Translate

Sunday, 26 April 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE – 21 (22-04-2020) with KEY (Translated Hindi Version)



English Version:

The Births, Deaths and Marriages Registration Act, 1886 provided for voluntary registration of births and deaths only for certain classes of people and also made a provision for effective registration of marriages under the Indian Christian Marriages Act, 1872 and the Parsi Marriage and Divorce Act, 1936. The said Acts have been subjected to revisions and amendments from time to time since independence.

While provisions for registration exist under various laws- such as the Hindu Marriages Act, 1955, the Special Marriages Act, 1954, the Parsi Marriages and Divorce Act, 1936 and the Indian Christian Marriages Act, 1872, however, there is no provision that provides for simply keeping a record of all marriages and is available to any and every individual in the country regardless of religion, region or customs.

Though the Registration of Births and Deaths (Amendment) Bill, 1969 was introduced to include the registration of marriages, it did not cover all citizens. These amendments applied only to the Christian community and it once again remained short of becoming a national legislation.

कृपया इस ब्‍लॉग के यूटयूब चैनल ‘’रूद्राक्ष – RUDRAKSHA” (लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=TcoMNYtBjLs&t=47s) को SUBSCRIBE करेंं। 

Hindi Translation:

जन्‍म, मृत्‍यु और विवाह रजिस्‍ट्रीकरण अधिनियम, 1886 में कतिपय वर्ग के लोगों के लिए ही जन्‍म और मृत्‍यु के स्‍वैच्छिक रजिस्‍ट्रीकरण का उपबंध है और भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम, 1872 और पारसी विवाह और विवाह-विच्‍छेद अधिनियम, 1936 के अधीन विवाह के प्रभावी रजिस्‍ट्रीकरण का भी उपबंध है। उक्‍त अधिनियमों का पुनरीक्षण और संशोधन समय-समय पर स्‍वतंत्रता के पश्‍चात किया गया है।

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, विशेष विवाह अधिनियम, 1954, पारसी विवाह और विवाह-विच्‍छेद अधिनियम, 1936 और भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियम, 1872 जैसी विभिन्‍न विधियों के अधीन रजिस्‍ट्रीकरण के उपबंध विद्यमान हैं फिर भी ऐसा कोई उपबंध नहीं है जो सभी विवाहों के अभिलेख रखने का उपबंध करता हो और धर्म, क्षेत्र या रूढि़ के बावजूद देश के किसी और प्रत्‍येक व्‍यक्ति के लिए उपलब्‍ध हो।  

यद्यपि जन्‍म और  मृत्‍यु रजिस्‍ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक, 1969 का पुर:स्‍थापन विवाहों के रजिस्‍ट्रीकरण को सम्मिलित करने के लिए था किंतु इसमें सभी नागरिकों को समाविष्‍ट नहीं किया गया था। ये संशोधन केवल ईसाइ समुदाय पर ही लागू होते हैं और यह पुन: राष्‍ट्रीय विधान नहीं बन सका।  

कृपया इस ब्‍लॉग के यूटयूब चैनल ‘’रूद्राक्ष – RUDRAKSHA” (लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=TcoMNYtBjLs&t=47s) को SUBSCRIBE करेंं। 

(सुनील भुटानी)
अनुवादक-लेखक-संपादक-प्रशिक्षक
Blog: http://rudrakshao.blogspot.com (बहुआयामी ज्ञान मंच)
यूटयूब चैनल: ‘’रूद्राक्ष – RUDRAKSHA” (बहुआयामी ज्ञान मंच) (https://www.youtube.com/watch?v=TcoMNYtBjLs&t=47s
Email ID: sunilbhutani2020@gmail.com
Whats'app No.: 9868896503
Facebook ID: Sunil Bhutani (हिंदी हैं हम) (https://www.facebook.com/hindihain.hum.1)
Facebook Groups: (1) TRANSLATORS’ WORLD [https://www.facebook.com/groups/137624480151786/] (2) भारत सरकार के कार्यालयों में राजभाषा अधिकारियों/अनुवादकों का मंच [https://www.facebook.com/groups/343558525711840/] (3) Right to Information (RTI) - सूचना का अधिकार [https://www.facebook.com/groups/645827906135875/

2 comments:

  1. Bhaut hi accha prayas. Keep it up

    ReplyDelete
  2. हार्दिक आभार रवि जी आपके प्रेरणात्‍मक शब्‍दों के लिए ...

    ReplyDelete