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Tuesday, 14 April 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 19 (09-04-2020) with KEY (Translated Hindi Version)



ENGLISH VERSION:


There are mainly four forms of child abuse:


1. Physical abuse is inflicting physical injury upon a childThis may include hittingslappingshakingpinchingkickingbeating or otherwise harming the childRemember, not every physical abuse leaves a mark of an injury on the body.

2. Sexual abuse occurs when a person involves the child in sexual activities for his/her sexual gratification and/or commercial gainUsing children for pornography purposes is also a form of sexual abuse.

3. Emotional abuse includes acts or the failure to act by parents, caretakers, peers and others that causes or can cause serious behavioural, emotional or mental distress/traumaIt includes verbal and mental abuseEmotional abuse may also include extreme or bizarre acts of punishmentSexually or physically abused children are usually emotionally abused as well.
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4. Child neglect is acts or the failure to act that leads to the denial of a child's basic needsNeglect can be physical, educational, emotional or psychologicalFor examplephysical neglect entails denial of food, clothing, appropriate medical care or supervisionIt may include abandonment.

Remembermany other behaviours could also be abusive despite the intent of the giver. The child has the right to deny any touch regardless of the intent.


कृपया इस ब्‍लॉग के यूटयूब चैनल ‘’रूद्राक्ष – RUDRAKSHA” (बहुआयामी ज्ञान मंच) (लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=TcoMNYtBjLs&t=47s) को SUBSCRIBE करेंं।


TRANSLATED HINDI VERSION:

मुख्‍यत: बाल शोषण के चार रूप हैं:

1.    शारीरिक शोषण किसी बच्‍चे को शारीरिक चोट पहुँचाना है। इसमें धक्‍का देना, थप्‍पड़ मारना, चुटकी भरना, लात मारना, पिटाई करना, हिलाना, या और किसी प्रकार से बच्‍चे को नुकसान पहुँचाना शामिल है। याद रहे कि प्रत्‍येक  शारीरिक शोषण शरीर पर जख्‍़म के निशान नहीं छोड़ता।  

2.    यौन शोषण तब होता है जब कोई व्‍यक्ति बच्‍चे को अपने यौन सुख और/या वाणिज्यिक लाभ के लिए यौन गतिविधियों में शामिल करता है। अश्‍लील साहित्‍य (पोर्नोग्राफी) उद्देश्‍यों के लिए बच्‍चों का इस्‍तेमाल करना भी यौन शोषण का ही एक रूप है।

3.    भावनात्‍मक शोषण में माता-पिता, देखभाल करने वाले, हमउम्र और अन्‍य द्वारा किए गए कृत्‍य और करने में विफल रहे कृत्‍य शामिल हैं जिनसे गंभीर व्‍यवहारात्‍मक, भावनात्‍मक या मानसिक तनाव/सदमा पहुंचता है या पहुंच सकता है। इसमें मौखिक और मानसिक शोषण शामिल है। भावनात्‍मक शोषण में मौखिक और मानसिक शोषण शामिल है। भावनात्‍मक शोषण में सजा देने के क्रूर और अजीब कृत्‍य भी शामिल हो सकते हैं। यौन-संबंधी या शारीरिक रूप से शोषित बच्‍चे प्राय: भावनात्‍मक रूप से शोषित भी होते हैं।    

4.      बच्‍चे की उपेक्षा करना ऐसा कृत्‍य या करने में विफल रहा कृत्‍य होता है जिसमें बच्‍चे की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने से इंकार किया जाता है। यह उपेक्षा शारीरिक, शैक्षणिक, भावनात्‍मक या मनोवैज्ञानिक हो सकती है। उदाहरण के लिए, शारीरिक उपेक्षा में भोजन, कपड़े, उचित चिकित्‍सा देखभाल या देखरेख से इंकार करना शामिल है। इसमें बिल्‍कुल छोड़ देना (परित्‍याग) भी शामिल है। 

याद रहे कि कई अन्‍य व्‍यवहार भी अनुचित हो सकते हैं भले ही ऐसा करने वाले की मंशा कुछ भी हो। बच्‍चे को यह अधिकार है कि वह किसी भी प्रकार के स्‍पर्श किए जाने से इंकार कर सकता है भले ही स्‍पर्श करने वाले की मंशा कुछ भी हो।  

कृपया इस ब्‍लॉग के यूटयूब चैनल ‘’रूद्राक्ष – RUDRAKSHA” (बहुआयामी ज्ञान मंच) (लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=TcoMNYtBjLs&t=47s) को SUBSCRIBE करेंं।


(सुनील भुटानी)
अनुवादक-लेखक-संपादक-प्रशिक्षक
Blog: http://rudrakshao.blogspot.com (बहुआयामी ज्ञान मंच)
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