष्‍ट्र के प्रत्येक व्यक्ति से उसका भाषायी कर्तव्य निवर्हन अपेक्षित है।


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