कार्यालय में हिंदी संगोष्ठी/सम्मेलन का सफल आयोजन
(i). किसी भी कार्यालय
में हिंदी संगोष्ठी/सम्मेलन के आयोजन का मूल उद्देश्य कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों
एवं कर्मचारियों को राजभाषा हिंदी में कार्य करने के प्रति प्रेरित एवं प्रोत्साहित
करना और हिंदी के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना होता है।
(ii). संगोष्ठी/सम्मेलन के विषय और निर्धारित किए गए
विषय पर संबंधित विशेषज्ञ विद्वान का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कार्यालय में
समय-समय पर हिंदी संगोष्ठियों/सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है इसलिए यह विशेष ध्यान
रखा जाना चाहिए कि हर बार की संगोष्ठी/सम्मेलन का विषय प्रासंगिक और नया हो जिससे
प्रतिभागियों का संगोष्ठी/सम्मेलन के प्रति आकर्षण बना रहे।
(iii). संगोष्ठी/सम्मेलन की सफलता में संगोष्ठी/सम्मेलन
के अध्यक्ष,
विशिष्ट अतिथि(यों) और मंच संचालक
का विशेष योगदान होता है।
(iv). कार्यालय के, यथा उपलब्ध, वरिष्ठतम अधिकारी को संगोष्ठी/सम्मेलन का अध्यक्ष बनाया जाना
चाहिए।
(v). हिंदी के विशेषज्ञ विद्वानों को विशिष्ट अतिथि(यों)
के रूप में आमंत्रित किया जाना चाहिए।
(vi). संगोष्ठी/सम्मेलन में कार्यालय के सभी अधिकारियों
एवं अनुसचिवीय कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए।
(vii). कार्यालय के वरिष्ठतम अधिकारी द्वारा संगोष्ठी/सम्मेलन
की अध्यक्षता किए जाने की स्थिति में कार्यालय के सभी अधिकारियों एवं अनुसचिवीय कर्मचारियों
की सक्रिय प्रतिभागिता लगभग सुनिश्चित हो जाती है।
(viii). विशिष्ट अतिथि वक्ता की संगोष्ठी/सम्मेलन के विषय
पर पकड़ और आकर्षक संप्रेषणता होनी चाहिए।
(ix). विशिष्ट अतिथि वक्ता एवं विशेषज्ञ विद्वान का अन्य
विषय-विशेषज्ञों की भांति सम्मान और उनके समकक्ष मानदेय प्रदान किया जाना चाहिए।
(x). संगोष्ठी/सम्मेलन के अंतिम चरण में विशेषज्ञ विद्वान
और प्रतिभागियों के बीच परस्पर संवाद और सवाल-जवाब का दौर अवश्य होना चाहिए।
(xi). अंत में, अध्यक्ष महोदय का गरिमामय भाषण
प्रतिभागियों को हिंदी में कार्य करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है और विशेषज्ञ
विद्वान को उसकी विद्वता के लिए सम्मान प्रदान करता है।
(xii). ऐसी अनुकरणीय संगोष्ठी/सम्मेलन के अंत में ‘स्वच्छ और स्वादिष्ट जलपान’ संगोष्ठी/सम्मेलन को संपूर्णता प्रदान कर सकता है।
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