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Saturday, 8 July 2023

Translation (Hindi-English) Exercise – 75

जब भारत 15 अगस्त 2022 को 75 वर्ष का हो जाएगातो यह एक ऐसा क्षण होगा जो इतिहास में कभी-कभार ही आता हैजब हम पुराने से नए की तरफ कदम बढ़ाते हैं यह एक नए भारत का युग होगाएक ऐसा युग जहां भारत विचार और कार्य में वैश्विक नेतृत्व की अपनी यात्रा की शुरुआत करेगा इसके लिए तैयारी 2017 में ही आरंभ हो गई थी जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक एक नए भारत के निर्माण का आह्वान किया इस आह्वान के अनुरूपनीति आयोग ने 2018 में जारी 'स्ट्रेटेजी फॉर न्यू इंडिया @ 75 बनाई यह रणनीति महामारी के बाद की दुनिया में राष्ट्र को बदलने के लिए बहुत आवश्यक है 'नए भारत के लिए रणनीति @ 75 में प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के लिए तीन प्रमुख संदेश थे. सबसे पहलेविकास एक जन आंदोलन बन जाना चाहिएजिसमें प्रत्येक भारतीय अपनी भूमिका को पहचानता है और बेहतर जीवन जीने के लिए उसे मिलने वाले मूर्त लाभों का भी अनुभव करता है दूसरासभी अंचलों और राज्यों तथा सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए विकास की रणनीति व्यापकता-आधारित आर्थिक विकास हासिल करने में मददगार होनी चाहिए तीसराकार्यनीति जब क्रियान्वित की जाएगीतो यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रदर्शन के बीच की खाई को पाट देगी यह रणनीति नवाचारप्रौद्योगिकीउद्यम और कुशल प्रबंधन को नीति निर्माण और कार्यान्वयन के साथ प्रमुखता से जोड़ने का एक प्रयास है 'नीति शब्द का प्रयोग अक्सर सरकारी बोलचाल में किया जाता हैलेकिन 'नीति क्या हैअपने सरलतम रूप मेंनीति एक ढांचा या योजना है जिसके भीतर किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी कार्यों की कल्पनाकार्यान्वयन और मूल्यांकन किया जाता हैसार्वजनिक नीतिविस्तार सेउन उद्देश्यों पर लागू होती है जो जनता के कल्याण से संबंधित हैं (शब्‍दों की सं. 298)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 74

Agriculture has traditionally been considered a noble profession in India. There has been a famous saying in Hindi in rural India, 'Uttam Kheti, Madhyam baan, Adham Chakri, Bhikh Nidan", which means 'Agriculture is the best, next is business, still worse is service and prohibited is begging. Former India Prime Minister Shri Lal Bahadur Shastri gave the slogan, "Jai Jawaan, Jai Kisaan", meaning "Victory to Farmer and Victory to Soldier'. Our farmers used to be the main characters in movies, and their contribution to the nation used to be highly appreciated. They are often called 'Annadata' or 'Giver of food grain' and honoured by citizens for fulfilling our society's most important need, viz. food. Thomas Jefferson, one of the founding fathers of the USA, echoed the thought: "Agriculture is our wisest pursuit because it will, in the end, contribute most to real wealth, good morals & happiness." Agriculture continues to be an important sector of the Indian economy. However, its relative importance has considerably declined. According to the census 2011, 54.6 per cent of the population is engaged in agriculture and allied activities, but it contributes merely 17 per cent to the country's Gross Value Added. It is thus evident that their income is considerably less than the people who are employed in the manufacturing and service sectors. In developed countries like the USA, only 2% of the population is engaged in agriculture, but its contribution in GDP is 1%. Hence, the situation of farmers is still better in these countries. In India, the condition of farmers has constantly been deteriorating over time due to the reduction in farmers' income and the high risks involved. According to National Crime Records Bureau, around 40-50 farmers commit suicide in India every day. (No. of words 289)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (Hindi-English) Exercise – 73

 

भारत जिस तरह गणतंत्र की 73वीं वर्षगांठ और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में एकता, अखंडता और संप्रभुता सहित संविधान के सिद्धांतों और आदर्शों को कायम रखने वाले गणतंत्र के केन्द्र बिन्दु के रूप में संसद का अभिवादन करना उचित है। यह संविधान के अनुच्छेद 1 की भावना के साथ प्रतिध्वनित होता है जो यह घोषणा करता है कि "इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा'’. संसद ने वर्षों से विविधता के बीच एकता को सफलतापूर्वक बनाए रखा है और देश में लोकतंत्र को मजबूत किया हैजब हम आत्मनिरीक्षण करते हैं और इसकी उपलब्धियों और विफलताओं का आकलन करते हैं, ऐसे में 1954 में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर एंथनी ईडन के शब्दों को स्मरण करना सार्थक है, "भारतीय उद्यम हमारे यहां के अभ्यास की कोई फीकी नकल नहीं है, बल्कि एक बड़े पैमाने पर और कई गुणा प्रतिकृति के रूप में है जिसके बारे में हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था यदि यह सफल होता है, तो एशिया पर इसका अच्छा प्रभाव अनुमान से परे है परिणाम कुछ भी हो, हमें उन लोगों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने इसे करने का प्रयास कियाजब भारत ने महान स्वतंत्रता संग्राम के बाद उपनिवेशवाद की दासता से खुद को मुक्त किया, तो राष्ट्र के सामने यह चुनौती थी कि देश की विशालता और उसके अनुरूप आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई बहुलता और विविधता तथा सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए शासन की एक प्रणाली कैसे स्थापित की जाए उदार लोकतांत्रिक व्यवस्था की पूर्वपिक्षा के रूप में आर्थिक और शैक्षिक उन्नति की अनिवार्यता के पक्षकार कई लोगों ने अपनी आशंका व्यक्त की कि वेस्टमिंस्टर मॉडल, विदेश से उधार लिया गया, देशी धरती पर लागू होने पर कार्य कुशल होगा लेकिन बाद में, लाखों मतदाताओं ने, जो अन्यथा अनपढ़ और अशिक्षित थे, अपनी मजबूत और सांसारिक समझदारी से कयामत की भविष्यवाणियों को गलत साबित कर दिया (शब्‍दों की सं. 312)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 72

 

Democracy is the most popular form of government today worldwide, and India prides itself on being the largest democracy in the world. In a democracy, the people are the rulers as they elect their government. A true democracy means people's government, by the people and for the people. Media plays such an important role in a democracy that it is often called the 'Fourth Pillar' of democracy, besides the Legislature, Executive and Judiciary. A proactive media makes the elected representatives and the public servants accountable to the public. It gives voice to people, forms public opinion, and forces the government to heed the people's voice. Media also plays an active role in exposing corruption and other malpractices in government. Therefore, it is not surprising that powerful people wish to control the media to manipulate people's thoughts. Though there are other methods to control people's minds like religion, philosophy or literature, nothing can beat the power of media to influence people's thoughts. American singer and poet Jim Morrison said this aptly, "Whoever controls the media controls the mind." There is no doubt that a vibrant democracy needs a free press. When the press is free, people trust the media for knowing the truth. When journalists are doing their job honestly, they are widely respected in society and enjoy tremendous power. However, when the press is not free, it loses the respect of the people. Tom Stoppard, the British playwright and screenwriter, said, "A free press needs to be a respected press". If the media becomes corrupt or biased, people are given wrong information and fed with false propaganda of the political parties, which can misguide them to choose the bad candidates in power, leading to the destruction of democracy. (No. of words 288)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Sunday, 11 June 2023

Translation (Hindi-English) Exercise – 71

स्वतंत्रता के लिए भारतीय संघर्ष की लंबी लड़ाई भारत के लोगों के सर्वोच्च बलिदान की गाथा है शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ इस संघर्ष से जुड़े कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम थे पहला मील का पत्थर 1857 का महान विद्रोह था जिसका नेतृत्व रानी लक्ष्मी बाईतात्या टोपेअजीमुल्ला और नाना साहब ने किया था विद्रोह की विफलता ने भारतीय बुद्धिजीवियों को सशस्त्र प्रतिरोध की प्रभाव-शून्यता से अवगत कराया 19वीं शताब्दी के आख़िर में और उसके बादराजनीतिक परिदृश्य ने एक नया मोड़ लिया विलंबित और असंतोषजनक ब्रिटिश सुधारों, 'फूट डालो और राज करो की नीति के अनुसरण और अत्यधिक दमन से उत्पन्न निराशा ने बंगाल और महाराष्ट्र में राष्ट्रीय आंदोलन को चरम पर पहुंचाने का काम किया इस आंदोलन के नेता लोकमान्य तिलकअरबिंदो घोषबिपिन चंद्र पाललाला लाजपत राय और अन्य आंदोलनकारी नेता थे गांधीजी ने 1919 से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति तक ब्रिटिश शासकों के खिलाफ अखिल भारतीय चरित्र के पांच आंदोलन शुरू किए इन आंदोलनों को 1919 और 1921 तक असहयोग आंदोलन, 1930 और 1932 तक सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में ''भारत छोड़ो आंदोलन’’ के रूप में जाना जाता है अगस्त 1942 के 'भारत छोड़ो’ प्रस्ताव ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित किया गांधीजी ने इसे 'अंग्रेज़ों की भारत से सभी ग़ैर यूरोपीय व्यवसायों से वास्तविक रूप में और पूरी तरह तत्काल वापसी के तौर पर उल्लेखित किया आंदोलन की रणनीति बनाने से पहले ही गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया था जैसाकि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी आत्मकथा इंडिया विन्स फ्रीडम में बताया हैउन्हें अपनी गिरफ्तारी की उम्मीद नहीं थी और उनका मानना था कि 'ब्रिटिश जापानियों के भारत के दरवाजे पर दस्तक देने के साथ कोई भी कठोर कदम उठाने से हिचकिचाएंगे उन्होंने सोचा कि इससे कांग्रेस को एक प्रभावी आंदोलन संचालित करने का समय और अवसर मिलेगा. (शब्‍दों की सं. 304)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 70

We all want to succeed in life because success brings us wealth, power and fame in the world. Successful people are widely respected and are honoured by people for their achievements. It is, therefore, no wonder that a large number of people aspire to achieve success in their lives. For example, almost five lakh brilliant young people seek to become India's top civil servants by writing the Civil Services Examination in India. The civil services in India provide people with the best way to serve the country and give them power, perks, and prestige. However, it is also a fact that less than a thousand candidates eventually succeed in their endeavour and more than 99% of the candidates fail to realize their dream. We achieve success in this competitive world only if we perform better than others in our chosen field in life. To perform better, we must have superior knowledge, skill and abilities. Unfortunately, most of us want success but are not willing to work hard to improve ourselves to become truly worthy of success. We often don't recognize our weaknesses and, hence, continue to commit the same mistakes repeatedly. It is, thus, not surprising that most people fail to achieve the desired success in their lives. We can't achieve success in life unless we become worthy of it. However, we cannot improve ourselves unless we identify our weaknesses and overcome them. Unfortunately, most people prefer to see good things in themselves and bad things in others. When we see only goodness within, we feel happy and satisfied. It feels even better when we see evil within others because we immediately get a false sense of superiority. Thus, such an attitude in life makes us complacent and provides us instant gratification by doing nothing. People don't want to accept their mistakes to avoid working hard and Improving upon them. They avoid looking for goodness in others which will force them to improve themselves.  (No. of words 324)


- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Sunday, 4 June 2023

Translation (Hindi-English) Exercise – 69

यूरोप में यूक्रेन और रूस से जुड़ा मौजूदा गतिरोध वैश्विक आपदा के कगार पर है, जिसे विश्लेषक तीसरे विश्व युद्ध में रूपांतरित होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. इस क्षेत्र से कई वस्तुओं की वैश्विक आपूर्ति पहले से ही प्रभावित है अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी सहयोगी जहां यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं, वहीं चीन ने खुले तौर पर रूस का पक्ष लिया है जारी तिरोध में अब दोनों पक्ष भारत के करीब पहुंच रहे हैं उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में, भारत अपनी पहचान और हित के साथ दुनिया के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहा है यूरोप में संघर्ष एक ऐसा उदाहरण है वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा: 'यह विचार कि अन्य हमारी भूमिका निर्धारित करते हैं, यह भी कि हमें अन्य पक्षों से अनुमोदन की आवश्यकता है, मुझे लगता है कि वह एक ऐसा युग है जिसे हमें पीछे छोड़ने की आवश्यकता है यूक्रेन संकट पर उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने किसी का नहीं बल्कि अपना पक्ष लिया है जयशंकर ने कहा, 'हमें उस युग से निकलने की आवश्यकता है जिसमें अपने फैसलों के लिए मंजूरी लेने का विचार हो' 1970 के दशक के उत्तरार्ध में तत्कालीन सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर आक्रमण के समय भारत के सार्वजनिक समर्थन की तुलना में वर्तमान में भारत के भौगोलिक और अन्य क्षेत्रों में दांव बहुत ऊंचे हैं यह एक कारण है कि भारत तटस्थ और यथार्थवादी बना हुआ है, क्ष लेने को तैयार नहीं है यही कारण है कि अपने ऐतिहासिक संबंधों और व्यापार साझेदारी को देखते हुए, रूस को अपने नागरिकों को निकालने के लिए मानवीय गलियारे के निर्माण की भारत की मांग को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल लगा रूस ने भारत की मांगों पर ध्यान दिया और लगभग 22,500 नागरिकों को वापस लाने में मदद की यहां यह बताना जरूरी है कि यूक्रेन के अंतरराष्ट्रीय छात्रों में करीब ए-चौथाई भारतीय हैं(शब्‍दों की सं. 319)


- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 68

 On his second trip to India from South Africa in 1901, Gandhi attended the Congress session in Calcutta. The sanitary condition of the Congress camp was horrible. Some delegates used the verandah as latrines, and others did not object to it. Gandhi reacted immediately. When he spoke to the volunteers, they said, "This is not our job. This is a sweeper's job. Gandhi then asked for a broom and started cleaning the filth himself. The volunteers were astonished, but none came forward to assist him Years later, when Gandhi became the guiding star of the Indian National Congress; volunteers formed a bhangi (sweeper) squad in the Congress camps where, once, even the Brahmins worked as bhangis. This is one of the many examples where Gandhi took the lead in doing what he asked others to do. He always believed in transforming himself first before asking others to change themselves. It is not thus surprising that Mahatma Gandhi is one of the world's most outstanding leaders and given the honour of the Father of the Nation by Indians. People of India trusted him since they knew that he was true to his words. American writer John C. Maxwell says, "A leader is one who knows the way, goes the way, and shows the way." We all want to change the world since no society is perfect. We all have many ideas on how we can create a good society only if people change. We all are good at advising others but rarely implement the change in ourselves. Indian poet and the writer of 'Ramcharitmanas' Tulsidas said very wisely, 'Par Updesh Kushal Bahutere' (Most people are experts in advising others). People want others to change but do not change themselves when it does not benefit them. We have many problems in our society, and we want it to change for the better. But we as individuals need to change first. (No. of words 318)


- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Sunday, 28 May 2023

Translation (Hindi-English) Exercise – 67

वर्ष 2022 एक बहुत ही खास वर्ष है, जब भारतीय नागरिक देश की आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव और अपने लोगों, संस्कृति तथा उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मना रहे हैं भारत एक वैश्विक शक्ति बनने की राह पर तेजी से अग्रसर है, हमारे प्रयासों में हमारे लोगों और सामान्य रूप से दुनिया दोनों के लिए जबरदस्त संभावनाएं हैं हम जिस प्रकार का नया भारत और विश्व व्यवस्था बनाना चाहते हैं यह हमें उसकी कल्पना करने का अवसर और अधिकार दोनों प्रदान करता है अवसंरचना, भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने वाला एक प्रमुख वाहक है किसी राष्ट्र की अवसंरचना की गुणवत्ता उसकी आर्थिक जीवन शक्ति का एक महत्वपूर्ण सूचकांक है विश्वसनीय परिवहन, स्वच्छ पानी और कचरा प्रबंधन की समुचित व्यवस्था किसी सभ्य समाज और उत्पादक अर्थव्यवस्था के मूल तत्व हैं भारत की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है तथा यह और बड़ी हो रही है कुछ अनुमान बताते हैं कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. सतत आर्थिक विकास के लिए अवसंरचना का महत्व स्वीकृत तथ्य है परिवहन, बिजली और संचार को कवर करने वाली भौतिक आधारभूत संरचना, अपने पश्चगामी और अग्रगामी संयोजन के माध्यम से विकास की सुविधा प्रदान करती है, जो जीवन की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव डालती हैइसमें जल आपूर्ति, स्वच्छता, सीवेज निपटान, शिक्षा और स्वास्थ्य सहित सामाजिक आधारभूत संरचना शामिल है अवसंरचना का निष्पादन काफी हद तक अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का प्रतिबिंब है मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में तेजी से मंजूरी और विवाद समाधान, अटकी परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण और कंपनियों के लिए आसान निकास शामिल हैं सरकार द्वारा सड़क क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति के साथ, कई विदेशी कंपनियों ने इस क्षेत्र के विकास के लिए भारतीय निर्माताओं के साथ भागीदारी की है (शब्‍दों की सं. 307)


- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 66

 The progress of a society depends on the harmonious living of the members of the society. When people follow moral principles, they care for one another and create a loving, peaceful and progressive society. These moral principles clearly distinguish right and wrong, proper and improper, or good and bad behaviour. Mahatma Gandhi once said, "Morality is the basis of things, and the truth is the substance of all morality". No society can stand together without morality, and no morality can stand for long unless it stands on truth. Morality represents a body of standards or principles derived from a code of conduct prescribed by a particular philosophy, religion, or culture. It also means a standard that a person believes should be universal. However, morality is not static but evolves with time and place. Some people find it difficult to change with time, and they stick to the old standards of morality imbibed by them from their ancestors. Such moral values can be called customary morality, which comes from the old customs, traditions, and religion of the society, state or nation. Customary morality flows from ancient culture and traditions. For example, ancient Indians followed the professions based on their caste and married within their castes. Women's roles were limited to taking care of the family and being a homemaker. They were often confined to their homes and covered their faces whenever they had to go out. Such traditions may appear to be oppressive to modern women. The American author Letty Cottin Pogrebin wisely depictured this condition of women in a traditional society, "When men are oppressed, it's a tragedy. When women are oppressed, it's tradition." Marriage is considered sacred and irrevocable in traditional Hindu Society, while divorce finds no mention in any scripture. (No. of words 292)


- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Saturday, 13 May 2023

Translation (Hindi-English) Exercise – 65

पुरातन काल से ही भाषा प्रभावी संचार का एक अनिवार्य घटक रही है। इस तरह से भारत अनेकानेक भाषाओं और बोलियों से समृद्ध रहा है और यह बात जहां एक ओर संचार को चुनौतीपूर्ण बनाती है, वहीं दूसरी ओर व्यापक शब्दावली और उपयोग के चलते उसे संपन्न भी बनाती है। भाषाओं की व्यापक विविधता के कारण हर व्यक्ति अथवा हर उद्देश्य के लिए उपयुक्त वाला सिद्धांत यहां फिट नहीं बैठता। एक भाषा की संचार रणनीतियां दूसरी भाषा से भिन्न होती हैं। उनमें भूगोल और एक भाषा विशेष को बोलने वाले लोगों की संख्या की दृष्टि से भिन्नता होती है। ज्यादा दूर क्यों जाएं? जम्मू और कश्मीर के भीतर, प्रमुख रूप से बोली और लिखी जाने वाली चार भाषाएं हैं जम्मू में डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी, जबकि कश्मीर में कश्मीरी, उर्दू और अंग्रेजी। हालांकि भौगोलिक दृष्टि से यह इलाका पहाड़ी है और सर्दियों के मौसम में बर्फ के कारण इसके ऊंचाई वाले क्षेत्रों का संपर्क अधिकांशतः कटा रहता है। इसके बावजूद पिछली जनगणना रिपोर्टों के अनुसार, डोगरी बोलने वालों की संख्या कश्मीरी बोलने वाले लोगों की संख्या से आधी से भी कम है। यद्यपि ये आंकड़े किसी संचारक के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन इन दोनों भाषाओं की विविधता शब्द भंडार और उनके उपयोग में बहुत कुछ जोड़ती है। हालांकि प्रौद्योगिकी के संबंध में हमने देखा कि पिछले दो वर्षों के दौरान प्रौद्योगिकी आधारित संचार उपकरणों की सहायता से अनेक बाधाओं को दूर किया गया है। कोविड या नो-कोविड, लोगों ने संचार चैनलों को खुला रखने के लिए अपने जीवन में प्रौद्योगिकी को स्वीकार किया है। क्लासरूम की पढ़ाई, समूह बैठकों, नुक्कड़ नाटकों तथा व्यक्तिगत भागीदारी की आवश्यकता वाली अनेक गतिविधियों ने ऑनलाइन माध्यम का रुख कर लिया है। गतिविधियां बदस्तूर जारी रहीं, फिर भी विशेषज्ञों के दृष्टिकोण में संचार की प्रभावकारिता में कमी आई। ऐसी परिस्थितियों में, विज्ञान संचार और लोकप्रचार भी अपवाद नहीं रहा। (शब्‍दों की सं. 306)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 64

How do you feel when you go to your office and find the traffic halted because some VIP or minister passes through the same road? How do you feel when you visit your senior civil servant cousin and find him living in a big bungalow with beaconed cars and a posse of orderlies? What do you think when you see a senior police officer escorted by a host of police officers when travelling on the road; or prominent business people living in their palatial bungalows with personal jets, fleets of cars and dozens of servants? We often get impressed with the privileges enjoyed by ministers, civil servants and top honchos of firms. Naturally, we wish to occupy those positions and want those privileges. However, have we ever realized that such great benefits are associated with enormous responsibilities that have to be carried out by the so-called 'privileged classes'? It is essential to understand that there is no such thing as a free lunch in the world. You have to pay the price for everything that you get in this world. When you get a privilege, it always comes with responsibility which comes with the position. Mwai Kibaki, the former president of Kenya, rightly explained, "Leadership is a privilege to better the lives of others. It is not an opportunity to satisfy personal greed." However, most people focus only on enjoyable positions and privileges and shun the responsibilities that come with such power and position. Privilege means a special right, advantage, or immunity granted or available only to a particular person or group. We get many privileges due to our birth itself. For example, when we are born into a family of rich, intelligent, and caring parents, we are already privileged as we do not have to face the hardship of millions of children worldwide. (No. of words 304)

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Sunday, 7 May 2023

Translation (Hindi-English) Exercise – 63

पचास वर्ष पहले 5 जून 1972 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस, 'केवल एक पृथ्वी' थीम के साथ मनाया गया था। पचास साल बाद 2022 में, एक बार फिर दुनियाभर के लोग इसी थीम के साथ यह दिवस मना रहे हैं। यह हमें याद दिलाता है कि केवल एक पृथ्वी है, और हमें प्राथमिकता तथा तात्कालिकता के साथ इसके सीमित संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए, भारत में हाल के वर्षों में, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों ने भारत सरकार के सभी नीतिगत उपायों में तेजी से प्रमुख स्थान प्राप्त किया है। इसके लिए लागू किए जा रहे कार्यक्रमों में स्वच्छ भारत मिशन, एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध, जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना, कैच द रेन अभियान, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, हरित कौशल विकास कार्यक्रम और नमामि गंगे शामिल हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, ग्लासगो में सीओपी-26 शिखर सम्मेलन के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की भी घोषणा की। भारत सरकार ने विशेष रूप से जल क्षेत्र पर गहराई से विचार करते हुए, जल सुरक्षित भविष्य प्राप्त करने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। 2019 में एक ही मंत्रालय के तत्वावधान में सभी जल संबंधी पहल, विभागों और योजनाओं को लाने के लिए जल शक्ति मंत्राल त्र्य का गठन किया गया था। विभिन्न योजनाएं और नीतियां जो पहले अन्य मंत्रालयों जैसे आवास तथा शहरी मामलों के मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत चल रही थीं, उन सभी को जल शक्ति मंत्रालय के तहत लाया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किए जा रहे सभी कार्य योजनाबद्ध रूप से या एक साथ काम कर रहे हैं। जल जीवन मिशन, अटल भूजल, जल शक्ति अभियान, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), कैच द रेन अभियान कुछ ऐसी योजनाओं के उदाहरण हैं जो जल संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कार्य कर रही हैं। (शब्‍दों की सं. 308) 

- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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Translation (English-Hindi) Exercise – 62

The American philosopher and author Ralph Waldo Emerson ones said, The purpose of life is not to be happy. It is to be useful, to be honourable, to be compassionate, and to have it make some difference that you have lived and lived well." While we appreciate such words of wisdom, weedy understand the true meaning of such words since we rarely try to follow them in our lives. How many of us ever try to find purpose in our life? How many of us ever try to be helpful to the world and work hard to make the world better? How many of us would be willing to suffer for the millions of people in our world and lead a life with a purpose? Most of us prefer to live a good life ourselves, ignoring our duties and responsibilities for the world. A good life for us means a life of comfort and luxury with few problems or worries. It means having lots of money, a big house, expensive cars and modern gadgets. To achieve such a life, we work hard and even sacrifice our ideals, principles and relationships. Unfortunately, most people remain unhappy because they never achieve the desired success. A few lucky ones who become successful also fail to live well due to failing health, broken relationships, and an often guilty conscience. What is then the secret to a good life? "The good life is a process, not a state of being. It is a direction, not a destination," said American psychologist Carl Rogers. If we wish to be happy, we must move in the right direction and follow the correct principles. We have to earn a good life by first making the world suitable. It means that we must try to make a difference in the world by contributing to the betterment of society using all our abilities. (No. of words 312)


- Sunil Bhutani 'Rudraksha'

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