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Saturday, 28 March 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 16 (28-03-2020) - Special Edition


PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 16 (28-03-2020) - Special Edition


Every citizen of India has fundamental rights guaranteed by the Constitution. Rights are what one should have to be able to survive, thrive and meet full potential as an individual. But rights have real meaning only if citizens perform certain duties. Both Rights and Duties are equally important to maintain balance and help society progress.

Every citizen of India (भारत के नागरिक) has fundamental rights (मौलिक अधिकार) guaranteed (गारंटीशुदा) by the Constitution (संविधान). Rights (अधिकार) are what one should have to be able to survive (जीवित रहना), thrive (उन्‍नति करना) and meet (पूर्ति) full potential (पूर्ण सामर्थ्‍य) as an individual (व्‍यक्ति). But rights (अधिकार) have real meaning (वास्‍तविक अर्थ) only (केवल) if citizens (नागरिक) perform (पूरा करना) certain duties (नियत कर्तव्‍य). Both Rights and Duties (अधिकार और कर्तव्‍य) are equally important (समान रूप से महत्‍वपूर्ण) to maintain balance (संतुलन बनाये रखने के लिए) and help society progress (समाज की प्रगति में मदद).

अनुवाद (अंग्रेज़ी-हिंदी) प्रक्रिया:

1.     आइए, सबसे पहले ऊपर दी गई अनुवाद सामग्री को पढ़ते और समझते हैं। यदि एक बार में विषयवस्‍तु (कंटेन्‍ट) समझ नहीं आती है तो हम उसे एक बार फिर से पढ़ेंगे। अनुवाद की दृष्टि से विषयवस्‍तु समझ में नहीं आने का कारण कुछ अंग्रेज़ी शब्‍दों के हिंदी पर्यायों का मालूम नहीं होना हो सकता है। हम पहली या दूसरी बार में पढ़ते हुए, ऐसे शब्‍दों को अंडरलाइन करेंगे और फिर उनके सटीक हिंदी पर्याय लिखेंगे और फिर पढ़ेंगे तो हम विषयवस्‍तु को अच्‍छी तरह से समझ लेंगे। अब हम अनुवाद करना शुरू कर सकते हैं।

2.     अनुवाद की दृष्टि से विषयवस्‍तु की सबसे छोटी इकाई शब्‍द’, इसके बाद वाक्‍य’, इसके बाद अनुच्‍छेद (पैराग्राफ) और फिर पृष्‍ठ (पेज़) होते हैं। किसी दस्‍तावेज़ में एक से लेकर हज़ारों पृष्‍ठ हो सकते हैं। अब हम किसी दस्‍तावेज़ की ऊपर दी गई थोड़ी-सी सामग्री का हिंदी अनुवाद करते हैं।

3.     सबसे पहले, ऊपर दी गई अनुवाद सामग्री के शब्‍दों/संयुक्‍त शब्‍दों को रेखांकित (अंडरलाइन करते हैं) और उनके हिंदी पर्याय/अनुवाद लिखते हैं। अब, अनुवाद जल्‍दी और सटीक होगा।

प्रस्‍तावित हिंदी अनुवाद:

भारत के प्रत्‍येक नागरिक को संविधान द्वारा गारंटीशुदा मौलिक अधिकार दिए गए हैं। अधिकार वे होते हैं जो किसी व्‍यक्ति को जीवित रहने, उन्‍नति करने और पूर्ण सामर्थ्‍य की पूर्ति करने के योग्‍य बनाते हैं। लेकिन, अधिकारों का वास्‍तविक अर्थ केवल तभी है यदि नागरिक नियत कर्तव्‍यों को भी पूरा करते हैं। संतुलन बनाये रखने और समाज की प्रगति में मदद करने के लिए अधिकार और कर्तव्‍य दोनों समान रूप से महत्‍वपूर्ण हैं। 



(सुनील भुटानी)
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Thursday, 26 March 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE - 15 (26-03-2020)


PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE - 15 (26-03-2020)


Exiting of U.S. from the accord may encourage other countries to do the same with a potential increase in emissions, particularly from coal in case of those nations not having abundant available resources of natural gas or other alternatives.
The US has dealt a serious blow to global efforts in combating climate change by pulling out of this international agreement. This might be a political decision by President Trump, but that seems to bring no change in the science of how our planet works. He has also made it clear that during the time frame of agreement entering into force and U.S. withdrawing from it; the U.S. won’t honour the commitment to emission reductions which has been made under the Obama administration.


The Paris Agreement is all about the 2 degrees target, which needs to be maintained in comparison to temperatures pre-industrial revolution by the end of the century. That is the global average temperature should be controlled from rising from 2 degrees Celsius.

Beyond this mark, we risk to face radically higher seas, food and water crises, change in weather patterns and an overall more hostile world.

The agreement, however, doesn’t detail how exactly the countries are going to accomplish this 2-degree goal. It however provides a framework for getting momentum on greenhouse reduction. It focuses on sight and accountability.

The pledge for U.S. involves reductions of 26 to 28 per cent by 2025. By 2020, delegates will have to reunite and provide updates about their emission pledges and report on how progressively they intend to accomplish this goal.

The accord asks richer countries to help poor countries owing to the fact that there is a fundamental inequality when global emissions are considered. As huge amounts of fossil fuels have been plundered and burned by rich and developed countries and the poor countries are being shunned from using the same fuels; it clearly places the latter in a much disadvantaged position. The low-lying poor countries are also among the first ones to bear the brunt of climate change.

As part of this agreement, richer and developed countries such as the U.S. have to help the poor countries with $100 billion a year and this amount is set to increase over time. But, this again isn’t an absolute mandate, i.e.; it’s voluntary.


(सुनील भुटानी)

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इलैक्‍ट्रोनिक एवं सोशल मीडिया के मनोवैज्ञानिक प्रभाव



इलैक्‍ट्रोनिक एवं सोशल मीडिया के मनोवैज्ञानिक प्रभाव
(कोरोना के परिप्रेक्ष्‍य में विशेष प्रस्‍तुति)

       वर्तमान में भारत देश महान इलैक्‍ट्रोनिक एवं बेलगाम सोशल मीडिया के दौर से गुज़र रहा है। स्‍मार्ट देश के बेहद स्‍मार्ट लोगों के पास एक-से-एक महंगे-सस्‍ते स्‍मार्ट टेलीविज़न और मोबाइल फोन हैं। हमारी बहुमूल्‍य अखियाँ इन दो स्‍मार्ट’, सुंदर’, आकर्षक और सेक्‍सी उपकरणों को बार-बार, लगातार एकटक देखते रहने की आदी हो गई हैं। हमारे माइंड (दिमाग) की प्रोग्रामिंग में ये दोनों उपकरण अपना वर्चस्‍व स्‍थापित कर चुके हैं। इलैक्‍ट्रोनिक मीडिया में हिंदी, क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेज़ी के अनगिनत न्‍यूज़ चैनल हैं। इन्‍हीं चैनलों के साथ-साथ अनेक अन्‍य वेब-आधारित न्‍यूज़ पोर्टल मौजूद हैं। आजकल वेब-आधारित न्‍यूज़ पोर्टलों के साथ-साथ वेब-आधारित न्‍यूज़ चैनल भी धमाल मचा रहे हैं। जहाँ तक सोशल मीडिया के स्‍वरूप की बात है, सोशल मीडिया के विभिन्‍न मंचों (फेसबुक, व्‍ह्टसअप, ट्विटर, इंस्‍टाग्राम आदि) पर रजिस्‍टर्ड करोड़ों उपयोक्‍ताओं में से लाखों उपयोक्‍ता सोशल मीडिया के स्‍वयंभू रिपोर्टर हैं जो पुष्‍ट-अपुष्‍ट (कंफर्म-नॉन कंफर्म) ख़बरें परोसते रहते हैं।  

      आज भारत में इलैक्‍ट्रोनिक मीडिया के मेनस्‍ट्रीम (मुख्‍य) टी.वी. न्‍यूज़ चैनल कभी न खत्‍म होने वाली भारतीय ओलंपिक दौड़ (टीआरपी) में दौड़े चले जा रहे हैं। कभी कोई एक चैनल पहले स्‍थान पर दौड़ रहा होता है तो कभी कोई दूसरा चैनल पहले स्‍थान पर दौड़ रहा होता है ... दौड़ रहा होता है ... दौड़ रहा होता है। इस अंतहीन ओलंपिक दौड़ के हम लाखों-करोड़ों दर्शक दौड़ के खत्‍म होने की वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन न यह दौड़ खत्‍म हो रही है और न ऐसे दर्शक शांति से सो पा रहे हैं और न शांति से जीवन-यापन कर पा रहे हैं। उनके दिलो-दिमाग में ओलंपिक का विशाल स्‍टेडियम (इलैक्‍ट्रोनिक न्‍यूज़ चैनलों की दुनिया) और इनमें दौड़ते एक-से-एक मज़बूत’, आकर्षक’, मनोरंजक धावक (टी.वी. न्‍यूज़ चैनल) छाये रहते हैं। इन धावकों को निरंतर दौड़ना है, अपनी प्रतिभाओं का निरंतर प्रदर्शन करना है क्‍योंकि उनके प्रायोजक रूपी धन-कुबेर उनपर नोटों की वर्षा करते रहते हैं। आइए, अब गागर में सागर भरते हैं। हमें टी.वी./मोबाइल आधारित इलैक्‍ट्रोनिक मीडिया के न्‍यूज़ चैनलों को बार-बार लगातार बदल-बदल कर न्‍यूज़ के अलग-अलग स्‍वादों का रसास्‍वादन करने से बचना चाहिए। एक ही तरह की न्‍यूज़ को बार-बार देखने से बचना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, मुझे याद आता है जब मुंबई में 26/11 का आतंकवादी हमला और दिल्‍ली में अन्‍ना आंदोलन हुआ था उस समय ये न्‍यूज़ चैनल बार-बार लगातार एक ही तरह की रिकार्डिड/लाइव न्‍यूज़ दिखा रहे थे। दर्शक भी उत्‍सुकतावश इन न्‍यूज़ चैनलों से फेविकोल के जोड़ की तरह चिपके हुए थे जिनका दर्शकों पर नकारात्‍मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहा था। एक समय में लोगों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हो रही थी तो दूसरे समय में ऐसा लग रहा था कि देश में दूसरा स्‍वतंत्रता आंदोलन शुरू हो गया है और जो इस स्‍वतंत्रता आंदोलन का हिस्‍सा नहीं बनेगा उसका नाम उस स्‍वर्णिम काल के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जाएगा। देश-विदेश से अनेक लोग भावुक होकर अपनी लाखों-करोड़ों की नौकरियां छोड़कर आंदोलन में कूद गए थे। इलैक्‍ट्रोनिक/विजुअल मीडिया का इंसानी दिमाग पर बहुत गहरा और लंबे समय तक प्रभाव रहता है। भावनात्‍मक रूप से कमज़ोर व्‍यक्ति कुछ समाचारों या उनकी प्रस्‍तुति के तरीके से इस इतने ज्‍यादा प्रभावित हो जाते हैं कि उनकी सोच-समझ बहुत ज्‍यादा नकारात्‍मक/सकारात्‍मक रूप से प्रभावित होने लगती है। आजकल तो देखा जा रहा है कि दर्शकों के न्‍यूज़ देखने और उसे समझने का तरीका इसपर निर्भर करने लगा है कि वे कौन-सा न्‍यूज़ चैनल देख रहे हैं। देश में जब तक न्‍यूज़ दिखाई जाती थीं तब तक दर्शक स्‍वतंत्र रूप से उसका मंथन/विश्‍लेषण करते थे। लेकिन, जब से न्‍यूज़ के साथ-साथ न्‍यूज़ पेश करने वाले के व्‍यूज़ (विश्‍लेषण) भी दिखाये जाने लगे हैं तब से दर्शक न्‍यूज़ चैनल विशेष की विचारधारा के अनुरूप सोचने और व्‍यवहार करने लगे हैं। हमें समझना होगा कि निष्‍पक्ष पत्रकारिता संस्‍थानों से पत्रकारिता के गुण सीखकर आने वाले प्रशिक्षु पत्रकारों/रिपोर्टरों को अपने नियोक्‍ता चैनल की नीति के अनुरूप कार्य करना होता है। जब यही प्रशिक्षु अनुभवी और वरिष्‍ठ पत्रकारों की श्रेणी में आते हैं तो मीडिया जगत के गुणा-भाग को समझ चुके होते हैं और उसके अनुरूप पत्रकारिता धर्म निभाते हैं।  

वर्तमान कोरोना संक्रमण काल में ये 24X7 न्‍यूज़ चैनल बार-बार हज़ार बार इस वायरस के राष्‍ट्रीय-वैश्विक स्‍तर पर मानव-हानि सहित अनेक प्रभावों पर न्‍यूज़ दिखाएंगे, इस वायरस की चपेट में आने से बचने और चपेट में आ जाने के बाद क्‍या करें इसके बारे में बतायेंगे। 25 मार्च 2020 से 21 दिनों की राष्‍ट्रीय तालाबंदी (लॉक-डाउन) के समय में इन न्‍यूज़ चैनलों की ख़बरें और अधिक महत्‍वपूर्ण और उपयोगी हो जाती हैं। लेकिन, जब हम इस वायरस की भयावहता, इससे बचाव के उपायों और इसकी चपेट में आने पर की जाने वाली आगे की कार्रवाई से परिचित हो चुके हैं, सरकारी दिशा-निर्देशों से परिचित हो चुके हैं तो इन न्‍यूज़ चैनलों को लगातार देखते रहने की जरूरत नहीं है। कई लोग बार-बार चैनल बदलकर देखते हैं कि हमारे देश में इस वायरस से पीडि़त लोगों की संख्‍या कितनी हो गई और इनमें से कितने लोगों की मौत हो गई। यदि मौत हो गई तो वो किस शहर/गांव में था। वो हमसे दूर किसी शहर में था तो शुक्र है और हमारे ही शहर या आसपास के इलाके में था तो मन-मस्तिष्‍क भयानक भय की चपेट में आने लगता है जिससे उसके शरीर पर उसके न चाहते हुए भी नकारात्‍मक प्रभाव पड़ने लगते हैं और वो अपनी इम्‍यूनिटी को कमज़ोर कर लेता है। यदि हम सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करके 21 दिनों तक घर पर रहने वाले हैं तो फिर घबराने और चिंता करने की आवश्‍यकता नहीं होनी चाहिए। हम एक दिन में सुबह-दोपहर-शाम-रात के लिए समाचार देखने का समय निर्धारित कर सकते हैं और बाक़ी समय में अपने अन्‍य कार्य और मनोरंजन/ज्ञान-वर्धन करने वाले चैनल देख सकते हैं। स्‍वयं पुस्‍तकें/पत्रिकाएं पढ़ सकते हैं, अपने बच्‍चों को उनके पाठ्यक्रम या सामान्‍य ज्ञान की पुस्‍तकें पढ़ा सकते हैं। हम वर्षों से अपने लिए, अपने कुछ ख़ास कामों को करने के लिए समय की तलाश कर रहे थे और आज जब मज़बूरी में सही वह समय मिलकर रहा है तो इस बेशकीमती समय का फ़ायदा उठा लीजिए।

जहां तक सोशल मीडिया के विभिन्‍न मंचों (फेसबुक, व्‍ह्टसअप, ट्विटर, इंस्‍टाग्राम आदि) पर एक्टिव रहने का संबंध है, हमें हमारे विश्‍वसनीय/प्रोफेशनल सोशल मीडिया मित्रों द्वारा की जाने वाली रिपोर्टिंग पर ही विश्‍वास करना चाहिए। हम सोशल मीडिया के उपयोक्‍ताओं को अपने स्‍मार्ट टी.वी. और मोबाइल फोन की तरह स्‍मार्ट बनना होगा और सही-गलत एवं झूठ-सच में अंतर करके ही कोई पोस्‍ट डालनी होगी, लाइक करनी होगी या शेयर करनी होगी। यदि हमें किसी सोशल मीडिया न्‍यूज़ की तथ्‍यात्‍मकता पर संदेह हो तो उस न्‍यूज़ के स्रोत तक पहुंचकर सच्‍चाई कर पता लगाना चाहिए और उसके बाद ही उसपर विश्‍वास करना चाहिए तथा प्रतिक्रिया (लाइक, कमेंट या शेयर) देनी चाहिए। आजकल, कोरोना वायरस संक्रमण से संबंधित लाखों-करोड़ों पोस्‍ट सोशल मीडिया में वायरस की तरह विचरण कर रही हैं जिनमें बचाव, इलाज और परिणामों के बारे में अपुष्‍ट जानकारियां दी गई हैं। यहां पर भी हमें अपनी तार्किक बुद्धि का प्रयोग करना होगा और अपनी बुद्धिमता के अनुसार ही उसपर प्रतिक्रिया देनी होगी। हमें सरकारी/आधिकारिक संस्‍थाओं एवं व्‍यक्तियों द्वारा डाली जाने वाली पोस्‍ट पर ही सबसे ज्‍यादा विश्‍वास करना चाहिए और अनुपालन करना चाहिए।     

      माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के निम्‍न संदेश को आपके समक्ष पुन: प्रस्‍तुत करते हुए, मैं देश-विश्‍व के प्रत्‍येक नागरिक और इन नागरिकों के प्राणों की रक्षा एवं सेवा में जुटे देश-विदेश के सभी कर्मठ, महान एवं ईश्‍वर के फरिश्‍तों के स्‍वास्‍थ्‍य और दीर्धायु जीवन की कामना करता हूँ ... जय हिंद।
       को = को
      रो = रोड पर
      ना = ना निकले

[जनहित में 26-03-2020 को रचित मूल लेख]
© सुनील भुटानी
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Wednesday, 25 March 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE - 14 (25-03-2020)




Fallout of US withdrawal from Paris Accord

The Paris Accord brings all nations into a common cause for undertaking ambitious efforts to combat climate change through enhanced support and help offered to the developing countries for doing so. This first-ever universal and legally binding global climate deal has been adopted by 195 countries in December 2015. The global climate effort witnesses this convention as a new course and aims to strengthen the global response to the threat of climate change by keeping a global temperature rise well below 2 degrees Celsius above pre-industrial level.



The Paris Accord also suggests that the developed countries have to be accountable and provide the developing countries with financial and technological aid in combating the climate change as the current rise in greenhouse gases is due to them.



The recent agreement had reached the 21st session of the Conference of the Parties (COP 21) of the United Nations Framework Convention on Climate Change. This is a historic accord negotiated in 195 countries including the United States for limiting the global temperature increase to more than 2 degree Celsius above pre-industrial levels.

Seeing the withdrawal of US from this accord from a climate standpoint, it will have a 
significant potential impact because the United States accounts for approximately 20% of the world’s greenhouse gas emission. The additional carbon dioxide would increase the speed at which ice sheets are melting further raising the sea levels higher and quicker. This continued increase in global temperature will also likely prompt weather extremes, both hot and cold.



(सुनील भुटानी)
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दिनांक 25-03-2020 से 21 दिनोंं के लिए तालाबंदी पर सरकारी दिशानिर्देश


दिनांक 25-03-2020 से 21 दिनोंं के लिए तालाबंदी पर सरकारी दिशानिर्देश:


देश में कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों, राज्‍य/संघ शासित सरकारों तथा राज्‍य/केंद्रीय प्राधिकरणों द्वारा उठाये गए कदमों पर दिशानिर्देश।
(भारत सरकार, गृह मंत्रालय के आदेश सं. 40-3/2020-डी दिनांक 24 मार्च 2020 के अनुलग्‍नक के अनुसार)

1.    भारत सरकार के कार्यालय, इसके स्‍वायत्‍त/अधीनस्‍थ कार्यालय और सार्वजनिक निगम बन्‍द रहेंगे। लेकिन, इनमें डिफेंस, केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल, राज़कोष (ट्रेजरी), सार्वजनिक सुविधाएं (पेट्रोलियम, सीएनजी, एलपीजी, पीएनजी सहित), आपदा प्रबंधन, बिजली उत्‍पादन एवं ट्रांसमिशन इकाईयां, डाकघर, राष्‍ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी), खतरनाक स्थिति की पूर्व सूचना देने वाली एजेंसियां शामिल नहीं होंगे।

2.    राज्‍य/केंद्र शासित सरकारों के कार्यालय, इनके स्‍वायत्‍त निकाय, निगम आदि बन्‍द रहेंगे। लेकिन, इनमें (क). पुलिस, होमगार्ड, सिविल डिफेंस, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, आपदा प्रबंधन, और जेल; (ख). जिला प्रशासन और राजकोष (ट्रेज़री); (ग). बिजली, पानी, सफाई व्‍यवस्‍था (सैनिटेशन) ; (घ). नगरपालिका निकाय (केवल अत्‍यावश्‍यक सेवाओं जैसे सफाई व्‍यवस्‍था (सैनिटेशन), पानी की आपूर्ति से संबंधित कर्मचारिी आदि) शामिल नहीं होंगे।

3.    उपर्युक्‍त पैरा 1 और 2 में दिए गए कार्यालय कर्मचारियों की न्‍यूनतम संख्‍या के साथ काम करेंगे। सभी अन्‍य कार्यालय केवल घर से काम जारी रख सकते हैं।

4.    सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्‍पताल और सभी संबंधित चिकित्‍सा प्रतिष्‍ठान, इनमें उत्‍पादन करने वाली तथा वितरण करने वाली इकाईयां जैसे डिस्‍पेंसरी, कैमिस्‍ट और चिकित्‍सा उपकरणों की दुकानें, प्रयोगशालाएं (लैबोरेट्रीज़), क्लिनिक्‍स, नर्सिंग होम, एंबुलेंस आदि काम करते रहेंगे। सभी चिकित्‍सा कर्मचारियों, नर्सों, पैरा-मेडिकल स्‍टाफ, अन्‍य अस्‍पताल सहयोगी सेवाओं के लिए परिवहन की अनुमति रहेगी।

5.    वाणिज्यिक और निजी प्रतिष्‍ठान बन्‍द रहेंगे, लेकिन निम्‍नलिखित खुले रहेंगे:-
(क).  दुकानें जिनमें राशन की दुकानें (सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत आने वाली), खाने के सामान, राशन, फल, सब्‍जी, डेयरी तथा मिल्‍क बूथ, मीट और मछली, पशु चारे की दुकानें शामिल हैं, खुली रहेंगी। हालांकि, लोगों को घरों से बाहर कम निकलना पड़े इसके लिए जिला प्राधिकरण होम डिलीवरी को प्रोत्‍साहित करेंगे और इसके लिए सुविधाएं प्रदान करेंगे।
      (ख).  बैंक, बीमा कार्यालय, और एटीएम।
      (ग).   प्रिंट और इलैक्‍ट्रोनिक मीडिया।
(घ).   दूरसंचार, इंटरनेट सेवाएं, प्रसारण और केबल सेवाएं, आईटी और आईटी समर्थित सेवाएं (अत्‍यावश्‍यक सेवाओं के लिए)। जहां तक संभव होगा घर से काम किया जाएगा।
(ड.).  सभी अत्‍यावश्‍यक सामान की डिलीवरी जिसमें भोजन, दवाईयां, ई-कॉमर्स के माध्‍यम से चिकित्‍सा उपकरण।
      (च).   पैट्रोल पंप, एलपीजी, पेट्रोलियम और गैस रिटेल तथा गोदाम।
      (छ).  बिजली उत्‍पादन, ट्रांसमिशन और वितरण इकाईयां तथा सेवाएं।
(ज).  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा यथा अधिसूचित केपिटल और डेब्‍ट बाजार।
      (झ).  कोल्‍ड स्‍टोरेज़ और भंडारगृह सेवाएं।
      (´).   निजी सुरक्षा सेवाएं।
     
सभी अन्‍य प्रतिष्‍ठान केवल घर से काम करेंगे।

6.    औद्योगिक प्रतिष्‍ठान बन्‍द रहेंगे। लेकिन, इनमें निम्‍नलिखित शामिल नहीं होंगे:-
      (क).  अत्‍यावश्‍यक वस्‍तुओं की उत्‍पादन इकाईयां।
(ख).  उत्‍पादन इकाईयां, जिनके लगातार काम करने की आवश्‍यकता होगी। इसके लिए राज्‍य सरकार से अनुमति लेनी होगी।

7.   सभी परिवहन सेवाएं – हवाई जहाज, रेलगाड़ी, रोडवेज़ स्‍थगित रहेंगी। लेकिन, इनमें निम्‍नलिखित शामिल नहीं होंगे:-
      (क).  केवल अत्‍यावश्‍यक सामान की ढुलाई के लिए काम आने वाले परिवहन वाहन।
      (ख).  अग्निशमन, कानून-व्‍यवस्‍था और आपातकालीन सेवाओं वाले परिवहन वाहन।

8.    आतिथ्‍य (हॉस्पिटेलिटी) सेवाएं स्‍थगित रहेंगी। लेकिन, इनमें निम्‍नलिखित शामिल नहीं होंगे:-
(क).  ऐसे होटल, होमस्‍टेज़, लॉज और मोटेल जिनमें पर्यटक और तालाबंदी (लॉकडाउन) के कारण फंसे लोग, मेडिकल और इमरजेंसी स्‍टाफ, हवाई तथा समुद्री क्रू (चालक दल) के लोग निवास कर रहे हों।
(ख).  क्वॉरन्टीन (अलग-थलग रखने वाली) वाली सुविधाओं के लिए इस्‍तेमाल किए जा रहे/चिह्नित किए गए प्रतिष्‍ठान।

9.    सभी शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान, कोचिंग संस्‍थान आदि बन्‍द रहेंगे।

10.   सभी पूजा-स्‍थल जनता के लिए बन्‍द रहेंगे। किसी धार्मिक सभा/समागम की अनुमति नहीं होगी।

11.   सभी सामाजिक/राजनीतिक/स्‍पोटर्स/मनोरंजन/शैक्षणिक/सांस्‍कृतिक/धार्मिक कार्यक्रम/जमावड़े बन्‍द रहेंगे।

12.   अंतिम संस्‍कारों के मामले में, बीस से अधिक लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं होगी।

13.   दिनांक 15.02.2020 के बाद भारत में पहुंचने वाले सभी लोग और ऐसे सभी लोग जिन्‍हें स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल कर्मचारियों द्वारा स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य प्राधिकरणों द्वारा निर्णय की गई अवधि के लिए घर/संस्‍थागत क्वॉरन्टीन (अलग-थलग रखने वाली) में रहेंगे। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

14.   जहां कहीं ऊपर पैरा 13 में की गई व्‍यवस्‍था में किसी को छूट दी जाती है तो संगठन/कर्मचारी यह अवश्‍य सुनिश्चित करेंगे कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह के अनुसार कोविड-19 वायरस के प्रति जरूरी सावधानियां बरती जाएं और सामाजिक दूरी के उपायों का पालन किया जाए। 

15.   इन नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए जिला मजिस्‍ट्रेट तत्‍संबंधित स्‍थानीय क्षेत्राधिकारों/न्‍यायाधिकारों में घटना कमांडरों (इनसिडेंट कमांडर्स) के रूप में कार्यकारी मजिस्‍ट्रेट तैनात करेंगे। घटना कमांडर अपने-अपने  क्षेत्राधिकारों/न्‍यायाधिकारों में इन उपायों के समग्र कार्यान्‍वयन के लिए जिम्‍मेदार होंगे। सभी अन्‍य लाइन विभाग कर्मचारी इन घटना कमांडरों के निदेशों पर कार्य करेंगे। घटना कमांडर स्‍पष्‍ट किए गए अत्‍यावश्‍यक आवागमन के लिए पास (आज्ञापत्र) जारी करेगा।

16.   सभी लागू करने वाले प्राधिकारी (एनफोर्सिंग अथॉरिटीज़) इस बात का ध्‍यान रखें कि ये सख्‍त प्रतिबंध मूल रूप से जनता के आवागमन से संबंधित हैं, अत्‍सावश्‍यक सामान का आवागमन प्रभावित नहीं होना चाहिए।

17.   घटना कमांडर विशेष रूप से यह सुनिश्‍चित करेंगे कि अस्‍पताल के बुनियादी ढांचे (हॉस्पिटल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर) में वृद्धि करने और विस्‍तार करने के लिए संसाधन, कामगार (वर्कर्स) और सामग्री लाने के सभी प्रयास जारी रहेंगे और इसमें कोई रूकावट पैदा नहीं की जाए।

18.   यदि कोई व्‍यक्ति इन नियंत्रण उपायों का उल्‍लंघन करता है तो उसके विरूद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 के उपबंधों के अलावा आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

19.   ऊपर दिए गए नियंत्रण उपाय देश के सभी भागों में दिनांक 25-03-2020 से 21 दिनों की अवधि तक लागू रहेंगे।

[जनहित में अनूदित (अंग्रेज़ी-हिंदी)]


(सुनील भुटानी)
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