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Sunday 22 January 2017

अनुवाद अभ्‍यास-माला / Translation Exercise Series – 23



India and Nepal work together against flood–related disasters, including the repair and maintenance works at major border rivers, especially Kosi and Gandak, embankments of which are maintained by India under bilateral agreements.

प्रस्‍तावित अनुवाद%
भारत और नेपाल बाढ़ संबंधी आपदाओं, प्रमुख सीमावर्ती नदियों विशेषत: कोसी तथा गंदक, तटबंधों जिन्‍हें द्विपक्षीय समझौतों के तहत भारत द्वारा अनुरक्षित किया जाता है, पर मरम्‍मत और अनुरक्षण सहित, पर मिलकर कार्य कर सकते हैं।

अनुवाद अभ्‍यास-माला / Translation Exercise Series – 22



In the infrastructure sector, India’s current development partnership consists of construction of four Integrated Check Post for trade promotion and facilitation, and cross border rail links at five locations.


प्रस्‍तावित अनुवाद: 

विनिर्माण क्षेत्र में, भारत की मौजूदा विकास साझेदारी में व्‍यापार संवर्धन तथा सुविधा प्रदान करने हेतु चार एकीकृत पोस्‍ट और पांच स्‍थानों पर सीमा पार रेल संपर्क शामिल है।     

अनुवाद अभ्‍यास-माला / Translation Exercise Series – 21



The majority of recent agreements signed between the two countries are focused on improving connectivity. New bus and rail routes are planned, as is the use of Mongla and Chittagong ports and is essential for its development.




प्रस्‍तावित अनुवाद: 
दो देशों के बीच हाल ही में हस्‍ताक्षर किए गए अधिकांश समझौते संपर्क सुधारने पर केंद्रित हैं। नए बस तथा रेल मार्गों की योजना बनाई गई है, मोंगला और चित्‍तागोंग पत्‍तन का उपयोग इसके विकास के लिए आवश्‍यक है।  
 

Sunday 15 January 2017

भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन में पंडित मदन मोहन मालवीय का योगदान



भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन में पंडित मदन मोहन मालवीय का योगदान

भारत रत्‍न महामना मदन मोहन मालवीय महान स्‍वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद् और समाज सुधारक थे। मालवीय जी का जन्‍म 25 दिसम्‍बर 1861 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। वह विश्‍व प्रसिद्ध काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के संस्‍थापक हैं। राजनीति में रूचि रखने वाले मालवीय जी भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्‍यक्ष रहे थे। उन्‍होंने ने ब्रिटिश शासन की पंजाब दमन नीति का प्रबल विरोध किया था जिसके परिणामस्‍वरूप जलियांवाला बाग कांड हुआ था। मालवीय जी ने गांधी जी के नेतृत्‍व वाले असहयोग आंदोलन और लाला लाजपत राय के नेतृत्‍व वाले साइमन कमीशन विरोध आंदोलन की सफलता में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अप्रैल 1932 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए उन्‍हें दिल्‍ली में गिरफ्तार भी किया गया था। वह देश के विभाजन की कीमत पर स्‍वतंत्रता प्राप्‍त करने के प्रबल विरोधी थे। उन्‍होंने वर्ष 1931 में गोलमेज सम्‍मेलन में देश का प्रतिनिधित्‍व किया था। सत्‍यमेव जयते नारे को जन-जन के बीच लोकप्रिय बनाने का श्रेय मालवीय जी को जाता है। भारत में स्‍काउटिंग की शुरूआत करने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे। मालवीय जी ने देश में जाति व्‍यवस्‍था को खत्‍म करने का गंभीर प्रयास किया जिसके लिए उन्‍हें कुछ समय के लिए ब्राह्मण समाज से भी बाहर कर दिया गया था। मालवीय जी एक बहुत ही कुशल वकील भी थे। उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर में वर्ष 1922 में चौरी-चौरा दंगों में आरोपी 153 लोगों को अंग्रेज़ी हकूमत के मौत के चंगुल से बचाया था।

वर्ष 1924 में अंग्रेज़ों ने प्रयाग कुंभ मेला के अवसर पर गंगा में स्‍नान पर प्रतिबंध लगा दिया था। मालवीय जी ने इस प्रतिबंध का विरोध किया और अपने समर्थकों के साथ अंग्रेज़ों से भिड़ गए थे। उन्‍होंने वर्ष 1913 में अंग्रेज़ों द्वारा हरिद्वार में बांध बनाने का विरोध किया था जिसके आगे अंग्रेज़ी सरकार झुक गई थी। उस समय की अंग्रेज़ सरकार ने मालवीय जी से एक समझौता किया था जिसमें हिन्‍दुओं की अनुमति के बिना गंगा नदी पर बांध नहीं बनाने और गंगा का 40 प्रतिशत जल प्रयाग (इलाहाबाद) तक पहुंचाने की शर्त शामिल थी। इसी के परिणामस्‍वरूप, आज के इलाहाबाद (प्रयाग) में गंगा जीवनदायिनी बनी हुई है।

मदन मोहन मालवीय जी भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख एवं महत्‍वपूर्ण सेनानियों में से एक थे। मालवीय जी के अदम्‍य साहस और प्रतिभाशाली व्‍यक्तित्‍व के अंग्रेज़ भी कायल थे। उन्‍होंने देश को एक सूत्र में पिरोए रखना का भी भरसक प्रयत्‍न किया था। शिक्षा एवं समाज सुधार के क्षेत्र में भी उनका अतुलनीय योगदान रहा है। वह एक निडर नेता थे जो देश के विभाजन के निर्णय पर गांधी जी के भी खिलाफ खड़े हो गए थे। महाना की इन्‍हीं विशेषताओं और समाज के प्रति उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए हाल ही में उन्‍हें देश के सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया है। देश की धार्मिक एवं ज्ञानमयी राजधानी काशी और मालवीय जी एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। हमें हमारे महान स्‍वतंत्रता सेनानी मालवीय जी पर सदैव गर्व रहेगा। जय हिन्‍द।