हार्निया रोग :
कारण एवं प्राकृतिक उपचार
हर्निया
रोग:
आंत के उतरने अथवा अंत्रवृद्धि को हर्निया कहते हैं।
हर्निया
के कारण:
शरीर की कमजोरी खासतौर पर पेडू में विकृत (वेस्ट) पदार्थों का अनावश्यक भार
पड़ने के परिणामस्वरूप तलपेट (पेट के निचले हिस्से) की मांसपेशियों के कमजोर
होने की वजह से यह रोग होता है।
2. नीचे दिए गए कारणों से धक्का खाकर या भार से दबकर उदरावरण यानि Peritoneum (जिसमें पेट के सभी पाचन यंत्र होते हैं, जिनसे भोजन पचता है) आंत के साथ नीचे लटक आता है, इसे ही हार्निया या आंत उतरना कहते हैं –
- कब्ज होने पर मल (स्टूल) के दबाव से
- ज्यादा कठिन व्यायाम (एक्सरसाइज) करने से
- खांसी, छींक, जोर से हंसने, चीखने, कूदने या टॉयलेट में शौच के समय जोर
- लगाने से
- पेट में गैस बहुत अधिक बढ़ जाने से
- मल (स्टूल) या मूत्र (यूरिन) के प्रेशर को रोकने से
- भारी बोझ उठाने से
- अधिक पैदल चलने से
- शरीर को अनावश्यक टेढ़ा-मेढ़ा करने से
- भोजन संबंधी गड़बड़ी या मद्यपान के कारण पेश की मांसपेशियों के फूल जाने से।
3. हार्निया का दौरा पड़ने पर बहुत ज्यादा दर्द होता है।
4. कभी कभी आंत उतरने पर मरीज को दर्द भी नहीं होता है, वह धीरे से अपनी आंत फिर ऊपर चढ़ा लेता है।
5. आंत उतरने की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, कभी कभी अचानक दौरा भी पड़ता है।
हार्निया
का इलाज:
1.
हार्निया
का दौरा पड़ने पर तुरन्त मरीज को तत्काल शीर्षासन की स्थिति में आ जाना चाहिए या
सीधे लेटकर और नितम्ब (हिप) को ऊंचा उठाकर उस हिस्से (यानि हार्निया के दर्द
वाले हिस्से) को अंगुलियों से सहलाना या दबाना चाहिए। ऐसा करने से आंत वापिस अपनी
जगह पर चली जाती है।
2.
हार्निया
का दौरा पड़ने पर उपवास और विश्राम करना चाहिए।
3.
शरीर
में जमा गैस को निकालने का प्रयास करना चाहिए।
4.
हर्निया
की बेल्ट के नियमित इस्तेमाल से हार्निया के पड़ने वाले दौरों से बचा जा सकता
है। यह बेल्ट सुबह से रात तक पहनी जा सकती है लेकिन रात को सोते समय बेल्ट उतार
देनी चाहिए। इस बेल्ट के नियमित इस्तेमाल से ढीली हो चुकी मांसपेशियां सख्त हो
जाती हैं और जल्द ही हार्निया से छुटकारा मिल जाता है।
5.
हार्निया
से स्थायी रूप से छुटकारा पाने के लिए रोज सुबह-शाम हार्निया के दर्द वाले स्थान
पर नियमित रूप से मालिश करनी चाहिए। यह मालिश 5 मिनट से शुरू करके 10 मिनट तक की
जा सकती है। यह मालिश घुमावदार (यानि गोल-गोल/वृत्ताकार) करनी चाहिए। यदि
हार्निया के दर्द की शिकायत दाहिने (राइट) तरफ हो तो मालिश दायें से बायें घुमाकर
करनी चाहिए और यदि दर्द की शिकायत बायें (लेफ्ट) तरफ हो तो मालिश बायें से दायें
घुमाते हुए करनी चाहिए। मालिश के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
6.
हार्निया
के मरीज के लिए शीर्षासन, भुजंगासन, शलभासन, सर्वांगासन, अर्द्धसर्वांगासन,
पश्विमोत्तानासन लाभकारी होते हैं। यदि ये सभी आसन प्रतिदिन नहीं किए जा सकें तो
कम से कम सुबह-शाम दो बार शीर्षासन अवश्य कर लेना चाहिए। शीर्षासन खाली पेट ही
करना चाहिए। शीर्षासन प्रतिदिन 1-1, 2-2 मिनट से
बढ़ाकर 20-25 मिनट तक ले जाना चाहिए।
7.
हार्निया
के मरीज को कब्ज नहीं होने देनी चाहिए।
8.
सप्ताह
में एक दिन नियमानुसार उपवास करना चाहिए।
9.
हार्निया
के मरीज को तख्त या हार्ड गद्दे पर सोना चाहिए जिसका सिरहाना कुछ ऊंचा होना
चाहिए।
10.
हार्निया
के मरीज रात भर के लिए कमर की गीली पट्टी भी बांध सकते हैं जोकि काफी लाभकारी होती
है।
11.
गहरी
नीली बोतल के सूर्यतप्त जल की 6 खुराकें 50-50 ग्राम की रोज लेनी चाहिये।
किसी भी
रोग के पीडि़त व्यक्तियों के लिए सामान्य विशेष सलाह:
1.
जीवन
के प्रति सदैव सकारात्मक नज़रिया रखें।
2.
रोग
को अपने दिलो-दिमाग पर हावी नहीं होने दें।
3.
हमारे
शरीर की रचना बहुत ही सूक्ष्म तरीके से हुई है जिसमें विकार उत्पन्न हो सकते
हैं, यह विकार किसी भी व्यक्ति
के शरीर में उत्पन्न हो सकते हैं जिन्हें अलग-अलग नाम दिया गया है।
4.
सकारात्मक
सोच और निर्भीक जीवन शैली व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से को
मजबूती प्रदान करती है जोकि किसी भी रोग पर काबू पाने या उसे पूरी तरह ठीक करने के
लिए चमत्कारी भूमिका निभा सकती है।
5.
प्रत्येक
मरीज को इस विश्वास के साथ स्वयं या डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए कि वह इस रोग
से अवश्य और जल्द ठीक होगा। उसे हर पल यही सोचना चाहिए कि वह ठीक हो रहा है ....
बेहतर हो रहा है और इसी तरह मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊंगा। ऐसे में आप देखेंगे कि
आप जल्दी से रोग से उभरने लगेंगे और एक दिन पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाएंगे।
6.
ध्यान
एवं साधना तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति किसी भी रोगी के लिए अत्यंत लाभकारी होती
है।
7.
ईश्वर
के दिए इस शरीर रूपी मंदिर को साफ-सुथरा यानि रोगमुक्त रखने का प्रयास करना हमारा
नैतिक दायित्व भी है। हम इस शरीर के माध्यम से ही ईश्वर उपासना करते हैं, ईश्वर के निकट पहुंच पाते हैं। यदि हमारा शरीर स्वस्थ
नहीं होगा तो हम ईश्वर के निकट नहीं पहुंच पाएंगे जोकि किसी भी व्यक्ति का परम
उद्देश्य हो सकता है।
8.
स्वथ्य
शरीर से स्वस्थ आत्मा और स्वस्थ एवं पवित्र आत्मा से ईश्वर की कृपा एवं
उनका आश्रय प्राप्त कर जीवन को सर्वोत्तम बनाया जा सकता है।
9.
शरीर
का कोई ऐसा रोग नहीं है जो व्यक्ति उसे ठीक नहीं कर पाए। इसी तरह, ऐसा कोई मानसिक विकार नहीं, जिसे दूर नहीं किया जा सके। आवश्यकता है तो सिर्फ
कोशिश .... लगातार कोशिश .... ईमानदार कोशिश करने की। ऐसे में ईश्वर भी हमारा साथ
देते हैं।
10. भगवान महामृत्युंजय आपको अवश्य और शीघ्र स्वथ्य करें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ। नम: शिवाय: .....
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