कुशल
अनुवादक के गुण
- अनुवादक को स्रोत और लक्ष्य दोनों भाषाओं का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।
- अनुवादक के पास अच्छे शब्दकोश होने चाहिएं। यदि प्रशासनिक/तकनीकी सामग्री का अनुवाद किया जाना है तो संबंधित विषय विशेष से संबंधित (तकनीकी एवं पारिभाषिक शब्दावली आयोग आदि द्वारा प्रकाशित) आधिकारिक शब्दावली/शब्दकोश होना चाहिए। अत: अनुवादक को उपयोगी शब्दकोशों/शब्दावलियों का संग्रह तैयार कर लेना चाहिए।
- अनुवादक को शब्दकोशों से आवश्यकतानुसार सटीक शब्दों का चयन करने में आलस्य नहीं करना चाहिए।
- यदि आवश्यक हो तो अनुवाद की जाने वाली सामग्री के किन्हीं शब्दों/अभिव्यक्तियों आदि के बारे में संबंधित विषय के जानकार से चर्चा कर लेनी चाहिए।
- तकनीकी/प्रशासनिक सामग्री के अनुवाद के मामले में विषयवस्तु को संबंधित विषय विशेषज्ञ से बेहतर ज्ञान अनुवादक को नहीं हो सकता, इसलिए विषय विशेषज्ञ की विशेषज्ञता का लाभ अवश्य उठाया जाना चाहिए।
- अनुवादक में अहं या अति-आत्मविश्वास का भाव नहीं होना चाहिए। अनुवादक दो भाषाओं रूपी किनारों को जोड़ने के लिए सेतु तैयार करने वाला इंजीनियर होता है। अनुवादक की कुशलता/सफलता सेतु की मजबूती या कमजोरी पर निर्भर करती है।
- अनुवादक को बहुआयामी ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण सामग्रियों का पठन करते हुए ज्ञानार्जन करते रहना चाहिए।
- साहित्यिक कृति का अनुवाद करने वाले अनुवादक को मूल रचनाकार के निरंतर सम्पर्क में रहकर उसकी संतुष्टि के अनुसार अनुवाद करना चाहिए क्योंकि मूल भावों के धरातल का ज्ञान मूल रचनाकार से बेहतर किसी को नहीं हो सकता।
- अनुवादक को अलग-अलग विषयों/विषयवस्तुओं का अनुवाद करने वाले अन्य अनुवादकों से मित्रवत् संबंध स्थापित करने चाहिएं ताकि आवश्यकता पड़ने पर एक-दूसरे का मार्गदर्शन कर सकें।
- अनुवादक को किसी भी विषयवस्तु की सामग्री का अनुवाद प्रारंभ करने से पूर्व (1) अनुवाद सामग्री के कितने पृष्ठ/शब्द हैं (2) अनुवाद कार्य कितने दिनों/घंटों में पूरा किए जाने की अपेक्षा की गई है (3) क्या इस सामग्री का अनुवाद करने में किसी संबद्ध विषय-विशेषज्ञ और/अथवा अनुवाद-विशेषज्ञ की आवश्यकता पड़ेगी (4) विषय/विषयवस्तु से संबंधित शब्दकोश/शब्दावली उपलब्ध है अथवा नहीं (5) प्रत्येक घंटे/दिन में कितने शब्दों/पृष्ठों का अनुवाद किया जा सकता है आदि पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार कर लेनी चाहिए।
- अनुवादक को अनुवाद कार्य करते समय गौरव का अनुभव होना चाहिए कि उसे दो भाषाओं के लोगों को जोड़ने वाले सेतु का निर्माण करने का दायित्व सौंपा गया है।
- अनुवादक लक्ष्य भाषा के पाठक को ध्यान में रखकर शब्दों/भाषा का प्रयोग करता है।
© सुनील भुटानी
बहुत ही सुन्दर ।
ReplyDeleteशुक्रिया जी
Deletevery useful. thank you
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteअत्यंत सारगर्भित एवं उपयोगी विवेचना की है आपने।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
DeleteIts very useful...thank you
ReplyDeleteधन्यवाद जी
DeleteIts very useful...thank you
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
DeleteThis is very helpful thank you sir
ReplyDeleteआपका भी बहुत बहुत धन्यवाद
DeleteThanku Sir its very useful
ReplyDeleteधन्यवाद जी
DeleteThanks for feedback sir........
ReplyDeleteVery nice��
ReplyDeleteआपकी सभी का हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा है। क्या आप अनुबादक के दोष के बारे में थोड़ा बताएँगे ?
ReplyDeleteअनुवादक का अत्यधिक आत्मविश्वासी होना एक दोष हो सकता है क्योंकि ऐसी स्थिति में वह कोशों/शब्दावलियों का प्रयोग करना छोड़ने लगता है जोकि गंभीर गलती किए जाने का कारण बन सकता है। अनुवादक को अपने व्यावसायिक जीवन में सदैव प्रशिक्षु बनकर रहना चाहिए क्योंकि अनुवाद व्यवहार एक अनंत यात्रा है जिसकी हर राह का हमें ज्ञान हो आवश्यक नहीं है। अनुवादक एक तपस्वी की तरह होता है जिसे निरंतर तप करते हुए ज्ञान अर्जन करते तथा इनका इस्तेमाल करते रहना होता है।
DeleteTw so much... For your help and guideline.. It's very useful for us
ReplyDelete.,..... धन्यवाद......
हार्दिक आभार
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