Translate

Wednesday 1 April 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 17 (01-04-2020) - Special Edition

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 17 (01-04-2020) - Special Edition


PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 17 (01-04-2020) - Special Edition


The human-induced climate change requires urgent action and any contradictory step in slowing the planet’s warming will grow the severity of the effects of climate change and planet’s warming. This will include extreme weather events, rising sea levels, threatening human and environmental health including the vulnerable populations.

Not just this, withdrawing from the accord could also have serious repercussions on America’s trade with other countries and international firms. This may further affect those countries which impose taxes on U.S. exports.

If the Unites States is not going to carry out the commitments, then it will create mistrust in future leaders of any political party before entering into agreements with partners. This lack of reliability, over time, will reduce the United States to the sideline of international policymaking.

The centre of power may shift out from under the world’s biggest powers, if it can’t stay to be counted on to live up to its commitments. This largely symbolic accord will surely live even after the withdrawal of one of the biggest parties, but in a weakened manner and will further impede the already “fragile international coalition” around the climate change



अनुवाद (अंग्रेज़ी-हिंदी) प्रक्रिया:

1.     आइए, सबसे पहले ऊपर दी गई अनुवाद सामग्री को पढ़ते और समझते हैं। यदि एक बार में विषयवस्‍तु (कंटेन्‍ट) समझ नहीं आती है तो हम उसे एक बार फिर से पढ़ेंगे। अनुवाद की दृष्टि से विषयवस्‍तु समझ में नहीं आने का कारण कुछ अंग्रेज़ी शब्‍दों के हिंदी पर्यायों का मालूम नहीं होना हो सकता है। हम पहली या दूसरी बार में पढ़ते हुए, ऐसे शब्‍दों को अंडरलाइन करेंगे और फिर उनके सटीक हिंदी पर्याय लिखेंगे और फिर पढ़ेंगे तो हम विषयवस्‍तु को अच्‍छी तरह से समझ लेंगे। अब हम अनुवाद करना शुरू कर सकते हैं।

2.     अनुवाद की दृष्टि से विषयवस्‍तु की सबसे छोटी इकाई शब्‍द’, इसके बाद वाक्‍य’, इसके बाद अनुच्‍छेद (पैराग्राफ) और फिर पृष्‍ठ (पेज़) होते हैं। किसी दस्‍तावेज़ में एक से लेकर हज़ारों पृष्‍ठ हो सकते हैं। अब हम किसी दस्‍तावेज़ की ऊपर दी गई थोड़ी-सी सामग्री का हिंदी अनुवाद करते हैं।

3.     सबसे पहले, ऊपर दी गई अनुवाद सामग्री के शब्‍दों/संयुक्‍त शब्‍दों को रेखांकित (अंडरलाइन करते हैं) और उनके हिंदी पर्याय/अनुवाद लिखते हैं। अब, अनुवाद जल्‍दी और सटीक होगा।


(सुनील भुटानी)
लेखक-अनुवादक-संपादक-प्रशिक्षक 
Blog: http://rudrakshao.blogspot.com (बहुआयामी ज्ञान मंच)
Email ID: sunilbhutani2020@gmail.com
Whats'app No.: 9868896503
Facebook ID: Sunil Bhutani (हिंदी हैं हम)
Facebook Groups: (1) TRANSLATORS’ WORLD  (2) भारत सरकार के कार्यालयों में राजभाषा अधिकारियों/अनुवादकों का मंच  (3) Right to Information (RTI) - सूचना का अधिकार

2 comments:

  1. (1/4/20)
    {अभ्यास-17}

    मानवकृत पर्यायवरण परिवर्तनों पर अविलंब ध्यान देने की आवश्यकता है।और इस दिशा में उठाया गया कोई भी असंगत कदम पृथ्वी के तापमान को कम करने की बजाएँ बढ़ा देगा और जिससे पर्यायवरण परिवर्तन से उत्पन्न स्थिति और भी गंभीर रुप ले लेगी। जिससे मौसम में अति गंभीर परिवर्तन ,समुंद्र स्तर में वृद्धि जैसे संकट सामने आ सकते है। जिससे ना सिर्फ मनुष्य और पर्यायवरण की दिशा पर प्रश्न चिह्न लगेगा अपितु अन्य संवेदनशील प्राणियों के स्वास्थ्य और जीवन का ख़तरा भी बनेगा।

    मात्र यह ही नहीं,अमेरिका के इस समझौते से अलग हो जाने के कारण उनके अन्य देशों के साथ एवं बहुराष्ट्रीय फर्मों के साथ व्यापारिक संबंध भी प्रभावित होंगे। इससे वे देश भी प्रभावित होंगे जो यू.एस. के साथ निर्यातों पर कर लगाते है।
    अगर यू.एस इस समझौते के तहत किए गए वायदों को पूरा नहीं करता है और अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटता है तो इसके गंभीर प्रभाव एंव परिणाम होंगे।आने वाले समय में किसी भी तरह के साझे प्रयासों में किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं पर आगे से भरोसा करना मुश्किल हो जाएगा।और इस तरह से वैश्विक पटल पर अपनी साख खोने से यू.एस अंतर्राष्ट्रीय नीति/ निर्णयों में भी अपना प्रभाव खो देगा।
    ऐसे में विश्व में शक्ति केंद्रों को बदलने में देर न लगेगी ।और अगर विश्व की महाशक्तियाँ इसी प्रकार अपने वायदों और जिम्मेदारियों से भागती रहीं तो शक्ति समीकरणों में जल्द ही बदलाव होंगे।ज़ाहिर है , विश्व के बडे़ - बडे़ प्रतिनिधियों के इस प्रकार बाहर निकल जाने के बावजूद भी यह समझौता कायम तो बना ही रहेगा परन्तु कुछ कमज़ोर ज़रूर हो जाएगा।जिससे आने वाले समय में , 'पर्यावरण परिवर्तन' के मद्देनज़र गठित इस पहले से ही 'क्षीण अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन' को कई अन्य गतिरोधों/अवरोधों का भी सामना करना पडे़।

    ReplyDelete
  2. मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन तत्‍काल कार्रवाई किए जाने की अपेक्षाकरता है और इस ग्रह की गर्मी को धीमा करने में किसी परस्‍पर-विरोधी कदम से जलवायु परिवर्तन तथा ग्रह की गर्मी के प्रभावों की प्रचंडता बढ़ जाएगी। इसमें अत्‍यधिक मौसमी घटनाएं, बढ़ते समुद्री स्‍तर, अतिसंवेदनशील जनसंख्‍याओं सहित मानवीय तथा पर्यावरणीय स्‍वास्‍थ्‍य को खतरा शामिल है।

    न केवल यह, अपितु समझौते से पीछे हटने से अन्‍य देशों तथा अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनियों के साथ अमेरिका के व्‍यापार पर भी गंभीर प्रतिप्रभाव पड़ेंगे। इसका उन देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा जो अमेरिकी निर्यातों पर कर (टैक्‍स) अधिरोपित करते हैं।

    यदि अमेरिका प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करता है तो भागीदारों के साथ समझौता करने से पहले किसी राजनीतिक दल के भावी नेताओं के प्रति अविश्‍वास पैदा होगा। विश्‍वसनीयता की इस कमी से, आने वाले समय में, अमेरिका को अंतर्राष्‍ट्रीय नीति तैयार करने से बाहर रखा जाएगा।

    सत्‍ता का केंद्र विश्‍व के सबसे शक्तिशाली देशों की ओर खिसक सकता है, यदि यह अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करता है। यह बड़े पैमाने पर सांकेतिक समझौता सबसे बड़े पक्षकारों में से एक के बाहर होने के बाद भी निश्चित रूप से जीवंत रहेगा, परंतु एक कमज़ोर तरीके से और जलवायु परिवर्तन पर पहले से ‘’कमज़ोर अंतर्राष्‍ट्रीय गठबंधन’’ पर और अड़चन पैदा होगी।

    ReplyDelete