सरकारी अनुवादक कैसे बनें?
भारत सरकार में समय-समय पर अनुवादकों की भर्ती की जाती है। भारत सरकार द्वारा सरकारी कार्यालयों में अनुवादकों के पद सृजित करने के लिए मानदंड निर्धारित किए गए हैं जिनके अनुसार प्रत्येक सरकारी कार्यालयों द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) आदि भर्ती एजेंसियों के माध्यम से या अपने कार्यालय के स्तर पर अनुवादकों की भर्ती की जाती है। भारत सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों और इनके अधीनस्थ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अधिकरणों, स्वायत्त निकायों, बोर्डों आदि में राजभाषा संवर्ग (कैडर) के पद भिन्न-भिन्न नाम से होते हैं। मंत्रालयों एवं विभागों आदि में पदानुक्रम कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी, वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी, सहायक निदेशक (राजभाषा), उप निदेशक (राजभाषा), संयुक्त निदेशक (राजभाषा) एवं निदेशक (राजभाषा) होते हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं बैंकों आदि में पदानुक्रम राजभाषा अधिकारी, सहायक प्रबंधक (राजभाषा), उप प्रबंधक (राजभाषा), प्रबंधक (राजभाषा), उप महाप्रबंधक (राजभाषा), महाप्रबंधक (राजभाषा) आदि होते हैं। भारत सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों और इनके अधीनस्थ कार्यालयों में प्रचलित राजभाषा कैडर के पदों से संबंधित भर्ती नियमों में किए गए प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए सीधी भर्ती/पदोन्नति/प्रतिनियुक्ति आधार पर नियुक्ति के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किए जाते हैं। ये विज्ञापन रोजगार समाचारपत्र और प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी एवं हिंदी समाचारपत्रों में प्रकाशित किए जाते हैं और इन्हें संबंधित कार्यालयों की वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया जाता है। आजकल ज्यादातर ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं।
सरकारी अनुवादकों की भर्ती प्रक्रिया
भारत सरकार में अनुवादक बनने के इच्छुक अभ्यर्थी सामान्य तौर पर एसएससी द्वारा प्रत्येक वर्ष कनिष्ठ हिंदी अनुवादक (जेएचटी)/वरिष्ठ हिंदी अनुवादक (एसएचटी) पदों पर भर्ती के लिए जारी किए जाने वाले विज्ञापन के अंतर्गत आवेदन और परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। हाल ही में, यूपीएससी द्वारा पहली बार कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी (जेटीओ) पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए गए और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के लिए नियुक्तियाँ की गईं। एसएससी द्वारा दो परीक्षाएँ (पेपर-1 एवं पेपर-2) आयोजित की जाती हैं। पेपर-1 परीक्षा में हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषा ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है तो पेपर-2 में हिंदी से अंग्रेज़ी एवं अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद तथा हिंदी एवं अंग्रेज़ी में निबंध लेखन की कला का मूल्यांकन किया जाता है। पेपर-1 में कट ऑफ के आधार पर उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को पेपर-2 में उपस्थित होने का अवसर दिया जाता है। इसके बाद, पेपर-1 और पेपर-2 के संयुक्त परिणाम के आधार पर अंतिम मैरिट तैयार कर चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाता है। यूपीएससी अपनी निर्धारित भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत एक ही लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर चयन प्रक्रिया संपन्न करता है। यूपीएससी का परीक्षा पाठ्यक्रम बहुत ही व्यापक होता है। इसमें भारत संघ की राजभाषा नीति, राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधान, राष्ट्रपति के आदेश, 1960, राजभाषा संकल्प, 1968, राजभाशा अधिनियम एवं नियम, वार्षिक कार्यक्रम, हिंदी से अंग्रेज़ी एवं अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद, हिंदी सामान्य ज्ञान, हिंदी भाषा एवं साहित्य आदि शामिल होते हैं। आईबीपीएस, एनटीए और अन्य चयन संगठनों की अपनी-अपनी चयन प्रक्रिया और परीक्षा पाठ्यक्रम होते हैं। इनके अलावा, अनेक सरकारी संगठनों द्वारा अपने स्तर पर परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं जिनका परीक्षा पाठ्यक्रम भिन्न-भिन्न होता है। ऐसे कुछ संगठन एसएससी, यूपीएससी, एनटीए, आईबीपीएस के परीक्षा पाठ्यक्रम के अनुसार अपना परीक्षा पाठ्यक्रम तैयार करते हैं तो कुछ संगठन अपने कार्यक्षेत्र को केंद्र में रखकर सामान्य ज्ञान, अंग्रेज़ी एवं हिंदी भाषा ज्ञान और अनुवाद कौशल आदि को ध्यान में रखते हुए परीक्षा पाठ्यक्रम तैयार करते हैं।
सरकारी अनुवादक बनने के लिए शैक्षणिक योग्यताएँ
भारत सरकार में अनुवादक बनने
के लिए, प्रत्येक कार्यालय के भर्ती नियमों के अनुसार
न्यूनतम अनिवार्य शैक्षणिक योग्यताएँ और वांछनीय योग्यताएँ एवं अनुभव आदि
भिन्न-भिन्न होते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर एसएससी, यूपीएससी आदि में ये योग्यताएँ निम्नलिखित होती हैं:-
1. यदि अभ्यर्थी ने मान्यता
प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (यानि पोस्ट-ग्रेजुएशन) हिंदी विषय में
किया हो तो उसके पास स्नातक (ग्रेजुएशन) स्तर पर अंग्रेज़ी एक अनिवार्य या वैकल्पिक
विषय के तौर पर होना चाहिए या स्नातक परीक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी होना चाहिए;
अथवा
2. यदि अभ्यर्थी ने मान्यता प्राप्त
विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (यानि पोस्ट-ग्रेजुएशन) अंग्रेज़ी विषय में किया हो
तो उसके पास स्नातक (ग्रेजुएशन) स्तर पर हिंदी एक अनिवार्य या वैकल्पिक विषय के
तौर पर होना चाहिए या स्नातक परीक्षा का माध्यम हिंदी होना चाहिए; अथवा
3. यदि अभ्यर्थी ने मान्यता
प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (यानि पोस्ट-ग्रेजुएशन) हिंदी या अंग्रेज़ी
विषय के अलावा किसी अन्य विषय में किया हो और परीक्षा का माध्यम हिंदी रहा हो तो
स्नातक (ग्रेजुएशन) स्तर पर अंग्रेज़ी एक अनिवार्य या वैकल्पिक विशय के तौर पर होना
चाहिए या स्नातक परीक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी होना चाहिए; अथवा
4. यदि अभ्यर्थी ने मान्यता
प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (यानि पोस्ट-ग्रेजुएशन) हिंदी या अंग्रेज़ी
विषय के अलावा किसी अन्य विषय में किया हो और परीक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी रहा हो
तो स्नातक (ग्रेजुएशन) स्तर पर हिंदी एक अनिवार्य या वैकल्पिक विषय के तौर पर होना
चाहिए या स्नातक परीक्षा का माध्यम हिंदी होना चाहिए; और
5. अभ्यर्थी ने हिंदी से अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद में डिप्लोमा या प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम किया हो या केंद्रीय या राज्य सरकार के कार्यालय जिनमें भारत सरकार के उपक्रम भी शामिल हैं, में दो वर्ष का हिंदी से अंग्रेज़ी या अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद का अनुभव प्राप्त किया हो।
सरकारी अनुवादक बनने के लिए, अभ्यर्थी के पास स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा (पीजीडीटी) होना ही चाहिए। हालांकि कुछ मामलों में पीजीडीटी के विकल्प के तौर पर दो वर्षों का केंद्रीय या राज्य सरकार के कार्यालय जिनमें भारत सरकार के उपक्रम भी शामिल हैं, में दो वर्ष का हिंदी से अंग्रेज़ी या अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद का अनुभव माँगा जाता है, लेकिन अधिकांश मामलों में पीजीडीटी की अनिवार्यता होती है। यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा नियमित पाठ्यक्रम के रूप में करवाया जाता है तो वहीं कुछ सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों द्वारा अंशकालिक पाठ्यक्रम के रूप में भी करवाया जाता है। इसके अलावा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) सहित अनेक मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा पत्राचार माध्यम से यह पाठ्यक्रम करने की सुविधा भी प्रदान की जाती है। इन सभी विश्वविद्यालयों/मुक्त विश्वविद्यालयों/संस्थानों से प्राप्त डिप्लोमा सरकारी अनुवादक बनने के लिए मान्य होते हैं।
सरकारी अनुवादक बनने के लिए आयु सीमा
सामान्य तौर पर, सरकारी अनुवादक बनने के लिए आयु सीमा 18 से 30 वर्ष होती है। हालांकि, सरकारी नियमानुसार, एससी (5 वर्ष)/एसटी (5 वर्ष)/ओबीसी (3 वर्ष)/पीडब्ल्यूडी (अनारक्षित) (10 वर्ष)/पीडब्ल्यूडी (ओबीसी) (13 वर्ष)/पीडब्ल्यूडी (एससी/एसटी) (15 वर्ष)/पूर्व-सैनिकों (3 वर्ष) श्रेणी के अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में छूट प्रदान की जाती है।
सरकारी अनुवादक बनने की तैयारी कैसे करें?
सरकारी अनुवादक बनने के
इच्छुक अभ्यर्थियों को सबसे पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उनके पास सरकारी
अनुवादक बनने के लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यताएँ हों। अनेक बार ऐसा देखा जाता है कि
अनिवार्य शैक्षणिक योग्यताओं एवं अनुभव, जहां कहीं अपेक्षित
हो, आदि के बारे में स्पष्टता नहीं के कारण अभ्यर्थी चयन
प्रक्रिया के अंतिम चरण यानि दस्तावेज़ों के सत्यापन (डीवी) के समय चयन प्रक्रिया
से बाहर हो जाते हैं। जब आप निश्चिंत हो जाएं कि आप भर्ती विज्ञापन के अनुसार
आवेदन करने के लिए पात्र हैं तो ध्यानपूर्वक आवेदन करें। इस तरह, जब आपने आवेदन कर दिया तो यह निश्चित है कि आपको चयन प्रक्रिया की
परीक्षा(ओं) में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इसलिए, भर्ती
विज्ञापन में दिए गए पाठ्यक्रम के अनुसार तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। सरकारी
संगठनों में अनुवादकों की भर्ती से संबंधित पाठ्यक्रम भिन्न-भिन्न हो सकते हैं
इसलिए निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार ही तैयारी करनी चाहिए। अनेक बार देखा गया है
कि जिन मामलों में दो प्रश्नपत्र (हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषा ज्ञान आदि और अनुवाद
व्यवहार एवं निबंध लेखन आदि) होते हैं उनमें अभ्यर्थी शुरूआत में केवल प्रश्नपत्र
एक पर ध्यान देते हैं और सोचते हैं कि जब पहले प्रश्नपत्र में उत्तीर्ण होकर
दूसरे दौर (राउंड) में प्रवेश कर जाएंगे जब प्रश्नपत्र दो की तैयारी करेंगे। प्रश्नपत्र
एक के परिणाम के बाद और प्रश्नपत्र दो की परीक्षा के बीच बहुत ज्यादा समय का
अंतराल नहीं होता है जिस कारण प्रश्नपत्र दो की पर्याप्त तैयारी नहीं हो पाती है
और प्रश्नपत्र एक में अच्छे अंक प्राप्त करने के बावजूद अंतिम रूप से चयन नहीं हो
पाता। इसलिए, दोनों प्रश्नपत्रों की तैयारी साथ-साथ करनी
चाहिए।
- सुनील भूटानी ‘रुद्राक्ष‘, गुरुग्राम
(हरियाणा)
व्ह्टसअप नं. 9868896503
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