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Wednesday, 12 October 2016

अम्लता (ACIDITY) की प्राकृतिक चिकित्‍सा / Naturopathy Treatment of ACIDITY



अम्लता (ACIDITY)

लक्षण (SYMPTOMS)

1.            पेट में जलन होना।
2.            मिचली आना।
3.            उल्टी और खट्टे डकार आना।

कारण – (CAUSES)  

1.            कब्ज का रहना।
2.            मानसिक तनाव होना।
3.            चिन्ता करना।
4.            तला भुना खाना।
5.            ज्यादा मसालेदार भोजन खाना।
6.            काफी, चाय, शराब, धुम्रपान, तम्बाकू, गुटका आदि का सेवन।
7.            चीनी और नमक का अधिक उपयोग करना।

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार – (NATUROPATHY TREATMENT)

1.           गाजर, खीरा, पत्ता गोभी, लौकी, पेठा आदि सब्जियों के जूस पर सप्ताह में एक बार  
       उपवास करना है।
2.            एक सप्ताह से तीन सप्ताह तक केवल फल, सलाद तथा अंकुरित अन्न खाना है।
3.            चीनी और नमक का प्रयोग नहीं करना है।
4.            भोजन अच्छी तरह चबाकर खाना है।
5.            प्रतिदिन नारियल पानी, नींबू-शहद का पानी, फलों के जूस, सब्जियों के जूस आदि का  
       सेवन करें।
6.            गाजर, पत्तागोभी और गेहूँ के ज्वारे का जूस विशेष रूप से लाभकारी होता है।
7.            इलायची का सेवन करें।
8.            ताजे आंवले का रस या आंवले का चूर्ण तथा थोड़ी हल्दी शहद में मिलाकर चाटें।
9.            काफी मात्रा में गुनगुना पानी पीयें।
10.          पाँच तुलसी के पत्ते रोज़ खायें।
11.          सूर्य किरणों में रखा हुआ आसमानी बोतल का पानी दो-दो घंटे पर पियें।
12.          भोजन के बाद पेशाब करके वज्रासन में बैठें।
13.          प्रत्येक भोजन के बाद एक इलायची और एक लौंग खायें।
14.          प्रतिदिन एनिमा एवं कुंजल करें।
15.          स्नान से पहले सूखा घर्शण (सूखे तौलिये से शरीर को रगड़ना) करें।
16.          खुली हवा में लम्बी-गहरी साँस लें।
17.          पेट पर मिट्टी पट्टी, कटिस्नान, पेट पर गर्म ठंडा सेंक, गर्म पाद (पांव) स्नान।
18.          सप्ताह में एक बार गीली चादर की लपेट लें।
19.          छाती में ज्यादा जलन हो तो तकिया ऊँचा करें।

क्या न करें (DON’Ts)

दूध का प्रयोग नहीं करें क्योंकि दूध एक बार तो जलन को शांत कर देता है लेकिन दूध को हजम करने के लिए पेट को अधिक तेजाब बनाना पड़ता है।

एलोपेथिक दवाईयों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि दवाईयों द्वारा अस्थाई रूप से दबाया गया अम्लता (एसिडिटी) का रोग बाद में अल्सर बन जाता है और नेत्र रोग एवं हृदय रोग का मुख्य कारण बन जाता है।

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