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Monday, 10 August 2020

ज्ञानदेवी भाषा (कविता)

 ज्ञानदेवी भाषा  

 सब भाषा भी मेरी,

सब लिपि भी मेरी,

हर भाषा प्यारी,

हर लिपि न्यारी।

हर शब्द में ज्ञान,

हर भाषा महान,

मेरी भाषा मेरी माँ,

तेरी भाषा तेरी माँ।

तू मेरी माँ का सम्मान कर,

मैं तेरी माँ का सम्मान करूँ,

हर माँ देती अपने बच्चों को ज्ञान,

कर हर ज्ञानदेवी का मान-सम्मान।

 

© सुनील भुटानी 'रूद्राक्ष'

अनुवादक-लेखक-ब्‍लॉगर-संपादक-प्रशिक्षक
ब्‍लॉग: http://rudrakshao.blogspot.com 

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