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Saturday, 15 October 2016

गीतकार भी है अब साहित्‍यकार ....



गीतकार भी है अब साहित्‍यकार ....

75 वर्षीय Bob Dylan को वर्ष 2016 को साहित्‍य में नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया है। श्री बॉब एक सुप्रसिद्ध गीतकार एवं संगीतकार हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी गीतकार को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार दिया गया है। इस बार का साहित्‍य नोबेल पुरस्‍कार कई मायनों में बेहद खास है। साहित्‍य जगत में गीतकारों के लिए दरवाज़े खोल दिए गए हैं। हालांकि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन कोई बात नहीं ... देर आए दुरूस्‍त आए। किसी भी देश की किसी भाषा के प्रचार-प्रसार में उस भाषा के गीतों एवं संगीत का बहुत बड़ा योगदान होता है। साहित्‍य और भाषा एक-दूसरे के पूरक हैं। भाषा बिना साहित्‍य और साहित्‍य बिना भाषा अधूरी है।

      भारतीय परिप्रेक्ष्‍य में, गीतकार को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार दिया जाना एक बहुत ही क्रांतिकारी घटना है। भाषाओं एवं साहित्‍य के मामले में, भारत विश्‍व का एक निराला देश है। विश्‍व का कोई भी देश भारत जैसा बहुभाषा-भाषी नहीं है। हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं के अनेक गीतकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं के माध्‍यम से गीतों की भाषा को शिखर पर पहुंचाया है। आज अगर हिंदी देश-विदेश में इतनी अधिक प्रचारित-प्रसारित एवं दिलों में राज़ कर रही है तो इसका एक बहुत बड़ा श्रेय गीतकारों को जाता है। गीतकारों द्वारा मनमोहक एवं सटीक शब्‍दों से पिरोयी गई माला रूपी गीतों ने हिंदी सिनेमा जगत (बॉलीवुड) के साथ मिलकर हिंदी भाषा एवं साहित्‍य को लोगों के दिलो-दिमाग तक पहुंचाया है। यदि बहुत पहले से गीतकारों को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार प्रदान करने की परंपरा होती तो गुलज़ार, जावेद अख्‍़तर, गोपाल दास नीरज, प्रसुन्‍न जोशी जैसे हिंदी के महान गीतकार साहित्‍य के नोबेल पुरस्‍कार की दौड़ में दौड़कर हिंदी को एक नई ऊंचाई प्रदान कर चुके होते।
     
      एक गीतकार को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार दिए जाने पर वैश्विक साहित्‍य जगत में चर्चा शुरू हो गई है। भारतीय साहित्‍य जगत ने गीतकारों को वह सम्‍मान और ओहदा नहीं दिया जिसके वे हक़दार थे। गीत-संगीत और हिंदी सिनेमा जगत (बॉलीवुड) एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं तो भारतीय समाज इन दोनों (गीत-संगीत और हिंदी सिनेमा जगत) के बिना अधूरा है। अब हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं के साहित्‍य जगत को चाहिए कि वे गीतकारों का अपने-अपने साहित्‍य जगत में खैर-मद्दम (स्‍वागत) करें और उन्‍हें उसी प्रकार पुरस्‍कृत एवं सम्‍मानित करें जिस तरह अन्‍य विधाओं के साहित्‍यकारों को पुरस्‍कृत-सम्‍मानित किया जाता है। साहित्‍य-जगत की सबसे बड़ी संस्‍था साहित्‍य अकादमी को इसकी शुरूआत करनी होगी जिसका अनुकरण अन्‍य प्रतिष्ठित एवं प्रगतिशील साहित्यिक संस्‍थाओं द्वारा किया जाना निश्चित है।

      गीतकार Bob Dylan को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार प्रदान करने निर्णय लेने वाली निर्णायक समिति और नोबेल पुरस्‍कार प्रदान करने वाली संस्‍था एक अविस्‍मरणीय एवं अनुकरणीय निर्णय के लिए बहुत-बहुत बधाई की पात्र है। मुझे पूरा विश्‍वास है कि भारतीय साहित्यिक संस्‍थाएं भी जल्‍द ही साहित्यिक जगत की गीत विधा के रचनाकारों को भी पुरस्‍कृत एवं सम्‍मानित करना प्रारंभ कर देंगी।


© सर्वाधिकार लेखकाधीन सुरक्षित हैं।






2 comments:

  1. बहुत अच्छा लगा भुटानी जी।अब हमारे देश में भी सोचने के लिए मजबूर होंगे।

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    1. बहुत धन्‍यवाद प्रमोद जी .... आपकी सकारात्‍मक प्रतिक्रिया के लिए। इसी प्रकार उत्‍साहवर्धन करते रहिएगा ... अच्‍छा लगेगा।

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