श्री अटल बिहारी वाजपेयी : सहस्राब्दी के नेता
भारत रत्न श्री अटल बिहारी
वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर (म.प्र.) में हुआ था। वह एक
मेधावी छात्र थे और उन्हें वादविवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेना बहुत पसंद था।
इसी प्रतिभा ने उन्हें भारतीय राजनीति का उत्कृष्ट नेता बना दिया। वह हिन्दी
और ब्रज भाषा के सुप्रसिद्ध कवि भी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की
पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया है। उन्होंने राजनीति का पाठ अपने समय के माने
हुए राजनेताओं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय से सीखा था।
वह दो बार देश के प्रधानमंत्री बने और अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। वह
वर्ष 1977 में देश के विदेश मंत्री भी रहे और उन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर देश के लोगों का दिल जीत लिया
था। भारतीय राजनीति के भिन्न-भिन्न दलों के नेता अटल जी के व्यक्तित्व और
कृतित्व का सम्मान करते हैं।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी और
पोखरण एक-दूसरे की पहचान हैं। वाजपेयी जी ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच
परमाणु परीक्षण करके पूरे विश्व में सनसनी फैला दी थी। भारत ने विश्व को अपनी
परमाणु ताकत का परिचय दिया। विश्व के विकसित एवं शक्तिशाली देशों ने भारत के इस
साहस और योग्यता को देखकर दॉंतों तले अंगुली दबा ली थी। उन दिनों से शुरू हुई
सशक्त भारत की यात्रा आज अनेक मील के पत्थर पार कर चुकी है। आज भारत अंतरिक्ष और
परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल है जिसका श्रेय अटल जी को भी
जाता है।
श्री अटल बिहारी जी एक
अंतर्राष्ट्रीय नेता हैं और विश्व के शक्तिशाली राजनेताओं ने भी उनकी राजनीतिक
सूझबूझ और प्रतिभा का लोहा मानते हुए उन्हें हमेशा सम्मान दिया है। पाकिस्तान
से रिश्तों में सुधार की संभावनाओं को पंख लगाते हुए उन्होंने बस से पाकिस्तान
की यात्रा की थी और दोनों देशों के लोगों का दिल जीत लिया था। लेकिन, इस पाकिस्तान दौरे के कुछ समय बाद ही पाकिस्तान की ओर से भारत के कारगिल
में आक्रमण ने उन्हें बहुत ही आहत किया था। उन्होंने धैर्य और सूझबूझ से इस विषम
परिस्थिति का सामना करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दिल जीत लिया था। दृढ़
निश्चयी वाजपेयी जी की भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध जीतकर देश का सम्मान बढ़ाया
था।
वाजपेयी जी के सपनों के भारत
की दो प्रमुख परियोजनाएं थीं – (1) देश के चारों कोनों (दिल्ली, कलत्ता, चेन्नई एवं मुम्बई) को राजमार्ग से जोड़ने वाली
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना और (2) देश की प्रमुख नदियों को एक-दूसरे से जोड़ना।
वह इन दोनों परियोजनाओं के माध्यम से देश का त्वरित चहुमुखी विकास करना चाहते
थे। प्रसन्नता का विषय है कि इन दोनों परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है।
निष्कर्षत: वाजपेयी जी इस
सहस्राब्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेताओं में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।
सुदीर्घ राजनीतिक यात्रा के पश्चात आजकल वह घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे
हैं। भारतीय राजनीति का इतिहास में वाजपेयी जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिखा
जाता रहेगा। मैं उन्हें नमन करते हुए स्वस्थ्यपूर्ण दीर्घायु की कामना करती
हूं।
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