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Sunday, 14 June 2020

PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE (English-Hindi) – 27 (14-06-2020)


PRACTICAL TRANSLATION EXERCISE (English-Hindi) – 27 (14-06-2020)

High quality Face mask has been developed at the Bhabha Atomic Research Centre (BARC) Mumbai which is affiliated to Department of Atomic Energy. The mask was developed using HEPA filter and is expected to be cost-effective also. This was stated by Union Minister of State (Independent Charge) of the Ministry of Development of North Eastern Region (DoNER), MoS PMO, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh while citing some major achievements of the department during last one year.Pertinent to mention that Department of Atomic Energy has about 30 units which include R&D, academic institutions, aided hospitals, PSUs etc. Bhabha Atomic Research Centre, Mumbai founded by the legendary Scientist Dr Homi J. Bhabha also functions under the aegis of Department of Atomic Energy. Referring to some of the major activities and initiatives of the Department of Atomic Energy during the last one year, Dr Jitendra Singh complimented the scientific fraternity for coming to the support of society in the wake of COVID-19 pandemic. In addition to the high quality face mask, he informed that the Atomic/Nuclear scientists have also developed the protocol for re-use of Personal Protective Equipment (PPEs) subsequent to radiation sterilization. The SOP for the same is under consideration by the Union Ministry of Health and Family Welfare, he added.


सुनील भुटानी
अनुवादक-लेखक-संपादक-प्रशिक्षक
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Tuesday, 9 June 2020

प्रतियोगी परीक्षाओं में 'सफलता' और 'असफलता' में अनुवादकों की भूमिका


प्रतियोगी परीक्षाओं में 'सफलता' और 'असफलता' में अनुवादकों की भूमिका

      प्रतियोगी परीक्षाएं अर्थात् जीवन संघर्ष यात्रा ... प्रतियोगी अर्थात् संघर्ष पथ का पथिक। प्रतियोगी परीक्षाएं युवा वर्ग की उम्‍मीद की किरणें होती हैं। देश में अनेक ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रतियोगी परीक्षाएँ होती हैं और उनके प्रश्‍नपत्र अंग्रेज़ी के अलावा हिंदी एवं अन्‍य कुछ भारतीय भाषाओं में होते हैं। सभी प्रश्‍नपत्र मूल रूप से अंग्रेज़ी में तैयार किए जाते हैं और तत्‍पश्‍चात इन्‍हें हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं में अनूदित किया जाता है। देश में प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करने वाली सरकारी संस्‍थाओं में लोक संघ सेवा आयोग (यूपीएससी) (https://www.upsc.gov.in/) और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) (https://ssc.nic.in/) प्रमुख हैं। इनके अलावा, अब अनेक अन्‍य सरकारी एवं प्राइवेट कंपनियाँ हैं जो सरकारी एवं प्राइवेट संस्‍थाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करती हैं। इन कंपनियों में राष्‍ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) (https://nta.ac.in/), एडसिल (इंडिया) लिमिटेड (http://www.edcilindia.co.in/Home), टाटा टेलिकॉम्‍यूनिकेशन सर्विसस (टीसीएस) (https://www.tcs.com/) प्रमुख हैं। चूंकि अब ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करने का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है, इसलिए ऐसी परीक्षाएँ आयोजित करने वाली सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों की संख्‍या भी निरंतर बढ़ती जा रही है।

      प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करने वाली सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती अंग्रेज़ी से हिंदी एवं अन्‍य निर्धारित भारतीय भाषाओं में अनुवाद की है। भारत सरकार संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में और राज्‍य सरकारें अपनी-अपनी राजभाषा या राजभाषाओं, जैसी भी स्थिति हो, में प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करवाना चाहती हैं ताकि महानगर से लेकर देहात में रहने वाले प्रतियोगियों को समान अवसर प्रदान किए जा सकें। इस दिशा में निरंतर प्रयासों का ही परिणाम है कि अनेक प्रतियोगी परीक्षाएँ अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं में भी आयोजित की जा रही हैं।

देश में अनुवाद पाठ्यक्रम करवाने वाले अनेक सरकारी अथवा मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍वविद्यालय एवं संस्‍थान हैं, अनुवाद के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य करने वाली अनेक सरकारी और प्राइवेट संस्‍थाएँ हैं, अनेक प्रोफेशनल प्राइवेट अनुवाद एजेंसियाँ हैं। इन सब के बावजूद, प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करने वाली एजेंसियाँ  और इनके साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले हज़ारों कोचिंग संस्‍थान स्‍तरीय और प्रतियोगियों द्वारा स्‍वीकार्य अनुवाद उपलब्‍ध करवाने वाले कुशल अनुवादकों और व्‍यावसायिक रूप से सफल अनुवाद एजेंसियों की बेहद कमी से जूझ रहे हैं। इन्‍हीं वज़हों से, प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेज़ी माध्‍यम से इतर हिंदी या अन्‍य निर्धारित भारतीय भाषा का विकल्‍प चुनने वाले प्रतियोगी अपना माथा पीटते और प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्‍नपत्रों के अनुवाद अख़बारों में सुर्खियाँ बटोरते दिखाई देते हैं। इसी विषय पर राष्‍ट्रीय पंचायत संसद में समय-समय पर सदस्‍यों द्वारा आवाज़ उठाई जाती है और अंग्रेज़ी से इतर हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं के प्रतियोगियों के हितों के संरक्षण की मांग की जाती रही है। हालांकि सामान्‍य तौर पर हमें यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुवाद संबंधी कमियों के बारे में पढ़ने-सुनने को मिलता है, लेकिन ऐसा अन्‍य सरकारी एवं प्राइवेट एजेंसियों के प्रश्‍नपत्रों में भी होता है। यदि देश में उच्‍च्‍स्‍तरीय प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करने वाली संस्‍था यूपीएससी में अनुवाद संबंधी समस्‍या का कुशलतापूर्वक समाधान हो जाए तो इसी पैटर्न को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लागू किया जा सकता है।

भारत सरकार का इलैक्‍ट्रोनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (https://meity.gov.in/) अनुवाद संबंधी समस्‍याओं के स्‍थायी समाधान के लिए लगभग 450 करोड़ रूपये की लागत से राष्‍ट्रीय नैसर्गिक भाषा अनुवाद मिशन (नेशनल मिशन ऑन नैचुरल लैंग्‍वेज़ ट्रांसलेशन) शुरू करने की योजना पर कार्य कर रहा है। यह मिशन प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद् (प्राइम मिनिस्‍टर साइंस, टैक्‍नोलॉजी एंड इनोवेशन एडवाइज़री कौंसिल) द्वारा पहचान किए गए मुख्‍य मिशनों में से एक है। इस मिशन से प्रतियोगी/विद्यार्थी, अध्‍यापक, लेखक, प्रकाशक, अनुवाद का सॉफ्टवेयर विकसित करने वाले व्‍यक्ति/कंपनियां और सामान्‍य पाठक लाभान्वित होंगे। इस मिशन के तहत एक सशक्‍त अनुवाद व्‍यवस्‍था विकसित की जाएगी जोकि प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्‍नपत्रों का स्‍तरीय और स्‍वीकार्य अनुवाद सुनिश्चित करेगी। यहाँ पर यह बताना उचित रहेगा कि इसी तरह के प्रयोजनों के लिए राष्‍ट्रीय अनुवाद मिशन (नेशनल ट्रांसलेशन मिशन) (http://www.ntm.org.in/) पहले से अस्तित्‍व में है। इस मिशन को लागू करने का दायित्‍व भारतीय भाषा संस्‍थान (सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंगवेजि़ज) (https://www.ciil.org/Default.aspx) को सौंपा गया है। भारत सरकार के अधिकारियों/कर्मचारियों को अनुवाद का प्रशिक्षण देने और सरकारी दस्‍तावेज़ों के अनुवाद के लिए केंद्रीय अनुवाद ब्‍यूरो (सेंट्रल ट्रांसलेशन ब्‍यूरो) (http://ctb.rajbhasha.gov.in/) वर्ष 1971 से अस्तित्‍व में है। राजभाषा हिंदी के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने वाली सरकारी संस्‍था वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्‍दावली आयोग (सीएसटीटी) (http://www.csttpublication.mhrd.gov.in/english/) वर्ष 1961 से योगदान दे रही है।   इसके साथ ही, अंग्रेज़ी सहित संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं और इनके अनुवाद के क्षेत्र में कार्य कर रही राष्‍ट्रीय साहित्यिक संस्‍था साहित्‍य अकादमी (http://sahitya-akademi.gov.in/) वर्ष 1954 से अस्तित्‍व में है।    

यदि देश में अनुवाद के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए अनेक विश्‍वविद्यालयों/संस्‍थानों, अनेक प्रतिष्ठित सरकारी और प्राइवेट अनुवाद एजेंसियों, हिंदी सहित भारतीय भाषाओं और इनके परस्‍पर अनुवाद में कार्यरत सरकारी एवं सरकारी अनुदान प्राप्‍त स्‍वयंसेवी संगठनों के रूप में एक अच्‍छा-खासा बुनियादी ढाँचा मौजूद है और फिर भी हम अपने युवा प्रतियोगियों को मूल रूप से अंग्रेज़ी में तैयार प्रश्‍नों के उनकी भाषा में सटीक अनुवाद उपलब्‍ध नहीं करवा पा रहे हैं तो यह हमारे संपूर्ण बुनियादी ढांचे की प्रासंगिकता पर प्रश्‍नचिह्न लगाता है। इस बुनियादी ढांचे के प्रत्‍येक अंग को अपनी-अपनी राष्‍ट्रीय भूमिका पर पुनर्विचार करने की आवश्‍यकता है। हम अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे का ही कारगर इस्‍तेमाल करके देश में अनुवाद की गुणवत्‍ता एवं सटीकता सुनिश्चित कर सकते हैं। इस दिशा में शुरूआत के लिए मेरे कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:-       

1.    विश्‍वविद्यालयों और संस्‍थानों को अपने-अपने अनुवाद पाठ्यक्रमों की व्‍यापक समीक्षा करनी चाहिए और देश एवं विदेशों में अनुवाद की जरूरतों के हिसाब से अनुवादक तैयार किए जाने चाहिएं। अनुवादकों को देश-विदेश में अनुवाद के लिए इस्‍तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयरों और एप्लिकेशनों आदि की व्‍यापक जानकारी और उनका व्‍यावहारिक ज्ञान दिया जाना चाहिए। अनुवादकों को स्रोत और लक्ष्‍य दोनों भाषाओं में पर्याप्‍त टाइपिंग ज्ञान दिया जाना चाहिए। पाठ्यक्रम में अनुवाद सिद्धांत और व्‍यवहार का अनुपात 40:60 होना चाहिए।

2.    अनुवाद के पाठ्यक्रमों (प्रमाणपत्र, डिप्‍लोमा, उपाधि) में इंटर्नशिप (प्रशिक्षुता) को शामिल किया जाना चाहिए। प्रशिक्षु अनुवादकों को उनकी योग्‍यता और रूचि के अनुसार सरकारी कार्यालयों, प्रतिष्ठित सरकारी और प्राइवेट अनुवाद एजेंसियों, भाषा एवं अनुवाद के क्षेत्र में कार्यरत सरकारी एवं स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं, विश्‍वविद्यालयों या संस्‍थानों में भाषा एवं अनुवाद विभागों आदि में इंटर्नशिप (क्रमश: एक माह, 3 माह और 6 माह) के लिए भेजा जाना चाहिए।      

3.    प्रतियोगी परीक्षाओं में अनेक तकनीकी विषयों से संबंधित प्रश्‍नपत्र होते हैं जिनका अनुवाद किया जाता है। भारत सरकार में सभी तकनीकी विषयों से संबंधित संस्‍थान/कार्यालय मौजूद हैं जिनमें कार्यरत अनुवादक और विषय-विशेषज्ञ ऐसे तकनीकी विषयों के प्रश्‍नपत्रों का सामान्‍य अनुवादक की अपेक्षा सटीक अनुवाद कर सकते हैं।

4.    प्रतियोगी परीक्षाओं में तकनीकी विषयों से संबंधित प्रश्‍नपत्र तैयार करने वाले विषय-विशेषज्ञों की देखरेख में अनुवादक के अनुवाद को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। जहां कही आवश्‍यक हो, लक्ष्‍य भाषा के विद्वान को भी इस टीम में शामिल किया जाना चाहिए। इन तीन विशेषज्ञों की टीम द्वारा अंतिम रूप से तैयार किए जाने वाले अनूदित प्रश्‍नपत्र में किसी त्रुटि की आशंका की गुंजाइश नहीं रहेगी।

5.    प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करने वाली संस्‍थाओं को विषय-विशेषज्ञों की तरह ही अनुवादकों और लक्ष्‍य भाषा के विद्वानों का संयुक्‍त पैनल तैयार करना चाहिए। इस संयुक्‍त पैनल द्वारा अपने-अपने निर्धारित तकनीकी विषय के ऐसे शब्‍दों की शब्‍दावली तैयार करनी चाहिए जिनका बार-बार प्रयोग किया जाता है ताकि एकरूपता सुनिश्चित की जा सके। इस शब्‍दावली को प्रतियोगी परीक्षाएँ आयोजित करने वाली संस्‍थाओं द्वारा अपनी वेबसाइट पर विषयानुसार प्रकाशित करना चाहिए ताकि प्रतियोगी अपनी आवश्‍यकतानुसार शब्‍द-ज्ञान अर्जित कर सके और परीक्षा में सहजता से प्रश्‍नों को समझ सकें। विषय-विशेष से संबंधित मौलिक या अनूदित पुस्‍तकों में इसी शब्‍दावली का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए ताकि संभावित प्रतियोगियों का शब्‍द-ज्ञान प्रारंभ से ही समृद्ध होता रहे।  

6.    प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्‍नपत्रों का समय-समय पर सटीक अनुवाद सुनिश्चित करने के लिए सरकारी कार्यालयों के अनुवादकों को केंद्रीय अनुवाद ब्‍यूरो (सीटीबी) के माध्‍यम से तकनीकी विषय विशेष की आवश्‍यकता के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सकता है। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधित विषय-विशेषज्ञ, लक्ष्‍य भाषा के भाषाविद् और सीटीबी के अधिकारियों द्वारा संयुक्‍त रूप से तैयार किया जा सकता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सरकारी अनुवादक सामान्‍य अनुवादकों की अपेक्षा अधिक गंभीर और अनुभवी होते हैं।

7.    साहित्‍य अकादमी, नई दिल्‍ली और भारतीय भाषा संस्‍थान, मैसूर हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के विद्वानों और अनुवादकों की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। ये दोनों संस्‍थाएँ भी विषय-विशेष पर भाषा एवं अनुवाद संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।

8. केंद्रीय हिंदी निदेशालय (सेंट्रल हिंदी डायरेक्‍ट्रेट) (http://www.chdpublication.mhrd.gov.in/english/) हिंदीत्‍तरभाषी संस्‍थाओं को तत्‍संबंधित भाषाओं के विकास, प्रचार-प्रसार एवं शिक्षण-‍प्रशिक्षण आदि के लिए सहायता अनुदान प्रदान करता है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के विद्वानों और अनुवादकों की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने में ये हिंदीत्‍तरभाषी संस्‍थाएँ महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।

9.    एक से अधिक भाषाओं में प्रतियोगी परीक्षाओं के बढ़ते चलन और इसके लिए अनुवादकों की बढ़ती मांग को ध्‍यान में रखते हुए, प्रशिक्षु अनुवादकगण और अनुवादकगण किसी एक-दो विषय विशेष के प्रश्‍नों के अंग्रेज़ी से हिंदी या अन्‍य भारतीय भाषा में अनुवाद करने का निरंतर अभ्‍यास कर कुशलता एवं विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। यह अनुवाद कुशलता एवं विशेषज्ञता उनके लिए सतत् आय का स्रोत बन सकती है।

10.   बहुभाषी भारत में अनुवाद और अनुवादकों की निरंतर माँग एवं प्रासंगिकता बनी रहेगी। भारत में अन्‍य देशों के मुकाबले अधिक भाषाओं के प्रचलन के कारण हमारे समक्ष चुनौतियाँ ज्‍यादा हैं। देश में उच्‍च शिक्षा का माध्‍यम अंग्रेज़ी होने के कारण डॉक्‍टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, अनुसंधानकर्ता, व्‍यवसायी आदि जरूरत एवं माँग की अपेक्षा कम संख्‍या में तैयार हो पाते हैं। यदि देश में हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं के माध्‍यम से उच्‍च शिक्षा की अंग्रेज़ी माध्‍यम के समान व्‍यवस्‍था की जाती है तो देश की जरूरत और माँग के हिसाब से डॉक्‍टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, अनुसंधानकर्ता, व्‍यवसायी आदि तैयार किए जा सकते हैं। इससे न केवल देश की तरक्‍की को पंख लगेंगे अपितु सामाजिक एवं भाषिक न्‍याय भी होगा। यह तभी संभव है जब अनुवाद के बुनियादी ढाँचे को और अधिक मज़बूत किया जाए। इसके लिए हमें कोई नए प्रयास करने या करोड़ों रूपये खर्च करने की आवश्‍यकता नहीं है। मौजूदा बुनियादी ढांचे के सभी अंगों को एक मंच पर लाकर ‘’एकीकृत अनुवाद विकास मिशन’’ (मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ ट्रांसलेशन) की शुरूआत करके भाषा एवं अनुवाद संबंधी लक्ष्‍यों को प्राप्‍त किया जा सकता है।

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सुनील भुटानी
अनुवादक-लेखक-संपादक-प्रशिक्षक
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Monday, 8 June 2020

अनुवाद प्रतियोगिता परिणाम की घोषणा



23 मई 2020 को आयोजित ऑनलाइन अनुवाद प्रतियोगिता का परिणाम



अनुवाद प्रतियोगिता की विजेता


दृष्टि गुप्‍ता DRISHTI GUPTA

दृष्टि गुप्‍ता, नई दिल्‍ली सांध्‍यकालीन हिंदी संस्‍थान, भारतीय विद्या भवन, नई दिल्‍ली द्वारा संचालित स्‍नातकोत्‍तर अनुवाद डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम की वर्ष 2018-19 बैच की छात्रा हैं। आपने एम.ए. (अंग्रेज़ी) की पढ़ाई की है। आप हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषा के अलावा स्‍पैनिश और उर्दू भाषा भी जानती हैं। आपका लक्ष्‍य भारत सरकार अथवा बहुराष्‍ट्रीय कंपनी में अनुवादक बनना है।

‘’रूद्राक्ष - RUDRAKSHA’’ ब्‍लॉग और यूटयूब चैनल की ओर से दृष्टि गुप्‍ता को बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ। हम आपके उज्‍जवल भविष्‍य की कामना करते हैं। 



सुनील भुटानी
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