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Saturday, 24 April 2021

कोरोना त्रासदी : क्‍या खोया ... क्‍या सीखा

कोरोना .... एक ऐसा नाम ... ऐसा शब्‍द जो आज रौंगटे खड़े कर रहा है। हम अपने आसपास के लोगों को इस काल के मुँह में समाते हुए देख रहे हैं। इलैक्‍ट्रोनिक एवं सोशल मीडिया पर कोरोना पीडि़तों के परिवारों  को खून के ऑंसू रोते हुए देखना हमारे शरीर में सिरहन पैदा कर जाते हैं। ऐसे परिवार हैं जो सबकुछ लूटा कर अपनों को जिंदा देखना चाहते हैं तो वहीं कुछ ऐसे बदनसीब गरीब भी हैं जो अस्‍पतालों का मुँह तक नहीं देख पा रहे हैं। कोरोना किसी के लिए काल तो किसी के लिए चांदी काटने का अवसर बन रहा है। कोरोना की बलि चढ़ने वाले शरीरों की आत्‍माएँ अपने शरीरों के साथ होने वाले हश्र और अपनों के पास न आ पाने की मज़बूरी को देखकर रो रही हैं ... सिसक रही हैं ... भगवान से अपनों की रक्षा की गुहार लगा रही हैं। 

हमने कोरोना त्रासदी में अनेक विभूतियों को खोया है। किसी ने अपनी माँँ .. बाप ... भाई .. बहन ... दोस्‍त .. गुरू को खोया है तो कई देशों ने अपने राजपरिवार के सदस्‍यों से लेकर अनेक राजनेताओं को खोया है। किसी ने विश्‍वास खोया है तो किसी ने ईमान खोया है। जनता ने राजनेताओं और प्रशासनिक व्‍यवस्‍थाओं के प्रति विश्‍वास को खोया है तो इन राजनेताओं और प्रशासकों में से कईयों ने अपने परिवार के सदस्‍यों को खोया है। किसी ने जेवर, किसी ने घर तो किसी ने जमापूंजी को खोया है। 

सीखा है ... अकेला आया था, अकेला ही जाएगा। कोई पैसा जि़ंदगी न लौटा पाएगा। आज ही जीवन है। वर्तमान में जीयो और भविष्‍य की चिंता मत करो। लेकिन, चिंतामुक्‍त वर्तमान जीने के लिए विभिन्‍न बीमा पॉलिसयों के माध्‍यम से भविष्‍य के प्रति चिंताओं की लगाम कसकर बांध देनी चाहिए। यूँ तो हर घर मंदिर होता है जिसमें ईश्‍वर के बनाये इंसान रहते हैं, लेकिन हर घर में एक मंदिर जरूर होता है ... इसी एक मंदिर की तरह अब से हर घर में एक आत्‍मनिर्भर मेडिकल व्‍यवस्‍था भी होनी चाहिए। हर घर में कम से कम एक ऑक्‍सीजन सिलेंडर, दो-तीन ऑक्‍सीजन मास्‍क, एक ऑक्‍सीमीटर (शरीर में ऑक्‍सीजन का स्‍तर मापने वाला उपकरण), एक थर्मल स्‍कैनर (शरीर का तापमान मापने वाला उपकरण), एक स्ट्रिमर (फेफड़ों के ब्‍लॉकेज को खोलने और ऑक्‍सीजन ग्रहण कर  पूरे शरीर में  पहुंचाने में उपयोगी उपकरण),  मूलभूत सामान्‍य दवाईयां (विद्वत डॉक्‍टर के सुझाव अनुसार) अवश्‍य होनी चाहिएं। इसके साथ-साथ, हर घर में कम से कम एक-एक फायर इंस्टिंयूशर (अग्निशमन उपकरण) भी जरूर होना चाहिए जो आग लगने जैसी स्थिति को शुरू में ही संभाल ले या अग्निशमन दल के आने तक आग को नियंत्रित रख सके। जिस एक या दो व्‍यक्ति विशेष  की कमाई से घर चलता हो, उन्‍हें अपनी क्षमतानुसार जीवन बीमा और चल-अचल संपत्ति बीमा भी करवाना चाहिए। यकीन मानिए, इन सबसे आप अपने आप को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्‍त महसूस करेंगे और विपरीत काल में यह आंतरिक सशक्‍तता इम्‍यूनिटी को बनाये रखने का काम करेगी। हम भगवान के बनाये संसार रूपी उस हवाई जहाज के यात्री हैं जिसकी परिचारिका (एअर होस्‍टेस) यह कहती है कि आपातकालीन स्थिति में ऑक्‍सीजन की मात्रा कम होने पर सबसे पहले खुद ऑक्‍सीजन मास्‍क लगायें फिर दूसरों को लगाने में मदद करें। यही जीवन की सच्‍चाई है, दूसरों के लिए करने के लिए पहले खुद के लिए करना होगा। 

ईश्‍वर का संबंध जीवात्‍मा से है और हमेशा रहेगा। ईश्‍वर ने हर जीवात्‍मा को शरीर रूपी वस्‍त्र दिया है जिसकी स्‍वच्‍छता और स्‍वस्‍थता का ध्‍यान रखना संबद्ध जीवात्‍मा का प्रथम दायित्‍व है क्‍योंकि इसी शरीर के कारण  ही जीवात्‍मा का लौकिक अस्तित्‍व है। अत: स्‍वस्‍थ शरीर में ही जीवात्‍मा निवास करती है और इस शरीर को हर तरह से स्‍वस्‍थ और सुरक्षित बनाये रखना प्रत्‍येक संबद्ध व्‍यक्ति ... व्‍यक्तियों के समूह 'परिवार' ... परिवारों के समूह 'समाज' और समाज के पालनहार राजा अर्थात 'सरकार' का नैतिक कर्तव्‍य है। 

(ईश्‍वर कोरोना त्रासदी की शिकार हुई जीवात्‍माओं को विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हुए अपने चरणों में स्‍थान दें और उन्‍हें आवागमन के झंझटों से मुक्‍त कर मोक्ष प्रदान करें। ओम् शांति शांति शांति।) 


- सुनील भुटानी 'रूद्राक्ष' 

sunilbhutani2020@gmail.com