दिल एक मंदिर (लघु कहानी - 01)
रुद्राक्ष ने अपने हृदय में भी एक मंदिर बना रखा था। वह जब भी घर पर मंदिर में पूजा करता था तब मंदिर में आरती करते-करते आख़िर में अपने हृदय-मंदिर की ओर भी आरती करता था। एक बार वह घर से दूर किसी गाँव में ड्यूटी पर गया। रुद्राक्ष का मन किया कि गाँव के मंदिर में पूजा-आरती की जाए। रुद्राक्ष ने आदत के अनुसार भगवान जी की पूजा-आरती करने के बाद अपने हृदय-मंदिर में आरती पूरी की ही थी कि मंदिर में मौजूद भीड़ ने रुद्राक्ष को खुद को भगवान मानकर अपनी पूजा करने की सज़ा देते हुए 'अधर्मी-पापी-अहंकारी' को पीट-पीट कर मार डाला। भगवान जी वही जो मंदिर में साजे।
(लघु कथा लेखन का प्रथम 'दुस्साहस')
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