Translate

Sunday, 25 June 2017

अनुवाद अभ्‍यास-माला /Translation Excercise Series – 41



India imports around 70% of its crude oil requirement. Fall in crude oil prices, therefore, helps the country save on import bill, thereby narrowing its current account deficit (CAD). Brent Crude is a major trading classification of sweet light crude oil that serves as a major benchmark price for purchases of oil worldwide. Brent crude prices dropped to a three-month low on 14 March to $51 a barrel. That’s despite OPEC’s (Organization of the Petroleum Exporting Countries) efforts to cut production and stabilize the market. Increasing rig counts and high oil inventories in the US are weighing on crude oil prices. As OPEC in its recent monthly report increased its 2017 forecast for oil production outside the group it indicates the oil markets may take long to move close to balance. Opec’s current oil market report for 2017 says, non-OPEC oil supply is now projected to grow by 400,000 barrels per day (bpd) to average 57.74 million bpd, up by 160,000 bpd. This is driven by higher expectations for Canada, the US and Russia. It seems that the oil supply recovery is gathering momentum in the world oil market. Lower oil prices are good news for India, considering we import a huge portion of our oil requirements. It will lower inflation. In general, the drop in crude oil prices should lead to a decline in global petroleum product prices as well. Locally, apart from global petroleum product prices, the rupee-dollar exchange rate also plays an important role in determining prices. 

2 comments:

  1. भारत अपने कच्‍चे तेल की मांग का लगभग 70 प्रतिशत बाहर से आयात करता है। कच्‍चे तेल की कीमतों में कमी देश के आयात बिल को कम करने में सहायता करती है, जिससे देश के चालू खाते का घाटा कम होता है। ब्रेंट कूड उच्‍च गुणवत्‍ता वाले कच्‍चे तेल का एक प्रमुख व्‍यापारिक वर्गीकारक है, जो विश्‍व में कच्‍चे तेल की खरीद के लिए कीमत के मुख्‍य मानदंड के रूप में कार्य करता है। 14 मार्च को एक तिमाही के लिए ब्रेट कूड की कीमत गिरकर 51$ हो गई। इसके अलावा ओपेक (पेट्रोलियम निर्यात समितियों का संगठन) उत्‍पादन में कमी और बाजार में स्थिरता लाने के लिया प्रयास करता है। संयुक्‍त राज्‍य में रिग की संख्‍या में वृद्धि और उच्‍च तेल इनवेनटरीज कच्‍चे तेल की कीमतों पर बढ़ने रूपी प्रभावी डालती है। ओपेक के अनुसार उसकी अभी हाल ही की वर्ष 2017 की रिपोर्ट में समूह के बाहर तेल उत्‍पादन में वृद्धि का पुर्नानुमान लगाया गया है, जो यह संकेत करता है कि तेल बाजार शेष का भुगतान करने हेतु उचित कदम उठा सकता है। वर्ष 2017 के लिए ओपोक की वर्तमान तेल बाजार आधारित रिपोर्ट प्रदर्शित करती है कि गैर-ओपेेक तेल आपूर्ति 1,60,000 बेरल प्रति दिन से 4,00,000 तक औसत 57.74 मीलियन बेरल प्रतिदिन अब संरक्षित है। यह कनाडा, संयुक्‍त राज्‍य और रसिया से अधिक उम्‍मीद पर चलाई गई है। यह देखा गया है कि तेल आपूर्ति रिकवरी विश्‍व तेल बाजार में प्रगति कर रही है। तेल की कम कीमत भारत के लिए अच्‍छी खबर है क्‍योंकि हम अपनी तेल मांग का एक अधिकतम भाग आयात करते हैं। इससे मुद्रास्‍फीि‍ति कम होगी। आम तौर पर कच्‍चे तेल की कीमतों में कमी से संपूर्ण विश्‍व के पेट्रोलियम उत्‍पादों की कीमत में भी कमी होनी चाहिए। स्‍थानीय स्‍तर पर विश्‍व के पेट्रोलियम उत्‍पादों की कमतों के अतिरिक्‍त रूपये-डॉलर विनियम दर भी कीमत निर्धारित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्‍छा प्रयास।

    ReplyDelete