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Wednesday 15 April 2020

‘कोरोना’ के विरूद्ध महायुद्ध में अनुवादकों की भूमिका


 कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध में अनुवादकों की भूमिका

      नोवेल कोरोना वायरस जिसे हम कोविड-19 के नाम से जानते हैं, इसने न केवल भारत अपितु विश्‍व के अनेक देशों में अपने खूनी पाँव पसारे हुए हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यू.एच.ओ.) की 14 जनवरी 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, संपूर्ण विश्‍व में 18,44,863 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और 1,17,021 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में इस वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 10,363 और मौतों का आंकड़ा 339 तक पहुँच चुका है। माना जाता है कि इस वायरस ने इंसानों के भक्षण की शुरूआत चीन के वुहान शहर से की थी। चीन में रणनीतिक दृष्टि से अधिकांशत: चीनी (मंदारिन) भाषा का ही इस्‍तेमाल किया जाता है।
     
      संपूर्ण विश्‍व में लगभग 7000 भाषाएँ हैं। विश्‍व के सभी देशों का सबसे बड़ा संयुक्‍त मंच ‘’संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ’’ और इसके अंतर्गत कार्य करने वाले अनेक महत्‍वपूर्ण संगठन जिनमें विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) भी शामिल है, अपनी आधिकारिक छह भाषाओं (अंग्रेज़ी, रूसी, फ्रांसीसी, चीनी, स्‍पेनिश और अरबी) में सूचनाएँ उपलब्‍ध करवाते हैं। उल्‍लेखनीय है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के हिंदी पोर्टल (https://in.one.un.org/hindi/) के माध्‍यम से कोविड-19 सहित अनेक कल्‍याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता संबंधी जानकारियाँ उपलब्‍ध करवा रहा है। कोविड-19 के बारे में राष्‍ट्रीय तथा अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की आधिकारिक/प्रमाणिक जानकारियाँ प्राप्‍त करने के लिए यह पोर्टल बहुत ही उपयोगी है। इसके साथ ही, विश्‍व का प्रत्‍येक देश अपने-अपने देश में राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य स्‍तर की मुख्‍य भाषाओं के माध्‍यम से महत्‍वपूर्ण सूचनाओं का प्रचार-प्रसार करते हैं। भारत में 122 मुख्‍य भाषाएँ और 1599 अन्‍य भाषाएँ हैं। देश के अधिकांश लोग संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से कोई न कोई भाषा बोलते, समझते और लिखते हैं। केंद्रीय सरकार किसी भी राष्‍ट्रव्‍यापी महत्‍वपूर्ण सूचना/एप्‍प आदि के लिए अंग्रेज़ी एवं हिंदी के अलावा अन्‍य महत्‍वपूर्ण भारतीय भाषाओं का इस्‍तेमाल करती है। इसके साथ ही, राज्‍य सरकारें अपने-अपने राज्‍य में अधिकांशत: बोली, समझी तथा लिखी जाने वाली भाषाओं में महत्‍वपूर्ण सूचनाओं का प्रचार-प्रसार करते हैं। इन भाषाओं में राज्‍य की राजभाषा या राजभाषाएँ, जैसी भी स्थिति हो, अवश्‍य शामिल होती हैं। इस तरह, भारत सहित संपूर्ण विश्‍व अपनी-अपनी प्रचलित भाषाओं के माध्‍यम से कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव एवं सावधानियों संबंधी महत्‍वपूर्ण जानकारियाँ अपनी-अपनी जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। इस स्थिति से समझा जा सकता है कि विश्‍व को कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रति जागरूक करते हुए उनके प्राणों की रक्षा करने में भाषाएँ और अनुवादक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

      देश के लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमण के प्रति जागरूक करने और उनके बचाव के उपायों को ध्‍यान में रखते हुए केंद्रीय सरकार द्वारा तैयार किया गया ‘’आरोग्‍य-सेतु’’ एप्‍प हिंदी एवं अंग्रेज़ी सहित 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्‍ध करवाया गया है। कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध  में जीत सुनिश्चित करने के लिए भाषा और अनुवाद को हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, चूंकि छत्‍तीसगढ़ राज्‍य में अत्‍यंत नक्‍सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में तेलुगु और मराठी भाषा के अलावा गोंडी, हल्‍बी, दोरली और महार बोलियाँ बोली जाती हैं, इसलिए सीमावर्ती क्षेत्र बीजापुर में जागरूकता अभियान छह भाषाओं/बोलियों में चलाया जा रहा है और इस क्षेत्र में डॉक्‍टरों तथा पैरामेडिकल स्‍टाफ की तैनाती भी उनके भाषा ज्ञान के आधार पर की जा रही है ताकि इस क्षेत्र में कोरोना को हर कीमत पर हराया जा सके। कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध में भारत का संघीय ढाँचा भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रत्‍येक राज्‍य/संघ शासित क्षेत्र अपनी राजभाषाओं एवं स्‍थानीय भाषाओं के माध्‍यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं, अपने-अपने राज्‍य के लोगों से उनकी भाषा में संवाद कर रहे हैं और उन्‍हीं की भाषा एवं बोली के जानकार लोगों को उनके इलाज में लगाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे कि स्‍थानीय लोग कोरोना की गंभीरता को समझ सकें और अपना पूर्ण सहयोग देते हुए इलाज करवायें।   

      राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य-स्‍तरीय राजनेताओं एवं अलग-अलग धर्मों के धर्माचार्यों और उनके द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली भाषा का भी कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध में विशेष योगदान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश ही नहीं विदेशों में भी कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध में भारत के लोगों का नेतृत्‍व कर रहे हैं और समय-समय पर देश को हिंदी में संबोधित कर रहे हैं। अलग-अलग धर्मों के धर्माचार्य अपने-अपने अनुयायियों को उनकी सहज समझ में आने वाली भाषा के माध्‍यम से जागरूक कर रहे हैं। हिंदी ने देश के स्‍वतंत्रता आंदोलन से लेकर हर गंभीर स्थिति-परिस्थिति में लोगों को एकसूत्र में पिरोते हुए विजय सुनिश्चित करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध में भी हिंदी हिंद की विजय पताका बनेगी और हम सभी अपने सेनानियों (राजनेतागण, अधिकारीगण, डॉक्‍टर एवं पैरामेडिकल तथा अन्‍य सहयोगी स्‍टाफ बंधुगण, मीडिया बंधुगण, पुलिस बंधुगण, स्‍वच्‍छता कर्मीगण, स्‍वयंसेवी संगठन एवं उनके समर्पित कार्यकर्तागण, अनुवादकगण आदि) को सहयोग करते हुए बहुत ही शीघ्र कोरोना विजय दिवस मनायेंगे। अब तक हम देश की सीमाओं पर हमारे जांबाज सैनिकों का पराक्रम देखते आये हैं और अब हम हमारे उक्‍त सेनानियों का पराक्रम देख रहे हैं। जिस तरह किसी देश के विरूद्ध महायुद्ध  में हम देशवासी एकजुट होते हैं और दुश्‍मन देश के दाँत खट्टे करते हैं, उसी तरह ही हम देशवासियों को एकजुट होकर अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में कोरोना के विरूद्ध महायुद्ध में विजय हासिल करनी है। कोरोना के विरूद्ध इस महायुद्ध में अनुवादकों की भूमिका को सदैव याद रखा जाएगा। जय हिंद ...   


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© कॉपीराइट
सुनील भुटानी
अनुवादक-लेखक-संपादक-प्रशिक्षक
15-04-2020
Blog: http://rudrakshao.blogspot.com (
बहुआयामी ज्ञान मंच)
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